जिस तरह गर्मी के मौसम में आम आदमी खुद को राहत देने के लिए इंतजाम करता है, उसी तरह बांके बिहारी के लिए पूरे चार महीने खास इंतजाम किए जाते हैं। इन दिनों ठाकुर महाराज ताजे और सुगंधित फूलों से सजे बंगले में विराजमान होते हैं।
Vrindavan News : ग्रीष्मकाल में फूल बंगले में विराजेंगे बांके बिहारी, पुष्प सेवा के लिए भक्तों को एक साल पहले करानी होगी बुकिंग
Apr 28, 2024 13:59
Apr 28, 2024 13:59
- इस वर्ष 19 अप्रैल से 4 अगस्त तक 108 दिन फूल बंगले बनाये जायेंगे
- भक्तों की अधिक मांग होने के कारण फूल बंगले दोनों टाइम सजाये जाते हैं
हरियाली अमावस्या फूल बंगला महोत्सव का आयोजन
गौरतलब है कि भक्तजनों द्वारा अपने आराध्य को मौसम के प्रभाव से राहत प्रदान करने के लिए ऋतुओं के अनुसार मंदिरों में विभिन्न आयोजन किए जाते हैं। इसी शृंखला में ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में चैत्र शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी से श्रावण कृष्ण पक्ष की हरियाली अमावस्या तक फूल बंगला महोत्सव का आयोजन किया जाता है। जिसमें भक्तजनों द्वारा अपने आराध्य के लिए देशी-विदेशी फूलों का भव्य बंगला सजवाया जाता है।
इस वर्ष 19 अप्रैल से 4 अगस्त तक आयोजित फूल बंगला महोत्सव के अंतर्गत मंदिर में भक्तों द्वारा फूल बंगला सजवाया जा रहा है। जहां रंग-बिरंगे फूलों से सुसज्जित बंगले के मध्य विराजमान ठाकुर बांके बिहारी के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर परिसर में उमड़ रही है। लगातार 108 दिनों तक मंदिर में सुबह-शाम भव्य फूल बंगला प्रतिदिन सजाए जाएंगे।
इस तरह शुरू हुआ फूल बंगला महोत्सव
श्री स्वामी हरिदास जी महाराज, जिन्होंने श्री बांके बिहारी जी महाराज को प्रकट किया, निकुंज में ही ठाकुर जी की सेवा-अर्चना की, जहां छह ऋतु सदा-सर्वदा हाजिरी देती थीं। एक बार श्री बांके बिहारी जी महाराज नित्य रास में गोपियों के संग लीला कर रहे थे। तभी ललिता सखी ने, जो कि ठाकुर जी को प्रिया जी के समान प्रिय थी, ने ठाकुर जी महाराज से आग्रह किया कि प्रभु ग्रीष्मकाल में गर्मी निकुंज में अपना प्रभाव दिखा रही है तो ठाकुर जी बोले, ललिता आज से जब तक ग्रीष्मकाल रहेगा तब तक हम फूलों की पोशाक धारण करेंगे और फूलों की निकुंज में ही ‘प्रिया जी’ के संग लीला करेंगे।
इतना सुनते ही ललिता सखी ने सभी गोपियों को बुलाया और यह बात बताई। तब सभी गोपियों ने मिलकर फूलों की निकुंज एवं पोशाक का निर्माण किया और ठाकुर जी को अर्पण किया। ललिता जी के इस प्रयास से ठाकुर जी एवं प्रिया जी को अत्यंत शीतलता प्राप्त हुई। तभी से निरंतर यह भाव श्रीधाम वृन्दावन में विद्यमान है और वर्षों से इस भाव ने एक उत्सव का रूप धारण कर लिया है।
चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होता है उत्सव
यह उत्सव चैत्र शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी से हरियाली अमावस्या तक चलता है। वर्तमान काल में भी भक्त उसी भाव से ठाकुर जी को फूल सेवा अर्पण करके ठाकुर जी को शीतलता प्रदान करने का प्रयास करते हैं।
श्री बिहारी 'हर गुलाल'की सेवा से हुए थे अति प्रसन्न
एक बार 110 साल पहले 'हर गुलाल' नाम के एक सेठ वृंदावन पधारे और ठाकुर श्री बांके बिहारी जी महाराज की झांकी करते ही भावावेश में आ गए और श्री बिहारी जी महाराज की अंग सेवा एवं फूल सेवा को करने के लिए श्रीधाम वृंदावन में ही रहने लगे और श्री बिहारी जी महाराज की सेवा करने लगे। उन्होंने बिहारी जी महाराज की सेवा के लिए श्रीधाम वृन्दावन में ही एक भू-खंड खरीदकर उसमें एक बगीचा ही बनवा दिया और श्री बिहारी जी महाराज के लिए नित्य फूल सेवा वहां से होने लगी। श्री बिहारी जी महाराज इस सेवा से अति प्रसन्न हुए जिसके फलस्वरूप लालाजी का वैभव दिन दूना रात चौगुना बढ़ने लगा। आज भी श्री धाम वृंदावन में सेठ हर गुलाल जी के परिजन निवास करते हैं और श्री बिहारी जी महाराज की नित्य सेवाओं से जुड़े हुए हैं।
ठाकुर जी के भक्तों को रहता है फूल सेवा का इंतजार
जो ठाकुर जी के भक्त और प्रेमी हैं, वो इस कलिकाल में भी वर्ष भर इस उत्सव की प्रतीक्षा में रहते हैं और समय आते ही श्री बांके बिहारी जी महाराज को फूल सेवा अर्पण करके उन्हें शीतलता प्रदान करने का प्रयास करते हैं।
वृंदावन के सभी प्रमुख मंदिरों में फूल बंगले बनते हैं
भीषण गर्मी की झुलसाने वाली तपिश में अपने आराध्य ठाकुर जी को गर्मी के प्रकोप से बचाने एवं उन्हें पुष्प सेवा से आह्लादित कर रिझाने के लिये वृंदावन के प्रायः सभी प्रमुख मंदिरों में फूल बंगले बनते हैं परंतु फूल बंगले बनाने का सर्वोत्कृष्ट स्वरूप यहां के विश्व प्रसिद्ध ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर में देखने को मिलता है।
यहां प्रतिवर्ष गर्मियों में फूल बंगलों के बनाए जाने के जो लगभग चार महीने होते हैं, उनमें किस दिन किस व्यक्ति के खर्चे पर फूल बंगला बनेगा, इसकी बुकिंग लगभग एक वर्ष पूर्व ही हो जाती है। फिर भी फूल बंगला बनवाने के इच्छुक तमाम लोगों को निराश होना पड़ता है।
बिना नागा 108 दिन फूल बंगले बनाये जायेंगे
ठाकुर बांके बिहारी मंदिर पर चैत्र शुक्ल एकादशी से श्रावण कृष्ण हरियाली अमावस्या तक बिना नागा नित्य-प्रति फूलों के बंगले बनते हैं। इस वर्ष यह फूल बंगले 19 अप्रैल से 4 अगस्त तक 108 दिन फूल बंगले बनाये जायेंगे। भक्तों की अधिक मांग होने के कारण अब फूल बंगले दोनों टाइम सजाये जाते हैं।
पूरे साल गर्भ गुफा में रहते हैं बांके बिहारी
श्रीधाम वृंदावन में बांके बिहारी का मंदिर स्थित है। पूरे साल भर बांके बिहारी जी अपनी गर्भ गुफा में रहते हैं । विशेष अवसरों पर बांके बिहारी जी गर्भ गुफा से बाहर आते हैं। तीन महीने ऐसे होते हैं जब बांके बिहारी साक्षात अपनी गर्भ गुफा से बाहर अपने चबूतरे पर आकर विराजमान होते हैं और भक्तों को मनमोहक दर्शन देते हैं। बांके बिहारी जी का साढ़े तीन महीने या फिर तीन महीने 108 दिन फूल बंगला लगता है। फूल बंगला सुबह-शाम लगता है।
अक्षय तृतीय पर नहीं होता फूल बंगला
बांके बिहारी को गर्भ गुफा से बाहर निकाल के चबूतरे पर लाया जाता है और उस समय पर जो दर्शन होते हैं ये तीन महीने के दर्शन अद्भुत होते हैं। कामदा एकादशी से प्रारंभ होता है और हरियाली अमावस्या तक फूल बंगला होता है। इस महीने जो दर्शन होते हैं उसमें ऐसा लगता है कि मानो बांके बिहारी सामने बैठे हैं। इन तीन महीनों में अक्षय तृतीय आती है, उस समय पर फूल बंगला नहीं होता है क्योंकि अक्षय तृतीय पर बांके बिहारी जी के जो दर्शन होते हैं, वो उनके चरणों के दर्शन होते हैं।
इन फूलों का होता है इस्तेमाल
फूल बंगले में पूरा मंदिर और बांके बिहारी जी को तरह तरह के फूलों से सजाया जाता है। इसमें केले के पत्तों, आम के पत्तों और फूलों का प्रयोग किया जाता है। खासकर उन फूलों का इस्तेमाल होता है जिनकी तासीर ठंडी होती है जिससे गर्मी से राहत मिलती है और शीतलता प्रदान करते हैं।
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जैसे ही पवित्र ब्रज में ग्रीष्म ऋतु आती है, जूही, बेला, रातरानी, मोतिया और अन्य गर्मियों के फूल बिहारीजी की सेवा करने और दुनिया की सबसे मीठी सुगंध के साथ उनके भक्तों का स्वागत करने के लिए उग आते हैं। फूल बंगलों में प्रमुख रूप से रायवेल, गुलाब, चंपा, रजनीगंधा और गेंदा के फूलों का प्रयोग किया जाता है। फूल बंगले में 500 किलो फूलों का प्रयोग किया जाता है, यानी दिन में एक हजार किलो फूलों से यह बंगले तैयार होते हैं। एक फूल बंगला सजाने में लगभग 3 लाख से भी ऊपर का खर्च आता है। बाकी भक्त जैसे फूलों की डेकोरेशन करना चाहते हो, उस हिसाब से हिसाब से खर्च घटता बढ़ता रहता है।
सुबह-शाम ताजे फूलों से बनता है बंगला
फूल बंगला तैयार करने के बाद हजारों क्विंटल फूल बचता है उसे मंदिर की सजावट में लाया जाता है। हर शाम को फूल बंगला उतारा जाता है क्योंकि सुबह जिन फूलों से डेकोरेशन की जाती है वो शाम तक बासी हो जाते हैं, इसलिए शाम के लिए दूसरी डेकोरेशन होती है।
सुबह के उतारे गए फूलों से बनाई जाती हैं अगरबत्तियां
सुबह के उतारे गए फूलों को किसी अनाथ आश्रम या फिर वृद्ध आश्रम में भेज दिए जाते हैं। वृद्ध आश्रम में रहने वाली विधवा महिलाएं इनसे अगरबत्तियां तैयार करती हैं और इससे मिले पैसे से अपना खर्चा चलाती हैं।बांके बिहारी जी ने उनको भी आजीविका का साधन दे दिया। कामदा एकादशी है पर भगवान का पहला फूल बंगला लगता है। आप अगर वृंदावन आओ तो बांके बिहारी जी के फूल बंगले के साथ साथ बाकी मंदिरों के भी दर्शन कीजिएगा।
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