KGMU : कोरोना टीकाकरण से माताओं का दूध शिशुओं के लिए बना कवच, एंटीबॉडी में इजाफा

UPT | कोरोना टीकाकरण से बना माताओं का दूध शिशुओं के लिए अमृत

Dec 13, 2024 12:13

अध्ययन में यह पाया गया कि जिन महिलाओं ने कोविड टीका नहीं लगवाया था, उनमें एंटीबॉडी का स्तर अपेक्षाकृत कम था। बिना टीकाकरण वाली महिलाओं में 28.9 प्रतिशत आईजीए एंटीबॉडी मिली।

Lucknow News :  कोरोना महामारी से निपटने में टीकाकरण ने अहम भूमिका निभाई, लेकिन इसका असर सिर्फ व्यस्कों पर नहीं बल्कि स्तनपान करने वाले शिशुओं पर भी देखा गया। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्ययन में यह खुलासा हुआ कि टीकाकरण करवाने वाली माताओं का दूध शिशुओं के लिए वरदान साबित हुआ। इस शोध को इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में स्थान मिला है, जो इसकी वैज्ञानिक मान्यता को दर्शाता है।

151 महिलाओं पर किया गया अध्ययन
अध्ययन के लिए 151 महिलाओं के दूध के नमूने लिए गए। सैंपल जुटाने के साथ खास प्रक्रिया अपनाई गई। इसमें इलेक्ट्रिक स्तन पंप का उपयोग कर दूध के नमूने जमा किए गए और इन्हें माइनस 20 डिग्री सेल्सियस पर संरक्षित किया गया। वहीं दूध में एंटीबॉडी की जांच एलाइजा परीक्षण किट से की गई। टीकाकरण से बढ़ी एंटीबॉडी की मात्रा का खुलासा हुआ। शोध में शामिल महिलाओं में से 76 (50.3 प्रतिशत) ने कोविड वैक्सीन लगवाई थी।

कोविशील्ड और कोवाक्सीन का प्रभाव : इनमें 70 महिलाओं को कोविशील्ड और 6 को कोवाक्सीन लगाया गया।
आईजीए और आईजीजी एंटीबॉडी : टीकाकरण कराने वाली महिलाओं में इम्युनोग्लोबुलिन ए (आईजीए)  एंटीबॉडी 34.6 प्रतिशत और आईजीजी एंटीबॉडी 36.4 प्रतिशत पाई गई।
दो खुराक का प्रभाव: जिन महिलाओं ने वैक्सीन की दोनों खुराक ली, उनमें आईजीए एंटीबॉडी 63.6 प्रतिशत और आईजीजी एंटीबॉडी 65.4 प्रतिशत रही।



बिना टीकाकरण के एंटीबॉडी का स्तर कम
अध्ययन में यह पाया गया कि जिन महिलाओं ने कोविड टीका नहीं लगवाया था, उनमें एंटीबॉडी का स्तर अपेक्षाकृत कम था। बिना टीकाकरण वाली महिलाओं में 28.9 प्रतिशत आईजीए एंटीबॉडी मिली। वहीं इस समूह में सिर्फ 5.3 प्रतिशत आईजीजी एंटीबॉडी पाई गई। यह संभावना जताई गई कि महामारी के दौरान आबादी में स्वाभाविक रूप से विकसित एंटीबॉडी का कुछ योगदान रहा हो।

शोधकर्ताओं की भूमिका
इस शोध में केजीएमयू के वरिष्ठ वैज्ञानिक और डॉक्टरों की टीम शामिल रही। प्रमुख शोधकर्ता डॉ. शीतल वर्मा के अलावा सहायक शोधकर्ता में डॉ. आस्था यादव, डॉ. विमला वेंकटेंश, डॉ. अमिता जैन, डॉ. माला कुमार, डॉ. शालिनी त्रिपाठी और डॉ. रेनू सिंह शामिल रहे। इस तरह महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकला कि टीकाकरण न केवल माताओं को बल्कि उनके स्तनपान करने वाले शिशुओं को भी सुरक्षा प्रदान करता है। आईजीए और आईजीजी एंटीबॉडी, जो वायरस से लड़ने में सहायक होती हैं, माताओं के दूध में पाई गईं। वैक्सीन की दोनों खुराक लेने वाली माताओं में एंटीबॉडी का स्तर अधिक था, जो टीकाकरण की प्रभावशीलता को साबित करता है।

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