Dec 13, 2024 00:11
https://uttarpradeshtimes.com/agra/agra-news-case-of-illegal-felling-of-trees-in-taj-trapezium-zone-54924.html
Agra News : आगरा जिले के किरावली कस्बे में ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई का मामला सामने आने के बाद वन विभाग और आगरा प्रशासन में हड़कंप मच गया है। इस घटना ने न केवल वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सरकार के पर्यावरण संरक्षण के दावों को भी चुनौती दी है।
दो दर्जन से अधिक पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया
बताया जा रहा है कि किरावली तहसील के अछनेरा- किरावली मार्ग पर स्थित एक अनाधिकृत कॉलोनी में दो दर्जन से अधिक पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया है। इस कॉलोनी को कथित तौर पर भाजपा नेता गंगाधर कुशवाहा द्वारा विकसित किया जा रहा था, जो इस पूरे मामले को और भी विवादित बना देता है। इस प्रकरण में स्थानीय वन विभाग के कर्मचारियों पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने इस अवैध कटाई की अनदेखी की, जिससे इस अवैध पेड़ों के कटान के बारे में सवाल उठ रहे हैं। मामला सामने आने के बाद आनन-फानन में बचे हुए पेड़ों पर वन विभाग द्वारा नंबर डाल दिए गए, ताकि विभागीय अधिकारियों की भूमिका पर संदेह न हो। इतना ही नहीं, कॉलोनी में नगर पालिका द्वारा किए गए वृक्षारोपण को भी गायब करवा दिया गया है।
सरकार पर उठे सवाल
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि सुप्रीम कोर्ट के कड़े निर्देशों के बावजूद यह कटाई कैसे हुई? क्या सरकार का प्रशासनिक तंत्र का प्रभाव कमजोर हो गया है, या फिर सत्ता और प्रभाव का गलत उपयोग किया गया है? गंगाधर कुशवाहा पर आरोप है कि वे भाजपा के प्रभाव का उपयोग करके लंबे समय से अनाधिकृत कॉलोनियों का नेटवर्क चला रहे हैं। उनके द्वारा विकसित की जा रही कॉलोनी में पेड़ों की अवैध कटाई से यह सिद्ध होता है कि वे स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों पर दबाव डालने में सक्षम हैं। इस दबाव के चलते प्रशासन कार्रवाई करने से कतराता रहा। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकारी राजस्व भी प्रभावित हो रहा है।
प्रभागीय वन अधिकारी का बयान
प्रभागीय वन अधिकारी अरविंद मिश्रा ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “पेड़ों की कटाई के मामले में अभियोग दर्ज किया गया है और न्यायालय में रिपोर्ट प्रस्तुत की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट को भी इसकी जानकारी दी जा रही है।” हालांकि, यह बयान इस घटना के सही कारणों का खुलासा करने में असमर्थ है। यदि मामला पहले से ही दर्ज किया गया था, तो इतनी बड़ी घटना कैसे घटित हो गई, और अब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
पेड़ काटने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लेनी होती है..
यहां बताना आवश्यक है कि आगरा और आसपास के जनपदों यानी कि टीटीजेड क्षेत्र में एक भी पेड़ काटने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लेनी होती है, लेकिन यहां तो 2 दर्जन से अधिक पेड़ों को काट दिया गया और प्रशासन को खबर तक नहीं लगी। अब देखना होगा इस पूरे प्रकरण को सुप्रीम कोर्ट किस नजरिए से लेता है।