मायावती ने भले ही अपने भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर बना दिया हो। लेकिन ये बड़ा सच है कि पार्टी में उनके बाद जनता के बीच पैठ रखने वाले दूसरी पंक्ति के नेताओं के नेता का अभाव है। ऐसे में बसपा कार्यकर्ताओं में भाजपा और सपा की तुलना में जोश नजर नहीं आया और न ही वह मतदाताओं को जोड़ने में सफल साबित हुए।