Mathura News : बर्ड सेंचुरी की तर्ज़ पर विकसित हो रहा जोधपुर झाल, ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष ने किया निरीक्षण

UPT | मौके पर अधिकारी

Nov 29, 2024 17:28

मथुरा, आगरा और भरतपुर के बीच स्थित जोधपुर झाल को बर्ड सेंचुरी के रूप में विकसित किया जा रहा है। शुक्रवार को उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र ने जोधपुर झाल का निरीक्षण किया। उन्होंने निर्माण कार्य और अन्य व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

Mathura News : उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद मथुरा, आगरा और भरतपुर के बीच जोधपुर झाल को बर्ड सेंचुरी के रूप में विकसित करने जा रहा है। फरह के निकट 64 हेक्टेयर में फैला जोधपुर झाल पिछले कुछ वर्षों में देशी-विदेशी पक्षियों की पसंद बन गया है। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद की ओर से धार्मिक नगरी मथुरा और ताज नगरी आगरा आने वाले पर्यटकों के लिए फरह के निकट जोधपुर झाल वेटलैंड विकसित किया जा रहा है। टर्मिनल नहर और सिकंदरा रजवाहे के बीच करीब चार किलोमीटर की परिधि में फैले जोधपुर झाल वेटलैंड के प्राकृतिक स्वरूप को संरक्षित किया जा रहा है। इसके लिए इको-सिस्टम विकसित किया गया है। प्रवासी पक्षियों के अनुकूल आवास विकसित किए जा रहे हैं। 

आवासीय पक्षियों के प्रजनन को बढ़ाने और संरक्षित करने के लिए झाल में घना जंगल भी विकसित किया जाएगा। फरवरी तक यहां सिविल वर्क पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद ग्रीन बेल्ट विकसित की जाएगी। यहां 2200 रनिंग मीटर का नेचर वॉक के साथ ही 7 वाटर बॉडी, 13 आईलैंड और 13 हट्स भी विकसित की जाएंगी।

शुक्रवार को जोधपुर झाल का निरीक्षण उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र ने किया। उन्होंने यहां निर्माण कार्य व अन्य व्यवस्थाएं देखीं। पर्यावरण विशेषज्ञ मुकेश कुमार शर्मा व पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह के सुझाव पर कार्यदायी संस्था के अधिकारियों को कुछ आवश्यक सुधारात्मक दिशा-निर्देश भी दिए। इस अवसर पर विकास प्राधिकरण के इंजीनियर भी मौजूद रहे।

पर्यटको के लिए तैयार हो रही सुविधाएं
पर्यावरण सलाहकार मुकेश शर्मा ने बताया कि जोधपुर झाल पर पर्यटकों के लिए मूलभूत सुविधाएं तैयार की जा रही हैं। इसमें वॉच टावर, जैव विविधता अध्ययन केंद्र, ईको टूरिज्म के लिए स्थानीय युवाओं के लिए नेचर गाइड की ट्रेनिंग सुविधा, सेमिनार हॉल, पार्किंग, कैंटीन और शौचालय आदि शामिल हैं। इस पर करीब 8.66 करोड़ रुपये की लागत आ रही है।

जोधपुर झाल में आने वाले प्रवासी पक्षी
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी के पक्षी विशेषज्ञ डॉ. के.पी. सिंह ने बताया कि जोधपुर झाल वेटलैंड में स्थलीय एवं जलीय प्रवासी पक्षी आते हैं। प्रमुख पक्षियों में ग्रेटर फ्लेमिंगो, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन पोचार्ड, कॉटन पिग्मी गूज, बार-हेडेड गूज, पाइड एवोसेट, नॉर्दर्न शोवलर, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट, टफटेड डक, ब्लूथ्रोट, कॉमन टील, नॉर्दर्न पिंटेल, ग्रेलैग गूज, रूडी शेल्डक, मैलार्ड, यूरेशियन कूट, यूरेशियन विजन, सिट्रीन वैगटेल, जैकोबिन कोयल, यूरेशियन स्पूनबिल, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल, ब्लिथ्स रीड वार्बलर, पेंटेड स्टॉर्क, व्राइनेक आदि शामिल हैं।

जोधपुर झाल पर 184 प्रजातियां रिकॉर्ड
जोधपुर झाल में पक्षियों की 184 प्रजातियां दर्ज की गई हैं, जिनमें से 142 आवासीय प्रजातियां हैं और 50 प्रवासी प्रजातियां हैं, जो पूरे वर्ष दिखाई देती हैं। आईयूसीएन रेड डाटा सूची के अनुसार, जोधपुर झाल में लुप्तप्राय और संकटग्रस्त पक्षियों की 15 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से 50 से अधिक प्रजातियां जोधपुर झाल में प्रजनन करती हैं। इनमें सारस क्रेन, ब्लैक-ब्रेस्टेड वीवर, स्ट्रीक्ड वीवर, बया वीवर, गोल्डन ओरिओल, वूली-नेक्ड स्टॉर्क, स्ट्रॉबेरी फिंच, सिल्वरबिल, स्केली ब्रेस्टेड मुनिया, ट्राइकलर मुनिया, ग्रीन बी-ईटर, इंडियन रोलर, ग्रे हॉर्नबिल, कॉपर स्मिथ बारबेट, ब्लैक फ्रैंकलिन, लेसर व्हिसलिंग डक, पिजन टेल्ड जैकाना, ब्रॉन्ज विंग्ड जैकाना, स्पॉट-बिल्ड डक

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