69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामला : केशव प्रसाद मौर्य ने अपने बयान से चौंकाया, विपक्ष ने साधा निशाना

UPT | उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य

Aug 17, 2024 21:09

हाईकोर्ट के 69 हजार शिक्षकों की चयन सूची रद्द किए जाने फैसले पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयान ने विपक्ष को चौंका दिया है। उपमुख्यमंत्री ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के फैसले का स्वागत कर जहां, आरक्षित वर्ग के साथ खड़े रहने का संदेश दिया।

Lucknow News :  हाईकोर्ट के 69 हजार शिक्षकों की चयन सूची रद्द किए जाने के फैसले पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयान ने विपक्ष को चौंका दिया है। उपमुख्यमंत्री ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के फैसले का स्वागत कर जहां, आरक्षित वर्ग के साथ खड़े रहने का संदेश दिया। वहीं, सपा और बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की। हाई कोर्ट के निर्णय और केशव मौर्य के बयान के बाद विपक्ष भाजपा सरकार पर हमलावर हो गया।

केशव मौर्य ने हाईकोर्ट के फैसले का किया स्वागत
हाई कोर्ट का फैसले के बाद केशव मौर्य ने एक्स पर लिखा-शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में स्वागत योग्य कदम है। यह उन पिछड़ा व दलित वर्ग के पात्रों की जीत है जिन्होंने अपने अधिकार के लिए लंबा संघर्ष किया। उनका मैं तहेदिल से स्वागत करता हूं।

69000 शिक्षक भर्ती भाजपा के भ्रष्टाचार की शिकार
उप मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद विपक्ष ने भाजपा सरकार पर तीखे हमले शुरू कर दिए। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा कि 69000 शिक्षक भर्ती भी आखिरकार भाजपाई घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकार साबित हुई। यही हमारी मांग है कि नए सिरे से न्यायपूर्ण नयी सूची बने, जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियां संभव हो सकें और प्रदेश में भाजपा काल में बाधित हुई शिक्षा-व्यवस्था पुनः पटरी पर आ सके। हम नयी सूची पर लगातार निगाह रखेंगे और किसी भी अभ्यर्थी के साथ कोई हकमारी या नाइंसाफी न हो, ये सुनिश्चित करवाने में कंधे-से-कंधा मिलाकर अभ्यर्थियों का साथ निभाएंगे। ये अभ्यर्थियों की संयुक्त शक्ति की जीत है। सभी को इस संघर्ष में मिली जीत की बधाई और नव नियुक्तियों की शुभकामनाएं।

यूपी सरकार ने ईमानदारी से नहीं किया अपना काम
बसपा सुप्रीमो ने भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए एक्स पर लिखा- यूपी में 2019 में चयनित 69 हजार शिक्षक अभ्यार्थियों की चयन सूची को रद्द करके तीन महीने के अन्दर नई सूची बनाने के हाईकोर्ट के फैसले से साबित होता है कि कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता व ईमानदारी से नहीं किया है। इस मामले में खासकर आरक्षण वर्ग के पीड़ितों को न्याय मिलना सुनिश्चित हो। इसके बाद मायावती ने लिखा कि वैसे भी सरकारी नौकरियों की भर्तियों में पेपर लीक के मामले में यूपी सरकार का रिकार्ड भी पाक-साफ नहीं होने पर यह काफी चर्चाओं में रहा है। अब सहायक शिक्षकों की सही बहाली नहीं होने से शिक्षा व्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ना स्वाभाविक। सरकार इस ओर जरूर ध्यान दे।

भाजपा सरकार पर न्यायालय का चाबुक चलने से अभ्यर्थियों को मिला इंसाफ
यूपी कांग्रेस ने एक्स पर लिखा कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में भी आखिरकार भाजपा सरकार का घोटाला साबित हो ही गया। इस भर्ती की नई सूची बनाई जानी चाहिए, जिसमें हर अभ्यर्थी के साथ न्याय हो सके। भाजपा सरकार पर उच्च  न्यायालय का चाबुक चलने से अभ्यर्थियों को इंसाफ मिलने के साथ ही प्रदेश की बिगड़ चुकी शिक्षा व्यवस्था में भी सुधार होगा। इस तानाशाह सरकार के खिलाफ हजारों युवाओं के हक़-हुक़ूक़ की लड़ाई लड़ने वाले सभी युवा बधाई के पात्र हैं। उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं।

शिक्षकों की भर्ती सूची हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने की निरस्त
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सहायक शिक्षक भर्ती-2019 में चयनित 69 हजार अभ्यर्थियों की सूची को रद कर नई सूची बनाने का निर्देश दिया है। सरकार और अन्य संबंधितों को आदेश दिया गया है कि तीन माह में नई सूची जारी कर दी जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने आरक्षित वर्ग के 6,800 अभ्यर्थियों कि की सूची खारिज करने के एकल पीठ के फैसले को बरकरार रखा है। 69 हजार अभ्यर्थियों की चयन सूची एक जून 2020 को जारी हुई थी, जबकि 6,800 अभ्यर्थियों की सूची पांच जनवरी 2022 को जारी हुई थी। इसके बाद से इस पर विवाद चल रहा था। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले से योगी सरकार को झटका लगा है।

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