एएमयू में विदेशी छात्रों की संख्या घटने का मुख्य कारण महंगी फीस और सुचारु आवागमन व्यवस्था की कमी को बताया जा रहा है। पुणे और दिल्ली में बेहतर ट्रांसपोर्ट सुविधा और सस्ती शिक्षा विदेशी छात्रों को ज्यादा आकर्षित कर रही है।
AMU में घटी विदेशी छात्रों की संख्या : 2024-25 में 26 देशों के 170 विदेशी छात्रों ने ही लिया दाखिला, इस वजह से हो रही कमी
Dec 08, 2024 11:34
Dec 08, 2024 11:34
पांच साल का आंकड़ा
सत्र 2023-24 में एएमयू में 19 देशों के 178 विदेशी छात्रों ने दाखिला लिया। इनमें 76 छात्राएं थीं। इन छात्रों में स्नातक के लिए 52, परास्नातक के लिए 35, और 91 शोधार्थी शामिल थे। वहीं, 2024-25 में 26 देशों के 170 छात्रों ने दाखिला लिया, जिनमें 49 छात्राएं थीं। इस साल स्नातक छात्रों की संख्या 57, परास्नातक में 44, और शोधार्थियों की संख्या 69 रही। वर्ष 2021-22 में यह संख्या 253 थी, जिसमें 84 छात्राएं और 146 शोधार्थी शामिल थे। बीते पांच वर्षों में न्यूजीलैंड, जर्मनी, लीबिया, कजाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे देशों के छात्रों ने एएमयू से दूरी बना ली है।
महंगी फीस और सुचारु व्यवस्था की कमी प्रमुख कारण
एएमयू में विदेशी छात्रों की संख्या घटने का मुख्य कारण महंगी फीस और सुचारु आवागमन व्यवस्था की कमी को बताया जा रहा है। पुणे और दिल्ली में बेहतर ट्रांसपोर्ट सुविधा और सस्ती शिक्षा विदेशी छात्रों को ज्यादा आकर्षित कर रही है। इसके अलावा, कई निजी विश्वविद्यालय विदेशी छात्रों को कम फीस और आधुनिक सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं, जिससे वे एएमयू के मुकाबले ज्यादा लोकप्रिय हो गए हैं।
पांच फीसदी सीटों का आरक्षण
एएमयू ने विदेशी छात्रों के लिए प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में पांच फीसदी सीटों का आरक्षण रखा है। सामान्य डिग्री और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में भी सीटें आरक्षित हैं। इसके बावजूद विदेशी छात्रों की संख्या में गिरावट बनी हुई है।
छात्रवृत्ति की कमी एक और समस्या
एएमयू के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के सलाहकार प्रो. सैयद अली नवाज जैदी ने बताया कि विदेशी छात्रों को उनके अपने देशों से छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है, जिससे एएमयू में पढ़ाई उनके लिए कठिन हो रही है। उन्होंने बताया कि पुणे और दिल्ली जैसे शहर विदेशी छात्रों के लिए सुविधाजनक हैं, क्योंकि यहां से उनके देश जाने का मार्ग आसान है।
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