Lucknow News : डायबिटीज-हाई कोलेस्ट्रॉल के समान फेफड़ों और दिल की दुश्मन बनी जहरीली हवा, रोग प्रतिरोधक क्षमता कर रही कमजोर

UPT | Air Pollution

Nov 29, 2024 12:51

वायु प्रदूषण, खासकर पीएम 2.5 और अन्य जहरीले कण, हमारी धमनियों की भीतरी परत को नुकसान पहुंचाते हैं। ये कण धीरे-धीरे धमनियों को संकीर्ण और कमजोर बना देते हैं, जिससे दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इसका परिणाम हाई बीपी, हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों के रूप में सामने आता है।

Lucknow News : शहर में प्रदूषण का बढ़ता स्तर चुनौती बन गया है। हर साल जाड़े के दस्तक देने के साथ ही इस पर नई बहस ​शुरू हो जाती है। दिवाली की शुरुआत से ही प्रदूषण को लेकर पटाखों पर प्रतिबंध से बहर का सिलसिला शुरू होता है, जो धुंध तक जारी रहता है। कोहरे से ज्यादा जहरीली धुंध लोगों की सेहत पर बुरा प्रभाव डाल रही है। औद्योगिक इकाइयों पर निगरानी से लेकर प्रदूषण नियंत्रण को लेकर प्रशासन और नगर निगम की ओर से बड़े-बड़े दावे किए जा रह हैं। लेकिन, स्थिति सुधरने के बजाय और बिगड़ रही है।

शोध के नतीजों ने चौंकाया
हवा की बिगड़ती सेहत ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों को भी चिंतित कर दिया है।  अमेरिका के लुईविल विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजय श्रीवास्तव ने अपने एक दशक लंबे शोध के नतीजों के आधार पर पाया है कि हवा में मौजूद खतरनाक रसायन और धूल के कण न केवल हमारे फेफड़ों को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि दिल की बीमारियों को भी बढ़ावा दे रहे हैं। 



दिल की बीमारियों का मुख्य कारण बनी प्रदूषित हवा
डॉ. श्रीवास्तव ने लखनऊ में बताया कि वायु प्रदूषण, खासकर पीएम 2.5 और अन्य जहरीले कण, हमारी धमनियों की भीतरी परत (एंडोथीलियम) को नुकसान पहुंचाते हैं। ये कण धीरे-धीरे धमनियों को संकीर्ण और कमजोर बना देते हैं, जिससे दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इसका परिणाम हाई बीपी, हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों के रूप में सामने आता है।

सांसों में घुल रहा है जहर
इन दिनों लखनऊ का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 250 के करीब है, जो खतरनाक श्रेणी में आता है। इस स्तर पर यहां के लोग रोजाना ऐसा महसूस कर रहे हैं जैसे उन्होंने 12 सिगरेट का धुआं अपने फेफड़ों में भर लिया हो। यह जहरीली हवा बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है, क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो रही है।

प्रदूषण को नियंत्रित नहीं करने पर अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य पर गंभीर संकट
डॉ. संजय का यह शोध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित जर्नल्स जैसे सर्कुलेशन रिसर्च जर्नल और साइंस ऑफ टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशित हो चुका है। इसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि वायु प्रदूषण का प्रभाव हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज जितना ही खतरनाक है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर प्रदूषण को जल्द नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए गंभीर स्वास्थ्य संकट खड़ा करेगा।

दिल के लिए कैसे खतरनाक है प्रदूषण 
एंडोथीलियम पर हमला : वायु प्रदूषण के जहरीले कण एंडोथीलियम पर चिपककर कोलेस्ट्रॉल जैसी परत बना देते हैं, जिससे धमनियां संकरी हो जाती हैं।
ब्लड प्रेशर में वृद्धि : संकीर्ण धमनियां रक्त प्रवाह को बाधित करती हैं, जिससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है।
दिल का दौरा और स्ट्रोक : लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से दिल पर दबाव बढ़ता है, जिससे हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।

बच्चों और बुजुर्गों पर प्रदूषण का असर
डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि भारत सरकार को प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए एक व्यापक पर्यावरण निगरानी व्यवस्था विकसित करनी चाहिए। इसके लिए केवल पश्चिमी देशों पर निर्भर रहने के बजाय स्थानीय शोध और तकनीकी का उपयोग करना होगा। बच्चों और बुजुर्गों के लिए प्रदूषित हवा सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण ये वर्ग जल्दी बीमार हो रहे हैं। सांस की समस्याओं, हृदय रोगों और इम्यून सिस्टम से जुड़ी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह
  • प्रदूषण से बचने के लिए घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनें।
  • प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच बेवजह बाहर निकलनें से बचें।
  • अपने ईद-गिर्द प्रकृति से जुड़ाव ज्यादा से ज्यादा बनाए रखें।
  • वाहनों के प्रदूषण से भी जितना हो सके, अपने स्तर पर बचने का प्रयास करें।
  • सुबह के समय वॉक या व्यायाम करने से बचें, क्योंकि इस दौरान प्रदूषण का स्तर अधिक होता है।
  • बच्चों और बुजुर्गों को घर के भीतर रहने की सलाह दी गई है, खासकर जब एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरनाक स्तर पर हो।

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