छांव फाउंडेशन की प्रेरणादायक पहल शीरोज़ हैंगआउट कैफ़े, जो एसिड अटैक सर्वाइवर्स को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम कर रही है...
शीरोज़ हैंगआउट कैफे के 10 साल पूरे : एसिड अटैक सर्वाइवर्स को आत्मनिर्भर बनाने की पहल, छांव फाउंडेशन करेगा दूसरे संस्करण का आयोजन
Dec 07, 2024 13:06
Dec 07, 2024 13:06
इन कार्यक्रमों का होगा आयोजन
जानकारी के अनुसार, इस फेयर में कला, शिल्प, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, लाइव प्रदर्शन और जागरूकता संवाद जैसे कई कार्यक्रम होंगे। इस आयोजन का उद्देश्य एसिड अटैक सर्वाइवर्स के सशक्तिकरण और ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाना है।
शीरोज़ हैंगआउट के दस साल
बता दें कि अनिल शर्मा, जो छांव फाउंडेशन के एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य हैं, डॉली, जो शीरोज़ हैंगआउट की सदस्य हैं, रूमी चौहान, सपोर्ट सिस्टम फॉर वीमेन, मालती, महिला समूह मेवली खुर्द और आशीष शुक्ल, छांव फाउंडेशन के सदस्य ने मिलकर पिछले 10 सालों में शीरोज़ हैंगआउट द्वारा किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला। अनिल शर्मा ने कहा कि शीरोज़ हैंगआउट ने एसिड अटैक सर्वाइवर्स को आत्मनिर्भर बनाने का कार्य पिछले दस सालों से किया है। ऐसे आयोजनों से नागरिकों को जागरूक करना बेहद जरूरी है ताकि विभिन्न समुदायों को एक मंच पर लाकर एक सकारात्मक बदलाव लाया जा सके। शीरोज़ फेयर इसी दिशा में एक सार्थक प्रयास है।
समाज में फैली हीन भावना को खत्म करने का प्रयास
छांव फाउंडेशन के सदस्य आशीष शुक्ला ने बताया कि यह शीरोज़ फेयर उनकी दस साल की यात्रा का दूसरा आयोजन है जो आगरा में हो रहा है। फाउंडेशन एसिड अटैक सर्वाइवर्स के लिए विभिन्न प्रयास कर रहा है ताकि समाज में व्याप्त हीन भावना को खत्म किया जा सके। यह एक पब्लिक इवेंट है और सभी से इसमें शामिल होने की अपील की जाती है।
घर की चार दीवारी में दब जाती हैं महिलाओं की प्रतिभा
मेवली खुर्द स्वयं सहायता समूह की सदस्य, मालती कुशवाहा ने इस अवसर पर कहा कि अधिकांश महिला स्वयं सहायता समूहों में हाशिये पर रहने वाली महिलाएं जुड़ी हैं। इन महिलाओं के पास प्रतिभा है, लेकिन वे घर की चार दीवारों के भीतर दब कर रह जाती हैं। छांव फाउंडेशन और बेकोज बेको के संयुक्त प्रयासों से शीरोज़ फेयर में इन ग्रामीण महिलाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला है। मालती ने यह भी कहा कि इस फेयर में लोगों की उपस्थिति से उनका मनोबल बढ़ेगा।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल
एक अन्य सदस्य ने बताया कि आज भी समाज में महिलाओं को काम करने के लिए उचित अवसर और माहौल नहीं मिल पा रहा है। इस समस्या को देखते हुए एस एस डब्ल्यू (Self-Supporting Women) महिलाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण दे रहा है ताकि वे आत्मनिर्भर और सशक्त बन सकें। छांव फाउंडेशन और बेकोज बेको के समर्थन से हमें शीरोज़ फेयर में अपने समूह की महिलाओं के काम का प्रदर्शन करने का मौका मिला है। उन्होंने सभी से अपील की कि वे शीरोज़ फेयर में शामिल होकर उनके उत्साह को बढ़ाएं।
5 राज्यों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल
इसके अलावा, आशीष शुक्ला ने शीरोज़ हैंगआउट के बारे में जानकारी दी और बताया कि आगरा में एसिड अटैक सर्वाइवर्स को सशक्त बनाने के प्रयासों के बाद, अब फाउंडेशन ने नोएडा और लखनऊ में भी इस दिशा में कदम बढ़ाया है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश से बाहर निकलकर अब उड़ीसा, बिहार और अन्य पांच राज्यों में भी एसिड अटैक सर्वाइवर्स को आत्मनिर्भर बनाने की योजना बनाई गई है। इन महिलाओं को समाज ने तो नजरअंदाज किया ही है, बल्कि उनके परिवारों ने भी इस दर्द से उबरने में कोई मदद नहीं की है। ऐसे में ये महिलाएं अब आत्मनिर्भर बनने के रास्ते पर अग्रसर हो रही हैं।
एसिड अटैक सर्वाइवर्स बना सकेंगी अपनी अलग पहचान
इसके साथ ही यह भी बताया गया कि इस फाउंडेशन का उद्देश्य एसिड अटैक सर्वाइवर्स को आत्मनिर्भर बनाना है ताकि वे समाज में अपनी पहचान बना सकें। शीरोज़ हैंगआउट का यह प्रयास न केवल इन महिलाओं के लिए सशक्तिकरण की दिशा में है, बल्कि समाज में उनके प्रति दृष्टिकोण को बदलने की कोशिश भी करता है। इस आयोजन से न केवल इन महिलाओं को एक मंच मिलता है, बल्कि यह समाज में एक बड़ा संदेश भी पहुंचाता है कि हर महिला को सम्मान और अवसर मिलना चाहिए।
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