नीलकंठ महादेव बनाम जामा मस्जिद विवाद : मामले में आज होगी सुनवाई, पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट आई

UPT | जामा मस्जिद विवाद

Nov 30, 2024 12:54

बदायूं में नीलकंठ महादेव मंदिर से संबंधित जामा मस्जिद के मामले में आज यानी 30 नवंबर को सुनवाई होने वाली है। यह मामला सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश अमित कुमार की अदालत में सुनवाई हो रही...

Budaun News : बदायूं में नीलकंठ महादेव मंदिर से संबंधित जामा मस्जिद के मामले में आज यानी 30 नवंबर को सुनवाई होने वाली है। यह मामला सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश अमित कुमार की अदालत में सुनवाई हो रही है। यह मुकदमा अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल द्वारा 2022 में दायर किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि जामा मस्जिद में नीलकंठ महादेव मंदिर स्थित है। इस मामले में सरकार की ओर से बहस पूरी हो चुकी है।

पिछली सुनवाई वकीलों की हड़ताल के कारण टली
पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट भी इस मामले में पेश की जा चुकी है। अब जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी और वक्फ बोर्ड इस मामले के प्रतिवादी संख्या एक और दो हैं, जो अपनी बहस करेंगे। इन दोनों के पक्ष से बहस की शुरुआत वादी पक्ष की बहस के बाद होगी। सुनवाई का मुख्य मुद्दा यह है कि क्या यह मामला सुनवाई के लिए योग्य है या नहीं। इस मामले की पिछली तारीख 19 नवंबर को तय की गई थी, लेकिन वकीलों की हड़ताल के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। अब 30 नवंबर को इस मामले की सुनवाई होनी है।



यह है पूरा मामला
बता दें कि सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला सोथा स्थित जामा मस्जिद को नीलकंठ महादेव का मंदिर होने का दावा किया गया है। यह दावा अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल ने किया है, जिन्होंने कोर्ट में कई साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं, जिनमें जामा मस्जिद को नीलकंठ महादेव मंदिर बताया गया है।

ऐतिहासिक पुस्तकों का दिया हवाला
मुकेश पटेल ने अपनी याचिका में ऐतिहासिक पुस्तकों का हवाला दिया है, जिनमें इस तथ्य का उल्लेख किया गया है कि यह स्थल पहले नीलकंठ महादेव मंदिर था। इसके अलावा, सूचना और जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रकाशित एक पुस्तक में भी इस इतिहास को तर्कसंगत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। मुकेश पटेल ने यह भी बताया कि देश पर आक्रमण करने वाले राजाओं से संबंधित ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए यह साबित करने की कोशिश की गई है कि पहले यहां भगवान महादेव का मंदिर था, जिसे तोड़कर बाद में जामा मस्जिद बनाई गई।

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