शैक्षिक प्रशासन का नया मोड़ : बीईओ की प्रधानाचार्य बनने की राह हुई आसान, पढ़िए पूरी खबर

UPT | शिक्षा भवन

Sep 27, 2024 11:45

जीआईसी में प्रधानाचार्य का पद राजपत्रित (गजेटेड) होता है। इस पद के 50 प्रतिशत पदों को सीधी भर्ती के माध्यम से भरा जाता है। प्रधानाचार्य की सीधी भर्ती उत्तर प्रदेश पीसीएस (प्रोविंशियल सिविल सर्विसेज) के साथ की जाती है।

Lucknow News : बेसिक शिक्षा परिषद के तहत तैनात खंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है, जिसमें अब उन्हें पदोन्नति के माध्यम से राजकीय इंटर कॉलेजों (जीआईसी) के प्रधानाचार्य बनने का अवसर मिलेगा। इसके लिए शासन ने नियमावली तैयार कर ली है और इसे उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की स्वीकृति के लिए भेजा गया है। यूपीपीएससी से स्वीकृति मिलते ही इस प्रक्रिया को औपचारिक रूप से शुरू कर दिया जाएगा।

जीआईसी में प्रधानाचार्य पद की वर्तमान व्यवस्था
जीआईसी में प्रधानाचार्य का पद राजपत्रित (गजेटेड) होता है। इस पद के 50 प्रतिशत पदों को सीधी भर्ती के माध्यम से भरा जाता है। प्रधानाचार्य की सीधी भर्ती उत्तर प्रदेश पीसीएस (प्रोविंशियल सिविल सर्विसेज) के साथ की जाती है और इसके लिए ग्रेड पे 5400 निर्धारित किया गया है। वहीं शेष 50 प्रतिशत पदों को पदोन्नति के माध्यम से भरा जाता है, लेकिन पिछले लगभग एक दशक से इस पदोन्नति प्रक्रिया में रुकावटें आई हैं, जिससे कई प्रवक्ता (लेक्चरर) प्रधानाचार्य बनने के इंतजार में रिटायर हो गए हैं।

पदोन्नति का नियम
वर्तमान में प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति का नियम 61 प्रतिशत पुरुष प्रवक्ता, 22 प्रतिशत महिला प्रवक्ता और 17 प्रतिशत डीआई (डिप्टी इंस्पेक्टर) के लिए निर्धारित है। हालांकि, डीआई का पद समाप्त हो चुका है। पहले बेसिक शिक्षा परिषद में तैनात एसडीआई (सब-डिप्टी इंस्पेक्टर) को डीआई पद पर पदोन्नति मिलती थी, लेकिन जब एसडीआई का पद समाप्त हुआ, तो बीईओ का पद बनाया गया। बीईओ बनने वाले अधिकारियों ने लंबे समय से डीआई की तरह प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति की मांग की थी, जो अब पूरी होती नजर आ रही है।

नई नियमावली में बदलाव
शासन ने बीईओ को प्रधानाचार्य बनाने के लिए कई बैठकें आयोजित कीं, जिनके बाद इस पदोन्नति प्रक्रिया में कुछ बदलाव किए गए। अब प्रधानाचार्य पद के लिए पुरुष प्रवक्ता का कोटा 33 प्रतिशत, महिला प्रवक्ता का कोटा 33 प्रतिशत और बीईओ का कोटा 34 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे पहले महिला प्रवक्ताओं का कोटा 22 प्रतिशत था, जिसे अब बढ़ाकर 33 प्रतिशत कर दिया गया है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में महिला प्रवक्ताओं की संख्या में वृद्धि हुई है। वहीं, बीईओ का कोटा भी डीआई के स्थान पर 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 34 प्रतिशत कर दिया गया है।
इस नए प्रावधान के अनुसार, बीईओ को भी अब प्रधानाचार्य बनने का मौका मिलेगा। जिससे उनके करियर में एक महत्वपूर्ण पदोन्नति का अवसर प्राप्त होगा। हालांकि, पुरुष प्रवक्ताओं की संख्या कम होने के कारण उनका कोटा घटा दिया गया है।

नियमावली का विरोध शुरू
बीईओ को प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति देने के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। राजकीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष रामेश्वर पांडेय ने इस निर्णय को अनुचित बताया है। उन्होंने कहा कि पहले एसडीआई से डीआई बनने के बाद ही प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति मिलती थी और इसका कोटा 17 प्रतिशत था। अब बिना डीआई की भूमिका के, बीईओ को सीधे प्रधानाचार्य बनाने की प्रक्रिया शुरू करना गलत है।

प्रमोशन के जरिए प्रधानाचार्य बनाने की योजना
रामेश्वर पांडेय ने कहा कि बीईओ का ग्रेड पे 4800 है, जो प्रवक्ता के ग्रेड पे के बराबर है। प्रवक्ता से हेडमास्टर बनने के बाद ही प्रधानाचार्य बनने का अवसर मिलता है, जबकि बीईओ को एक ही प्रमोशन के जरिए प्रधानाचार्य बनाने की योजना बन रही है। इसके अलावा, उनका तर्क है कि बीईओ एक निरीक्षण कैडर का पद है, जबकि प्रधानाचार्य शिक्षण कैडर का हिस्सा होते हैं, इसलिए दोनों पदों की भूमिकाएं भिन्न हैं। ऐसे में बीईओ को सीधे प्रधानाचार्य के पद पर प्रमोशन देना न्यायसंगत नहीं है।

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