बदायूं जामा मस्जिद विवाद : अधिवक्ता के निधन के कारण टली सुनवाई, अगली तारीख 17 दिसंबर

UPT | बदायूं जामा मस्जिद

Dec 10, 2024 13:19

बदायूं के जामा मस्जिद और नीलकंठ महादेव मंदिर के विवाद में जिला बार के एक अधिवक्ता के निधन के कारण अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहे, जिससे सुनवाई को टालना पड़ा। अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।

Badaun News : बदायूं के जामा मस्जिद और नीलकंठ महादेव मंदिर के विवाद में मंगलवार को निर्धारित सुनवाई नहीं हो सकी। इस विवाद में जिला बार के एक अधिवक्ता के निधन के कारण अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहे, जिससे सुनवाई को टालना पड़ा। अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।

अधिवक्ता के निधन के कारण सुनवाई टल गई
इसके बाद से जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी की ओर से 30 नवंबर 2024 से बहस शुरू की गई थी। इस बहस में जामा मस्जिद की प्रशासनिक समिति ने अपनी दलीलें पेश कीं। 3 दिसंबर को सुनवाई हुई, जिसके बाद अगली सुनवाई के लिए 10 दिसंबर की तारीख तय की गई थी। लेकिन, दुर्भाग्यवश, एक अधिवक्ता के निधन के कारण सुनवाई टल गई। अब अदालत ने मामले की सुनवाई 17 दिसंबर 2024 को तय की है।

कैसे शुरू हुआ विवाद
इस विवाद की शुरुआत वर्ष 2022 में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल द्वारा दायर एक याचिकासे हुई थी। मुकेश पटेल ने कोर्ट में यह दावा किया था कि नीलकंठ महादेव मंदिर को तोड़कर उस स्थान पर जामा मस्जिद का निर्माण किया गया था। उनके द्वारा दायर किए गए इस वाद को लेकर अब तक कोर्ट में कई पक्षों की ओर से बहस की जा चुकी है।


यह है पूरा मामला
आपको बता दें कि 2 सितंबर 2022 को बदायूं सिविल कोर्ट में भगवान नीलकंठ महादेव महाकाल (ईशान शिव मंदिर), मोहल्ला कोट (मौलवी टोला) की तरफ से एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, बदायूं कलेक्टर और प्रदेश के मुख्य सचिव को पार्टी बनाया गया था। याचिका में यह दावा किया गया कि वर्तमान में स्थित बदायूं की जामा मस्जिद की जगह पहले नीलकंठ महादेव का मंदिर हुआ करता था।

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जामा मस्जिद के खिलाफ कोर्ट में बहस
इंतजामिया कमेटी के वकील अनवर आलम ने कहा कि यह मुकदमा सुनवाई के लायक नहीं है और केवल माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। उनका कहना था कि इस मामले में कोई वास्तविकता नहीं है। वहीं, हिंदू महासभा के वकील विवेक रेंडर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह मामला सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर कोर्ट में बहस चल रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि मुस्लिम पक्ष का दावा सही है और वहां का अस्तित्व स्पष्ट है, तो फिर सर्वे से क्यों डर रहे हैं?

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