बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (बीयू) ने बीएमएलटी (बैचलर ऑफ साइंस इन मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी) कोर्स में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा अनिवार्य कर दी है। पहले, इस कोर्स में प्रवेश मेरिट के आधार पर होता था।
Apr 28, 2024 10:47
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (बीयू) ने बीएमएलटी (बैचलर ऑफ साइंस इन मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी) कोर्स में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा अनिवार्य कर दी है। पहले, इस कोर्स में प्रवेश मेरिट के आधार पर होता था।
Jhansi News : बीएमएलटी में दाखिला लेने वालों के लिए एक काम की खबर है। दरअसल, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (BU) में बीएमएलटी (Bachelor of Science in Medical Laboratory Technology) कोर्स में प्रवेश के लिए अब छात्रों को परीक्षा देनी होगी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह फैसला इस कोर्स में प्रवेश के लिए बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा को देखते हुए लिया है। बीयू कैंपस और उससे जुड़े कॉलेजों में संचालित 108 व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इन कोर्सों में प्रवेश के लिए छात्र बीयू की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।
प्रवेश के लिए हागी परीक्षा
इनमें से कई पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा अनिवार्य है, जबकि कुछ में मेरिट के आधार पर प्रवेश दिया जाता है। पिछले साल तक, बीएमएलटी कोर्स में भी मेरिट के आधार पर सीधे प्रवेश मिलता था। लेकिन इस साल, बीयू प्रशासन ने इस पाठ्यक्रम के लिए भी प्रवेश परीक्षा अनिवार्य कर दी है। कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने बताया कि "इस कोर्स में प्रवेश के लिए छात्रों में काफी होड़ रहती है। इसलिए अब प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा।"
बीएमएलटी कोर्स के बारे में
बीएमएलटी 40 सीटों वाला साढ़े तीन साल का कोर्स है। इस कोर्स की फीस 53,000 रुपये है। बायोलॉजी से इंटरमीडिएट या इसके समकक्ष परीक्षा में 50% अंक प्राप्त करने वाले छात्र इस कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग के छात्रों को 5% तक की छूट मिलेगी।
यह बदलाव क्यों महत्वपूर्ण है?
यह बदलाव उन छात्रों के लिए फायदेमंद होगा जो मेरिट के आधार पर प्रवेश नहीं ले पाते थे। प्रवेश परीक्षा सभी छात्रों को समान अवसर प्रदान करेगी और योग्यतम उम्मीदवारों का चयन करेगी।
विद्यार्थियों की प्रतिक्रिया
इस बदलाव को लेकर विद्यार्थियों की प्रतिक्रिया मिश्रित है। कुछ छात्रों का मानना है कि यह बदलाव उचित है, जबकि अन्य का मानना है कि इससे मेहनती छात्रों पर बोझ बढ़ेगा।