पं.दीनदयाल उपाध्याय की स्मृति में मेला : सनातन संस्कृति और सद्भावना का संदेश दिया, हिंदू संगठनों का धर्म की महत्ता पर जोर

UPT | मंच पर विराजमान सतपाल महाराज व अन्य।

Sep 29, 2024 22:51

फरह स्थित दीनदयाल धाम में एकात्मवाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की स्मृति में मेले का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर विभिन्न हिंदूवादी संगठनों ने सनातन धर्म और इसकी महत्ता पर जोर दिया।

Mathura News : फरह स्थित दीनदयाल धाम में एकात्मवाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की स्मृति में मेले का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर विभिन्न हिंदूवादी संगठनों ने सनातन धर्म और इसकी महत्ता पर जोर दिया। मेले के पहले दिन सद्भावना सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें उत्तराखंड सरकार के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने अपने विचार रखे और सनातन धर्म की अनंतता पर बल दिया। 

सनातन धर्म को खत्म नहीं किया जा सकता : सतपाल महाराज
सद्भावना सम्मेलन में संत सतपाल महाराज ने कहा कि सनातन धर्म कभी समाप्त नहीं हो सकता, और इसे मिटाने के जो भी प्रयास किए जा रहे हैं, उनसे हमें सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे प्रसाद के लड्डुओं में मिलावट करके हमारी संस्कृति पर हमला किया जा रहा है, वैसे ही कुछ लोग सनातन धर्म को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, यह धर्म इतना प्राचीन और मजबूत है कि इसे कोई खत्म नहीं कर सकता।

सद्भावना और विश्व शांति की आवश्यकता
सतपाल महाराज ने इजराइल और यूक्रेन के संघर्ष का उल्लेख करते हुए कहा कि हथियारों की दौड़ और युद्ध से किसी का भला नहीं हो सकता। हमें दुनिया को शांति और सद्भावना के मार्ग पर लाने की आवश्यकता है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए कहा कि विवेकानंद ने अमेरिका में अपने ऐतिहासिक भाषण में लोगों को "भाइयों और बहनों" कहकर संबोधित किया था, जिससे भारत की सद्भावना और एकता का संदेश पूरे विश्व में पहुंचा।

अध्यात्म से ही सद्भावना संभव
महाराज ने बताया कि सद्भावना का वास्तविक स्रोत अध्यात्म है, और अध्यात्म हमें प्रेम और भक्ति से प्राप्त होता है। जब हमारी लगन मजबूत होती है, तब हमें परमात्मा की प्राप्ति होती है। राम और शबरी की कथा भी प्रेम और समर्पण का प्रतीक है, जो हमें सिखाती है कि प्रेम और अध्यात्म के मार्ग पर चलकर ही हम इस दुनिया को बेहतर बना सकते हैं।

भारत की संस्कृति का वैश्विक प्रभाव
सतपाल महाराज ने कहा कि भारत की संस्कृति का प्रभाव केवल देश तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका विस्तार कंबोडिया, बाली, सिंगापुर जैसे देशों में भी देखने को मिलता है। अध्यात्म को समझने और अपनाने के लिए हमें अध्यात्मिक शिक्षकों के मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्मवाद
सतपाल महाराज ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के सिद्धांतों को सराहा और कहा कि यह हमें सद्भावना का संदेश देता है। उन्होंने क्षेत्र प्रचार प्रमुख महेंद्र शर्मा द्वारा परखम में बनाए जा रहे गौ अनुसंधान केंद्र की भी प्रशंसा की।

भारी भीड़ और श्रद्धा
सतपाल महाराज के प्रवचनों को सुनने के लिए आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में लोग आए। पंडाल उनके समर्थकों और अनुयायियों से खचाखच भरा हुआ था। इससे पहले, सतपाल महाराज ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

उनके सिद्धांतों से हमें प्रेरणा मिल रही 
महाराज ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान पंडित दीनदयाल उपाध्याय के मार्गदर्शन को सराहा और कहा कि उनके सिद्धांतों से हमें प्रेरणा मिल रही है। उन्होंने अंत्योदय के विचार और समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचाने की दिशा में उनके योगदान की प्रशंसा की और कहा कि उनके सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।

सद्भावना सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म के प्रति जागरूकता फैलाना था 
दीनदयाल धाम में आयोजित इस मेले और सद्भावना सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म के प्रति जागरूकता फैलाना और समाज में सद्भावना का संदेश देना था। सतपाल महाराज ने अपने विचारों के माध्यम से धर्म, अध्यात्म और सामाजिक समरसता पर जोर दिया, जो पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों के अनुरूप है। 

Also Read