कचरे के ढेर में जिंदगी : बरेली स्मार्ट सिटी के स्वच्छता मिशन पर बाकरगंज दाग, सांस लेना मुश्किल, कूड़े के पहाड़ देखकर चौंक जाएंगे आप

UPT | कूड़े के पहाड़

Sep 27, 2024 12:57

लखनऊ में आपको "आप मुस्कराइए-लखनऊ में हैं" का स्लोगन जगह-जगह मिलेगा। मगर, बरेली में बिल्कुल उलट है। यहां "आप नाक दबाइए, क्योंकि बरेली में हैं ?"। शहर के बकरागंज में गंदगी के ढेरों के बीच सांस लेना मुश्किल है। हालांकि, बरेली स्मार्ट सिटी है। यहां भी स्वच्छता मिशन के नाम पर करोड़ों रूपये का बजट ठिकाने लग चुका है। नगर निगम सफाई को लेकर लंबे-लंबे वायदे और प्लान करता है। मगर, शहर का बाकरगंज स्मार्ट सिटी के नाम पर बदनुमा दाग है।

Bareilly News : यूपी की राजधानी लखनऊ में आपको "आप मुस्कराइए-लखनऊ में हैं" का स्लोगन जगह-जगह मिलेगा। मगर, बरेली में बिल्कुल उलट है। यहां "आप नाक दबाइए, क्योंकि बरेली में हैं ?"। शहर के बकरागंज में गंदगी के ढेरों के बीच सांस लेना मुश्किल है। हालांकि, बरेली स्मार्ट सिटी है। यहां भी स्वच्छता मिशन के नाम पर करोड़ों रूपये का बजट ठिकाने लग चुका है। नगर निगम सफाई को लेकर लंबे-लंबे वायदे और प्लान करता है। मगर, शहर का बाकरगंज स्मार्ट सिटी के नाम पर बदनुमा दाग है। यहां के कूड़े पहाड़ देखकर आप भी चौक जाएंगे। इसकी बदबू और बजबजाती गंदगी के बीच रहते इंसानों की तकलीफ को कोई देखने वाला नहीं।

गंदगी का मिलेगा खिताब
शहर के बाकरगंज के लोगों का कहना है कि अगर बरेली नगर निगम के अफसर कूड़े के पहाड़ों की फोटो वेबसाइट पर डाल दें, तो शायद बरेली को Most Dirty Place In The World का खिताब जरूर मिल सकता है। यह सेलिब्रेट का मौका है। इससे दुनिया में नाम कमाया जा सकता है। बरेली यूपी का एक बड़ा शहर है। शहर की आबादी में निरंतर वृद्धि हो रही है। 2011 जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 9,43539 थी, जो 2024 तक बढ़कर लगभग 13,80715 हो गई है। इसी वृद्धि के चलते बाकरगंज, जो पहले शहर का बाहरी इलाका था। अब रिहायशी क्षेत्र बन गया है, लेकिन इस विकास की एक कड़वी सच्चाई भी है। यहां का कचरा और असुविधाएं।

सियासी भेंट चढ़ा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट 
शहर के शाहजहांपुर रोड पर रजऊ के पास वर्ष 2002 में नगर निगम के कूड़े के निस्तारण को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगा था। मगर, वह सियासत की भेंट चढ़ गया। जिसके चलते नहीं चल पाया।

झुमका नहीं, अब कूड़े का शहर
शहर के विकास के साथ-साथ बाकरगंज में लोगों ने बसना शुरू किया, लेकिन सुविधाएं नहीं मिलीं। कई लोग कचरे के ढेर पर ही रहने को मजबूर हैं। बरेली शहर का नाम जब भी कोई सुनता है तो उसके जहन में सबसे पहला ख्याल "झुमके"का आता है, जो कि (महिलाओं के पसंद का एक आभूषण) है। वैसे, तो इस शहर में झुमके के अलावा सुर्मा, पतंग की डोर (मांझा), बांस और फर्नीचर आदि भी प्रमुख है। इसकी मांग पूरी दुनिया में है, लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं। जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता। ऐसा ही एक क्षेत्र है बरेली शहर का बाकरगंज क्षेत्र। यह क्षेत्र शहर के बाहरी हिस्से में बसा है, जो नगर निगम के दायरे में आता है। जिसमें घनी आबादी बसी हुई है। इसी घनी आबादी में बसा हुआ है एक पहाड़, जो सामान्य पहाड़ नहीं, बल्कि कूड़े का ढेर है। जिसने पहाड़ का रुप ले लिया है। इसी पहाड़ी के एक किनारे में बसा है बाकरगंज, जहां लोगों ने घर तो बना लिए हैं।

सैकड़ों बार हुए सर्वे
करीब दो वर्ष पहले द मूकनायक की टीम ने इस जगह का दौरा कर यहां रह रहे लोगों से उनकी स्थिति जानने की कोशिश की। हालांकि, तमाम सर्वे हो चुके हैं। स्वास्थ्य पहलू पर बात करते हुए डॉक्टर का कहना है कि इस कूड़े के पहाड़ के कारण यहां का पानी इतना दूषित है। यहां लगभग हर व्यक्ति को पेट की समस्या है। कितने लोग तो पानी से होने वाली बीमारी के कारण इस दुनिया से ही चल बसे हैं, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं देता है। कूड़ा डिस्पोज करने के लिए जो कारखाना बनाया गया है। वह कारगर नहीं, वह भी आए दिन खराब रहता है। गंदगी इतनी है कि इसका असर बच्चों पर भी होता है। आएं दिन यहां के बच्चों को मलेरिया, हैजा जैसी बीमारियां हो जाती हैं, लेकिन लोगों के पास यहां रहने की मजबूरी है। वह घर छोड़कर कहीं जा नहीं सकते हैं। इसलिए यहीं रहने के लिए मजबूर हैं।

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