श्री कृष्ण जन्मस्थान-ईदगाह मामला : मुस्लिम नेता ने की समझौते की पेशकश,भाईचारे का दिया पत्र

मुस्लिम नेता ने की समझौते की पेशकश,भाईचारे का दिया पत्र
UPT | श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद केस

Aug 07, 2024 12:26

श्री कृष्ण जन्मस्थान-ईदगाह मथुरा के मामले में मुस्लिम नेता ने समझौते की पेशकश की है। इसके लिए महिला नेता ने श्री कृष्ण जन्मस्थान के गेट पर जाकर भाईचारे का पत्र दिया। इसकी जानकारी श्री कृष्ण जन्मस्थान संघर्ष मुक्ति न्यास के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने दी।

Aug 07, 2024 12:26

Mathura News : यूपी में मथुरा के श्री कृष्ण जन्मस्थान-ईदगाह मामले में श्री कृष्ण जन्मस्थान संघर्षमुक्ति न्यास के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने एक बयान में कहा है कि मुस्लिम समाज की महिला नेता ने इस मसले पर समझौते की पेशकश की है। दिनेश शर्मा ने कहा कि रूबी खान ने उनको भाईचारे का एक पत्र श्रीकृष्ण जन्म स्थान के गेट नंबर-1 पर देते हुए कहा कि इस मामले में कोर्ट के बाहर समझौता हो और मुस्लिम समाज भगवान श्रीकृष्ण की मंदिर की जमीन खाली कर दे। अपने को मुस्लिम समाज की राष्ट्रीय नेता कहने वाली रूबी खान जन्मभूमि के गेट नंबर-1 पर आसिफ खान एवं मुस्लिम समाज के अन्य कुछ लोगों के साथ पहुंचीं और हिंदूवादी नेता दिनेश शर्मा से मुलाकात कर उनको पत्र सौंपा। दिनेश शर्मा श्री कृष्ण जन्म स्थान ईदगाह मामले के एक 'पक्षकार भी हैं, उन्होंने कहा कि रूबी ने उन्हें पत्र सौंपते हुए कहा कि देश में एकता व भाईचारा कायम रहे। ऐसा तभी संभव है जब भगवान श्रीकृष्ण अपने मूल गर्भगृह में विराजमान होंगे। मंदिर तोड़कर जो मस्जिद बनाई गई है वह एकता एवं अखंडता में अभिशाप है। इसकी जगह मुस्लिम बहुल क्षेत्र में ईदगाह का निर्माण हो।

न्यायालय से बाहर फैसला होना चाहिए 
मुस्लिम नेता रूबी खान ने कहा कि सभी मुकदमे न्यायालय ने स्वीकार कर लिए हैं, अब मुस्लिम पक्ष टाल नहीं सकता। अयोध्या की तरह फैसला आने पर मुस्लिम समाज की इज्जत पर बट्टा लगेगा, इसलिए न्यायालय से बाहर फैसला होना चाहिए। इस मौके पर दिनेश शर्मा ने कहा कि हमने पहले ही मुस्लिम समाज से कहा था यदि आप कोई समझौता करते हैं तो 10 एकड़ भूमि एवं 10 करोड़ धनराशि प्रदान करेंगे। मुस्लिम समाज के नेताओं की इस पहल का स्वागत करते हैं।

गजनवी से लेकर औरंगजेब तक 4 बार तोड़ा गया केशव देव मंदिर, आइए जानते हैं अब तक क्या हुआ
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने फैसला दिया कि हिंदू पक्ष की ओर से दायर सभी 18 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई होगी। इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया। श्री कृष्ण जन्मभूमि के इतिहास और इससे जुड़ी मान्यताओं के बारे में आइए जानते हैं:  

श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बनाया गया है, जिसमें श्री कृष्ण जन्मभूमि लीला मंच,भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री सहित पांच अधिवक्ताओं ने 25 सितंबर 2020 में जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर मथुरा कोर्ट में याचिका डाली थी, जिसमें श्री कृष्ण सेवा संस्थान, शाही ईदगाह कमेटी सुन्नी वक्फ बोर्ड व श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट को प्रतिवादी पक्ष बनाया। अधिवक्ताओं ने मांग की कि श्री कृष्ण जन्मस्थान को मस्जिद मुक्त मंदिर बनाया जाए।  

राजा पटनी मल ने खरीदी जमीन 
ब्रिटिश काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनीमल ने इस जगह को खरीदा और 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए तो श्रीकृष्ण जन्म स्थान की दुर्दशा देखकर विचलित हुए। मदन मोहन मालवीय ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को पत्र लिखकर जन्मभूमि पुनरुद्धार के लिए कहा, 21 फरवरी 1951 में श्री कृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट की स्थापना की, 12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्री कृष्ण जन्मस्थान सोसायटी की ओर से किया गया, 20 जुलाई 1973 को यह जमीन डिक्री की गई, डिक्री रद्द की मांग को लेकर अधिवक्ता ने कोर्ट में याचिका डाली थी। 

ये है मान्यता : श्री कृष्ण जन्मस्थान का प्राचीन केशव देव मंदिर जो कि पूर्व में मल्लपुरा के नाम से जाना जाता था,इसके चार किलोमीटर का एरिया केशव देव की संपत्ति मानी जाती है। प्राचीन केशव देव मंदिर के पास कंस का कारागार हुआ करता था। धार्मिक मान्यता है कि 5247 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ। भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र ब्रजनाभ ने उसी स्थान पर केशव देव मंदिर की स्थापना की।

चार बार मंदिर पर हुआ हमला, अब निशानियां बाकी  
इतिहासकार शत्रुघ्न शर्मा बताते हैं कि श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर को सबसे पहले मोहम्मद गजनवी ने 1017 ई.में लूटपाट के बाद तोड़ा। तब 1050 में इसे राजा विजयपाल सिंह देव ने बनवाया। उसके बाद 1351 में फिर फिरोजशाह तुगलक ने तोड़फोड़ की। उसके बाद स्थानीय लोगों की ओर से फिर मंदिरों को बनाया गया। उसके बाद 1488 में सिकंदर लोदी ने मंदिरों को फिर तोड़ा,1618 में राजा वीर सिंह बुंदेला ने मंदिरों को बनवाया। फिर 1670 में औरंगजेब ने मंदिरों को नष्ट किया और मस्जिद का निर्माण कराया। प्राचीन मंदिरों के पास अवशेष में चारों तरफ एक ऊंचा परकोटा बना रहता था। मंदिर के दक्षिण और पश्चिम कोने में एक कुआं भी बनवाया जाता था। कुएं में पानी की ऊंचाई 60 फीट हुआ करती थी। मंदिर प्रांगण में फवारे भी चलाए जाते थे। मुगल शासक की ओर से तोड़े गए मंदिरों के अवशेष मस्जिदों में लगाए गए जो आज भी शेष हैं। 

औरंगजेब लाया था मथुरा से विग्रह और पुरावशेष : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर बताते हैं कि 16 वीं शताब्दी में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त किया था। वो मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेष आगरा लेकर आया था। उसने मूर्तियों और पुरावशेष को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया था। 

कोर्ट में 18 याचिकाएं दाखिल : 25 सितंबर 2020 को कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण में अलग-अलग याचिकाएं मनीष यादव वाद संख्या 152, महेंद्र प्रताप सिंह वाद 950, दिनेश शर्मा वाद 174 ,अनिल त्रिपाठी वाद 252,पवन शास्त्री वाद 107, जितेंद्र सिंह विसेन वाद 620, आशुतोष पांडे 1223, रंजना अग्निहोत्री, विष्णु शंकर आदि वाद संख्या 323, शशि चतुर्वेदी की वाद संख्या 423, दिनेश चंद शर्मा वाद संख्या 603 सहित 18 दाखिल की हैं।

सर्वे से सच आएगा सामने : श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद शुक्ला का कहना है कि हमने पहले ही कोर्ट से मांग की है कि जामा मस्जिद का सच सबके सामने लाने के लिए एएसआई सर्वे कराया जाना चाहिए। एएसआई की सर्वे रिपोर्ट से विवाद खत्म किया जा सकता है, क्योंकि सर्वे रिपोर्ट से हकीकत सामने आएगी। 

Also Read

करहल सीट से चुनावी मैदान में भरेंगे दम, जानिए कौन हैं सियासी घराने से संबंध रखने वाले अनुजेश यादव

26 Oct 2024 05:38 PM

मैनपुरी UP By Election-2024 : करहल सीट से चुनावी मैदान में भरेंगे दम, जानिए कौन हैं सियासी घराने से संबंध रखने वाले अनुजेश यादव

भाजपा प्रत्याशी अनुजेश यादव के तार सैफई परिवार से जुड़े हैं। दरअसल सपा मुखिया अखिलेश यादव की चचेरी बहन संध्या यादव के पति और मुलायम सिंह यादव के दामाद है। उनका करहल के चुनावी रण में मुकाबला भी सैफई परिवार से हैं.. और पढ़ें