आईडीपीएन थेरेपी ने मरीजों के शारीरिक और जैविक स्वास्थ्य में सुधार किया। मरीजों के शरीर के वजन, बांह की मांसपेशियों, सीरम ट्रांसथायरेटिन और एल्ब्यूमिन के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। इस चिकित्सा पद्धति को अंतिम चरण के किडनी रोग से पीड़ित मरीजों में कुपोषण के इलाज में प्रभावी माना गया है।