कबीर-रहीम के दोहों की वर्तमान में प्रासंगिकता पर काम कर रहे जावेद अख्तर : लखनऊ में अखिलेश यादव पर कही ये बात

UPT | लखनऊ एयरपोर्ट के वीआईपी लाउंज में जावेद अख्तर के साथ राजेंद्र चौधरी

Sep 26, 2024 20:42

जावेद अख्तर का कहना है कि कबीर की वाणी में सरल आध्यात्मिक ज्ञान है जो मानव को सोचने और समझने पर विवश करता है जबकि रहीम आपसी सद्भावना के प्रेरक है। इन दोनों की विचारधारा सामाजिक सद्भाव और प्रेम से जीवन जीने की प्रेरणा देती है।

Lucknow News : सुप्रसिद्ध लेखक शायर जावेद अख्तर इन दिनों कबीर और रहीम के दोहों की आज के संदर्भ में प्रासंगिकता पर विशेष काम कर रहे हैं। इसके लिए वह राजधानी लखनऊ आए और लोगों से मुलाकात की। भारतीय भक्ति साहित्य के दो महान संत कवि कबीर और रहीम अपने दोहों के माध्यम से समाज को गहन और सार्थक संदेश देते रहे हैं। इन दोहों की सरलता, स्पष्टता और सत्य की गहराई ने उन्हें समय के साथ और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। आज के समय में जब समाज नैतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, तब कबीर और रहीम के दोहे अधिक प्रासंगिक होते जा रहे हैं।

आज के दौर में इस वजह से बेहद खास हैं कबीर-रहीम के विचार
कबीर के दोहे जीवन के विभिन्न पहलुओं-धार्मिकता, समाज, मानवता और नैतिकता को संबोधित करते हैं। कबीर ने धर्म, जाति और सामाजिक भेदभाव पर कड़ा प्रहार किया। आज जब दुनिया विभाजन और असहिष्णुता से जूझ रही है, कबीर के ये दोहे हमें आपसी प्रेम, सहिष्णुता और एकता की याद दिलाते हैं। इसी तरह रहीम का योगदान भी उतना ही अमूल्य है। उनके दोहे जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे रिश्ते, दया, और विनम्रता पर प्रकाश डालते हैं। रहीम ने सिखाया कि किस तरह आपसी संबंधों को समझदारी और धैर्य के साथ निभाया जा सकता है।



लखनऊ एयरपोर्ट के वीआईपी लाउंज में राजेंद्र चौधरी से हुई मुलाकात
लखनऊ से मुंबई वापसी के दौरान एयरपोर्ट के वीआईपी लाउंज में जावेद अख्तर की समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी से मुलाकात हुई। चौधरी जब पहुंचे तो वहां जावेद अख्तर साहब पहले से बैठे हुए थे। सपा नेता को देहरादून जाना था। इस दौरान दोनों का आपसी परिचय हुआ। राजेंद्र चौधरी ने बताया कि जहां परिचय में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का संबंध आया तो जावेद साहब की दिलचस्पी भी बढ़ गई।

कबीर का सरल आध्यात्मिक ज्ञान और रहीम की आपसी सद्भावना बेहद खास
बात की शुरुआत में जावेद अख्तर ने उन्हें इन दिनों कबीर और रहीम के दोहों की आज के संदर्भ में प्रासंगिकता पर विशेष काम करने की जानकारी दी। उन्होंने दो तीन दोहे भी सुनाए और उनकी व्याख्या भी की। उनका कहना था कि कबीर की वाणी में सरल आध्यात्मिक ज्ञान है जो मानव को सोचने और समझने पर विवश करता है जबकि रहीम आपसी सद्भावना के प्रेरक है। इन दोनों की विचारधारा सामाजिक सद्भाव और प्रेम से जीवन जीने की प्रेरणा देती है। आज के समय मानवीय मूल्यों पर हमला है तब और भी कबीर की प्रासंगिकता बढ़ गयी है। कबीर की वाणी खरी-खरी है रहीम के दोहों में भी गहरी समझ है।

विघटनकारी राजनीति के गिने चुने दिन बचे
इसके बाद बात आगे बढ़ी तो साहित्य और राजनीति के विविध पहलुओं पर भी चर्चा होने लगी। जावेद अख्तर ने आराधना फिल्म की बात छेड़ी। फिर शोले का भी जिक्र किया। वर्ष 1974 में इस फिल्म ने सारे रिकार्ड तोड़ दिये थे। सलीम-जावेद की जोड़ी ने अमिताभ बच्चन को हीरो बना दिया। जावेद साहब का एक और रूप सोशल एक्टिविस्ट का है। समय-समय पर वे आज के मुद्दों पर अपने विचार रखते हैं, जिन पर कई बार विवाद भी हो जाता है। जावेद अख्तर का मानना है कि देश में विघटनकारी राजनीति के दिन अब गिने चुने रह गये हैं। देश के अन्दर ही अन्दर आक्रोश है और आने वाला समय महत्वपूर्ण होगा। 

अखिलेश यादव के नेतृत्व पर की टिप्पणी 
राजेंद्र चौधरी ने कहा कि जावेद अख्तर ने माना कि अखिलेश यादव का सक्षम नेतृत्व है। उनसे लोगों को भारी उम्मीदे हैं। इस दौरान राजेन्द्र चौधरी ने जावेद अख्तर को चौधरी चरण सिंह पर अपने आलेख की एक पुस्तिका भी भेंट की जिसमें सन् 1974 में चौधरी साहब के साथ में वे मंच पर संबोाधन करते दिखाई दे रहे है। वर्ष 1974 में पहली बार गाजियाबाद में चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद से राजेन्द्र चौधरी को भारतीय क्रांति दल से विधानसभा में प्रत्याशी बनाया था। चौधरी तब छात्र संघ के अध्यक्ष भी थे।

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