संत प्रेमानंद महाराज ने जोर दिया कि मन और इंद्रियों की गुलामी को स्वतंत्रता के रूप में देखा जा रहा है, जबकि शास्त्र और गुरु की आज्ञा को बंधन माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि अपनी दृष्टि को पवित्र बनाना सबसे महत्वपूर्ण है।
मंदिरों में छोटे वस्त्रों पर विवाद : संत प्रेमानंद ने दी मर्यादा और दृष्टि सुधारने की नसीहत, कहा- नौजवान सुधरें तो सुधर जाएगा भारत
Nov 30, 2024 11:30
Nov 30, 2024 11:30
दृष्टि और आचरण की पवित्रता पर बल
संत प्रेमानंद महाराज ने जोर दिया कि मन और इंद्रियों की गुलामी को स्वतंत्रता के रूप में देखा जा रहा है, जबकि शास्त्र और गुरु की आज्ञा को बंधन माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि अपनी दृष्टि को पवित्र बनाना सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि समाज की दृष्टि को शुद्ध करने का सामर्थ्य केवल भगवान और गुरु में है।
नौजवानों से समाज सुधार की उम्मीद
संत प्रेमानंद महाराज ने कहा कि यदि युवा पीढ़ी सही दिशा में कदम उठाए और गलत आदतों जैसे नशा और अनुचित आचरण को त्याग दे, तो समाज में सकारात्मक बदलाव आ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सुबह के धार्मिक आयोजनों में युवा बड़ी संख्या में भाग ले रहे हैं, जो एक सकारात्मक संकेत है।
सवाल उठाने पर ही उत्तर देना उचित
जय भीमा शंकर संस्थान के पुजारी ने संत से सवाल किया कि मंदिर में आने वाली कुछ महिलाएं छोटे वस्त्र पहनती हैं, जिससे अन्य भक्तों को परेशानी होती है। जब उन्हें टोका जाता है, तो वे यह कहती हैं कि यह उनका व्यक्तिगत अधिकार है। इस पर संत प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट किया कि यदि कोई आपसे इस विषय पर सवाल पूछे, तो आप उत्तर दे सकते हैं। लेकिन, यदि आप बिना पूछे किसी को सलाह देंगे, तो यह गलतफहमी पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा, "ऐसी स्थिति में लोग आपकी मंशा पर सवाल उठा सकते हैं, जिससे आपको ही नुकसान होगा।"
ये भी पढ़ें : शाही मस्जिद हिंसा : सपा का प्रतिनिधिमंडल जाएगा संभल, माता प्रसाद का घर बना छावनी
शास्त्रीय दृष्टिकोण पर विचार
संत ने वर्तमान समाज में तेजी से बढ़ते ब्वॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड के चलन को शास्त्रों में "व्यभिचार" के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने कहा, "एक से अधिक व्यक्ति के साथ संबंध रखना शास्त्रीय दृष्टिकोण से मर्यादाहीन और अनुचित है। ऐसे लोग अपने जीवन का सही उपयोग नहीं कर पाते।"
मंदिरों में नियमों की पहल
ब्रज क्षेत्र के कई प्रमुख मंदिरों ने महिलाओं से छोटे और अमर्यादित वस्त्र पहनकर न आने की अपील की है। ठाकुर श्री राधादामोदर मंदिर और पागल बाबा मंदिर ने अपने मुख्य द्वार पर नोटिस बोर्ड लगाए हैं, जिसमें भक्तों से मर्यादित वस्त्र पहनने का आग्रह किया गया है।
समाज और संतुलन का संदेश
संत प्रेमानंद महाराज ने अंत में कहा कि वर्तमान समय में शास्त्रीय आचरण का पालन कम हो गया है। उन्होंने समाज को जागरूक और संतुलित दृष्टिकोण अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि अपनी दृष्टि और विचारों को शुद्ध करना ही सबसे बड़ा समाधान है।
Also Read
10 Dec 2024 11:24 PM
मथुरा के बरसाना थाना क्षेत्र में प्रेम विवाह करने वाले एक दंपती पर परिजनों और दबंगों का कहर टूट पड़ा। युवक-युवती ने परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी की... और पढ़ें