Dec 13, 2024 09:40
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स्मार्ट सिटी के दावों के बावजूद, झांसी का ऐतिहासिक लक्ष्मीताल अभी भी अधूरा है। 39.49 करोड़ रुपये की भारी भरकम लागत से किए गए सुंदरीकरण कार्य के बावजूद, ताल में मोटर बोट का संचालन शुरू नहीं हो पाया है। ताल की खूबसूरती पर जलकुंभी ने ग्रहण लगा दिया है और पार्क भी उपेक्षित पड़े हैं।
Jhansi News : स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत लक्ष्मीताल के सुंदरीकरण पर 39.49 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन ताल में अभी तक मोटर बोट नहीं चल पाई है। जलकुंभी से भरा ताल प्रशासनिक लापरवाही की कहानी बयां कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में मामला विचाराधीन होने की वजह से टेंडर जारी नहीं किया जा सका है। अब 17 मार्च 2025 को एनजीटी की सुनवाई के बाद आदेश जारी होने की उम्मीद है।
काम पूरा, लेकिन सुविधाएं अधूरी
लक्ष्मीताल के सुंदरीकरण का काम 28 जून 2021 को शुरू हुआ था और 3 जनवरी 2023 को इसे पूरा कर दिया गया। ताल के चारों ओर दो किलोमीटर लंबी बाउंड्रीवाल बनाई गई, बोटिंग प्लाजा का निर्माण हुआ, चार पार्क विकसित किए गए, सीसीटीवी कैमरे और स्ट्रीट लाइटें लगाई गईं। ताल के बीच रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा भी स्थापित की गई। बावजूद इसके, न तो बोटिंग शुरू हुई और न ही पार्क का रखरखाव सही तरीके से किया गया। परिणामस्वरूप, ताल में जलकुंभी और पार्क में घास ने हालात बिगाड़ दिए हैं।
एनजीटी में मामला लंबित
स्मार्ट सिटी के एसीईओ मो. कमर के अनुसार, दो साल पहले लक्ष्मीताल के संबंध में एनजीटी में कुछ लोगों ने केस दायर किया था। इस कारण मोटर बोट संचालन के लिए टेंडर जारी नहीं हो सका। 17 मार्च 2025 को अगली सुनवाई निर्धारित है, जिसके बाद आदेश के अनुसार प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
लक्ष्मीताल पर हुए ये मुख्य कार्य
- ई-व्हीकल और मोटर बोट की खरीद।
- आकर्षक लाइटों के साथ वॉटर फाउंटेन।
- लोगों के बैठने के लिए बेंच।
- चारों तरफ पाथवे का निर्माण।
सुंदरीकरण पर सवाल
लक्ष्मीताल के सुंदरीकरण पर करोड़ों रुपये खर्च हुए, लेकिन रखरखाव और योजना के अधूरे क्रियान्वयन ने स्थानीय लोगों को निराश किया है। अब सभी की नजरें एनजीटी के आगामी आदेश पर टिकी हैं, जिससे ताल में मोटर बोट संचालन और रखरखाव की समस्याओं का समाधान हो सके।