Agra News : जिला अस्पताल के एसआईसी ने कहा, मकान गिर जाए तो वह जिम्मेदार नहीं, जानें क्या कहा...

जिला अस्पताल के एसआईसी ने कहा, मकान गिर जाए तो वह जिम्मेदार नहीं, जानें क्या कहा...
UPT | जिला अस्पताल परिसर में डॉक्टरों और स्टॉफ का जर्जर भवन।

Jul 17, 2024 15:41

जिला अस्पताल, एक ऐसा अस्पताल है, जिसके कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। जिला अस्पताल में जनपद के ही नहीं, बल्कि बाहरी जनपदों से भी दर्जनों मरीज उपचार की उम्मीद के साथ पहुंचते हैं। यहां के चिकित्सक भी पूरी...

Jul 17, 2024 15:41

Agra News : जिला अस्पताल, एक ऐसा अस्पताल है, जिसके कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। जिला अस्पताल में जनपद के ही नहीं, बल्कि बाहरी जनपदों से भी दर्जनों मरीज उपचार की उम्मीद के साथ पहुंचते हैं। यहां के चिकित्सक भी पूरी कर्तव्यनिष्ठा के साथ मरीजों का उपचार करते हैं। लोगों की जान बचाने वाले चिकित्सकों को भगवान का दर्जा दिया जाता है। आज जिला अस्पताल के यही चिकित्सक और यहां का मेडिकल स्टाफ जिंदगी को दांव पर लगाकर सरकारी आवासों में रह रहा है। जिला अस्पताल परिसर में ही सरकारी आवास निर्मित हैं। ये जर्जर हो चुके हैं। ये कभी भी गिर सकते हैं। बावजूद इसके इन आवासों में जिला अस्पताल के डॉक्टर एवं मेडिकल स्टाफ रहने को मजबूर हैं। 

अस्पताल में मिला था एक्सपायरी इंजेक्शन
जिला अस्पताल हमेशा सुर्खियों में रहता है। उत्तर प्रदेश टाइम्स भी पूरी जिम्मेदारी के साथ जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाने का काम कर रहा है। सोमवार को जिला अस्पताल का निरीक्षण करने के लिए कायाकल्प की टीम पहुंची थी। टीम के सामने जिला अस्पताल के कर्मचारी एवं व्यवस्थाओं की कलई खुल गई थी। कायाकल्प की टीम को पीकू वार्ड की मेडिकल ट्रे में एक्सपायरी इंजेक्शन मिला था। यही नहीं, निरीक्षण के दौरान सदस्यों ने पाया कि मेडिकल स्टाफ ग्लव्ज भी नहीं पहन सकता। इसके साथ मेडिकल स्टॉफ मरीजों का उपचार करने की जगह उनको और बीमारियां देता हुआ दिखाई दिया। यह  कायाकल्प की टीम के सदस्यों का कहना था। जिसको उत्तर प्रदेश टाइम्स ने प्रमुखता के साथ प्रसारित किया था। उत्तर प्रदेश टाइम्स की खबर के बाद जिला अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया। 

मीडिया पर पाबंदी की चर्चाएं तेज
जिला अस्पताल के एसआईसी डॉक्टर राजेंद्र अरोड़ा बौखलाए हुए हैं। उत्तर प्रदेश टाइम्स एवं अन्य मीडिया समूहों द्वारा जिला अस्पताल की खबरें प्रकाशित और प्रसारित करना उनको पसंद नहीं आया। प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर अरोड़ा अब लोगों से रायशुमारी कर रहे हैं। वह लोगों से पूछ रहे हैं कि आखिर जिला अस्पताल में मीडिया पर किस तरीके से विराम लगाया जा सकता है, जिससे जिला अस्पताल की खबरें बाहर ना जा सकें। डॉ. राजेंद्र अरोड़ा अपने मातहतों एवं अन्य लोगों से पूछ रहे हैं कि मीडिया के लोगों को जिला अस्पताल में कहां कहां जाने से रोक सकते हैं। यही नहीं, क्या मीडिया की ख़बरों को लेकर कार्रवाई भी की जा सकती है। ऐसी तमाम चर्चाएं जिला अस्पताल में चल रहीं हैं। 

कभी भी गिर सकते हैं भवन
जिला अस्पताल परिसर में बने आवासों की स्थिति इतनी भयावह है कि कभी भी धराशायी हो सकते हैं। ऐसे ही अन्य जर्जर भवनों को जिला अस्पताल प्रशासन द्वारा गिराया जा चुका है, लेकिन अभी भी कई ब्लॉक ऐसे हैं, जिनमें मेडिकल स्टॉफ अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। इन आवासों में करीब एक दर्जन से अधिक कर्मचारी और चिकित्सक निवास कर रहे हैं। चिकित्सकों एवं कर्मचारियों ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि यह आवास ऐसे हैं कि अगर हम रात को सो रहे हैं तो संभव है कि हम सुबह जिंदा ही न मिलें। बावजूद इसके हमें मजबूरन यहां पर रहना पड़ रहा है। इन आवासों के रहते हुए हमारा HRA भी कटता है। उत्तर प्रदेश टाइम्स की टीम जब इन आवासों के निरीक्षण के लिए पहुंची तो देखकर दंग रह गई, हालात ऐसे थे कि कभी भी भवन धराशायी हो सकते हैं। सभी भवन जर्जर हालत में हैं। 

जर्जर भवन छोड़ दें डॉक्टर और स्टाफ
जिला अस्पताल परिसर में बने इन जर्जर एवं जीर्ण शीर्ण भवनों को लेकर जब यूपीटी ने एसआईसी डॉक्टर राजेंद्र अरोड़ा से बात की तो उन्होंने कहा कि कर्मचारी और चिकित्सकों के इन भवनों को लेकर ही इंजीनियर से बात चल रही है। हमने शासन को लिखकर भेज दिया है कि यह आवास रहने योग्य नहीं हैं। मैंने अपना काम कर दिया है। जब मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर राजेंद्र अरोड़ा से पूछा गया कि आवास में रह रहे चिकित्सकों एवं कर्मचारियों के साथ हादसा हो जाता है तो किसकी जिम्मेदारी होगी। इस पर डॉक्टर राजेंद्र अरोड़ा ने साफ कहा कि यह मेरा काम नहीं है। मैं अपना काम कर चुका हूं। यानी जर्जर भवनों में रह रहे चिकित्सकों एवं कर्मचारियों के साथ कोई हादसा हो जाता है या अनहोनी हो जाती है तो एसआईसी इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं, चिकित्सकों एवं स्टॉफ को चाहिए कि वह खुद इन जर्ज़र भवनों को छोड़ दें।

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