नंदेश के मराठी गीतों से सजी देशज की शाम : अवनीश और मालिनी अवस्थी के बीच चुटीले संवाद ने लूटी महफिल

UPT | महाराष्ट्र के नंदेश ने मराठी गीतों से सजाई देशज की शाम।

Nov 23, 2024 22:21

अवध की शाम पर शनिवार को मराठी रंगत छाई। सोनचिरैया फाउंडेशन की ओर से गोमतीनगर के लोहिया पार्क में आयोजित लोक संस्कृति को समर्पित उत्सव देशज की अंतिम शाम को सजाने महाराष्ट्र के लोक कलाकार नंदेश उमप उपस्थित रहे।

Lucknow News : अवध की शाम पर शनिवार को मराठी रंगत छाई। सोनचिरैया फाउंडेशन की ओर से गोमतीनगर के लोहिया पार्क में आयोजित लोक संस्कृति को समर्पित उत्सव देशज की अंतिम शाम को सजाने महाराष्ट्र के लोक कलाकार नंदेश उमप उपस्थित रहे। बाईपास सर्जरी के बाद पांच महीने तक प्रस्तुतियों को विराम देने के बाद उन्होंने पहली प्रस्तुति लखनऊ में दी। आगाज प्रयागराज आकाशवाणी के कलाकारों द्वारा लोक गायिका संगीता के प्रतिनिधित्व में 18 महिलाओं के गायन से हुआ। इन महिलाओं ने प्रयागराज में कुम्भ के लिए आमंत्रण देते हुए पहला गीत अवधी भाषा में 'हम माघ महिनवा में गंगा नहाइब' से मन मोहा। इसके बाद महिलाओं ने भोजपुरी लोकगीत 'प्रयागराज की पावन धरती पर लागल भारी भीड़, चलो सब गंगा जमुना तीर' महाकुम्भ और प्रयाग के महत्त्व को बताया। इसके अंत में लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने भी सुर से सुर मिलाते हुए सुन्दर नृत्य प्रस्तुत किया।

नंदेश ने गौरंग सुनाकर किया मंत्र मुग्ध
लोक कलाकार नंदेश उमप ने प्रस्तुति की शुरुआत गौरंग से की। जिसमें उन्होंने कान्हा और गोपियों के बीच छेड़छाड़ को 'सुन सुन माझी वात रे कान्हा' गीत के जरिये सुनाया। इसके बाद उन्होंने लखनऊ पर स्वरचित रचना सुनाई 'तहजीब की परिभाषा हे लखनऊ संस्कृति की आशा है लखनऊ, भारत में पहचाना जाता हमरा खिलखिलाता लखनऊ। मां गंगा की गोदी में बसा जो गीतों और साहित्यो में हंसा, संगीत नृत्य की परंपरा को दर्शाता है लखनऊ। ठुमरी दादरी टप्पा कजरी इससे है पहचान हमारी, कण कण में मुस्कुराता है लखनऊ। रंगो की बारात सजी है लोक कला की शाम सजी है, लखनऊ की पावन धरती पर देशज की यह शाम सजी है। दुनिया में जानी मानी हैं वो लोकगीतों की रानी हैं। जो सबके दिल में बसती है वो मालिनी अवस्थी। इसी के साथ उन्होंने अभंग प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने विठ्ठल भक्ति गीत 'कानणा राजा पंढरी चा' सुनाया जिसे उनके साथ हर लखनऊवासी ने गुनगुनाया।



घूमर और फाग नृत्य से बांधा समां 
इस प्रस्तुति के बाद हरियाणा के कलाकारों ने घूमर और फाग नृत्य से समां बांधा। घूमर में जहां कलाकारों ने 'मेरा दामन सिमा दे ओ नंदी के बीरा' पर प्रस्तुति दी तो फाग में 'कोठे चढ़ ललकारूं दिखे जो मेरा दामण' पर नृत्य कर हरियाणा के कृषक समाज की फसल काटने के बाद खुशी को व्यक्त किया। इसके बाद हाथरस शैली की नौटंकी डाकू सुल्ताना पद्मश्री पं रामदयाल शर्मा के निर्देशन में पेश की गई। इस दौरान सुल्ताना डाकू के विषय में जब मालिनी अवस्थी ने अपने पति अवनीश अवस्थी से पूछा तो अवनीश अवस्थी ने कहा कि पहले आप डाकुओं के नाम सुनते थे पर अब आपको सुनाई देता है क्या? इस पर मालिनी अवस्थी ने कहा कि अफसर अपनी अफसरी करना नहीं भूलता है।

दर्शकों ने असम के नृत्य का उठाया आनंद
इस प्रस्तुति में बिजनौर के डाकू सुल्तान की कहानी दिखाई गई जो अंग्रेजो के खिलाफ था और लूट के पैसो से गरीबों की मदद करता है। उसे अंग्रेज पकड़ने की कोशिश करते रहते है पर पकड़ नहीं पाते। अंत में उसे वो गरीब डाकिया पकड़वा देता है, जिसकी उसने कभी मदद की थी। नौटंकी में मुख्य भूमिका रुद्राणी, शशांक, मनीष और श्रीया ने निभाई। इस प्रस्तुति के बाद असम के कलाकारों ने भाओना नृत्य प्रस्तुत किया। बुंदेलखंड के युद्धकला को प्रदर्शित करने वाले लोक नृत्य पाइडंडा की प्रस्तुति रमेश पाल के निर्देशन में 51 बच्चों ने दी। दिवाली के समय प्रस्तुत किये जाने वाले इस नृत्य में मार्शल आर्ट और कुश्ती का अनोखा संगम देखने को मिला।

सोनचिरैया का प्रयास सराहनीय 
इस अवसर पर संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने कहा कि लोक संस्कृति को मंच देने सोनचिरैया संस्था जो प्रयास कर रही है वो सराहनीय है। उन्होंने कहा कि सरकार विलुप्त होती संस्कृति के संरक्षण के लिए पांच लाख राशि दी जाती है। नौटंकी विधा के संरक्षण के लिए भी यह राशि इस संस्था को जल्द स्वीकृत की जायेगी।

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