Lucknow News : किडनी के मरीजों को कुपोषण से राहत, एसजीपीजीआई का डायलिसिस में नया अध्ययन कामयाब

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Nov 23, 2024 10:59

आईडीपीएन थेरेपी ने मरीजों के शारीरिक और जैविक स्वास्थ्य में सुधार किया। मरीजों के शरीर के वजन, बांह की मांसपेशियों, सीरम ट्रांसथायरेटिन और एल्ब्यूमिन के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। इस चिकित्सा पद्धति को अंतिम चरण के किडनी रोग से पीड़ित मरीजों में कुपोषण के इलाज में प्रभावी माना गया है।

Lucknow News : डायलिसिस करा रहे किडनी के मरीज अब कुपोषण के शिकार नहीं होंगे। संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई), लखनऊ में किए गए अध्ययन ने किडनी रोगियों के लिए नई उम्मीद जगाई है। इस शोध में इंट्राडायलिटिक पैरेंटेरल न्यूट्रिशन (IDPN) नामक चिकित्सा पद्धति को प्रभावी पाया गया है। यह अध्ययन जर्नल ऑफ रीनल न्यूट्रिशन एंड मेटाबॉलिज्म के नवंबर अंक में प्रकाशित हुआ है।

डायलिसिस और कुपोषण का संबंध
अध्ययन के मुताबिक, डायलिसिस पर निर्भर 10 से 70 फीसदी मरीज कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। कुपोषण न केवल मरीजों की शारीरिक क्षमता को कम करता है बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है। इस पद्धति में ग्लूकोज, वसा और अमीनो एसिड जैसे पोषक तत्वों से भरपूर पेय पदार्थ मरीजों को दिए गए। परिणामस्वरूप, मरीजों की भूख, कैलोरी और प्रोटीन की खपत में वृद्धि देखी गई।



शरीर पर सकारात्मक प्रभाव
आईडीपीएन थेरेपी ने मरीजों के शारीरिक और जैविक स्वास्थ्य में सुधार किया। मरीजों के शरीर के वजन, बांह की मांसपेशियों, सीरम ट्रांसथायरेटिन और एल्ब्यूमिन के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। इस चिकित्सा पद्धति को अंतिम चरण के किडनी रोग (ESRD) से पीड़ित मरीजों में कुपोषण के इलाज में प्रभावी माना गया है।

शोध टीम और प्रक्रिया
इस अध्ययन को एसजीपीजीआई के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने मिलकर पूरा किया। प्रमुख शोधकर्ताओं में डॉ. अविनाश उपाध्याय, डॉ. एके निगम, डॉ. अपूर्व जैन, डॉ. अर्चना सिन्हा, डॉ. सुभाष चंद्र यादव, डॉ. अखिलेश कुमार सिंह, डॉ. नितेश सिंह चौहान, डॉ. ओमप्रकाश चौधरी और डॉ. निहारिका अग्रवाल शामिल रहे।

94 मरीजों पर अध्ययन, 21 ने ली IDPN थेरेपी
यह अध्ययन आगरा के सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज में 94 मरीजों पर किया गया। इनमें से 21 मरीजों को तीन महीने तक IDPN थेरेपी दी गई। इस थेरेपी के बाद मरीजों के प्रोटीन, वसा और सीरम एल्ब्यूमिन के स्तर में सुधार पाया गया।

किडनी संबंधी बीमारियों से जूझ रही 13.4 फीसदी आबादी 
दुनिया में किडनी रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर 13.4 फीसदी आबादी किडनी संबंधी बीमारियों से जूझ रही है। भारत में भी यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। अध्ययन में मरीजों की कुपोषण की स्थिति का मूल्यांकन सात वैश्विक बिंदुओं के आधार पर किया गया। मरीजों में कुपोषण की दर 38.29 प्रतिशत से 96.8 प्रतिशत तक पाई गई।

किडनी रोगियों के लिए नई उम्मीद
विशेषज्ञों के मुताबिक यह चिकित्सा पद्धति न केवल किडनी मरीजों को कुपोषण से बचाएगी बल्कि उनकी जीवन गुणवत्ता को भी बेहतर बनाएगी। इससे डायलिसिस पर निर्भर मरीजों को दीर्घकालिक लाभ मिलने की संभावना है।

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