यूपी सरकार का दावा : पीड़ित एससी-एसटी परिवारों को 1400 करोड़ की वित्तीय मदद

UPT | CM Yogi Adityanath

Sep 27, 2024 15:07

उत्तर प्रदेश में विभिन्न अपराधों के शिकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के पीड़ित परिवारों को राहत देने के लिए सरकार ने साढ़े सात वर्षों में 1400 करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक सहायता प्रदान की है।

Lucknow News : उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के पीड़ितों को न्याय दिलाने और उनके परिवारों को आर्थिक संबल प्रदान करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने विभिन्न गंभीर अपराधों, जैसे हत्या, बलात्कार और सामूहिक बलात्कार, के पीड़ितों और उनके परिवारों को 1447 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय सहायता मुहैया कराई है। यह सहायता एससी-एसटी (अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989) और नागरिक अधिकार संरक्षण (पीसीआर) अधिनियम के तहत दी जा रही है, ताकि अपराध पीड़ितों को न्याय प्रक्रिया के दौरान मदद मिले।

पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता 
सरकार से दी जाने वाली वित्तीय सहायता अपराध की गंभीरता के आधार पर भिन्न-भिन्न होती है। एससी-एसटी वर्ग के पीड़ितों को मिलने वाली सहायता राशि 85 हजार रुपये से लेकर 8.25 लाख रुपये तक हो सकती है। हत्या, बलात्कार, और सामूहिक बलात्कार जैसे गंभीर मामलों में पीड़ित परिवारों को यह सहायता प्रदान की जाती है, जो न्यायिक प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में वितरित की जाती है। हत्या या अत्याचार के मामलों में जहां पीड़ित की मृत्यु हो जाती है, उनके परिजनों को 8.25 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाती है। इसमें मुआवजा दो चरणों में वितरित किया जाता है, पहली किस्त पोस्टमार्टम के तुरंत बाद और शेष राशि चार्जशीट अदालत में जमा होने के बाद दी जाती है।



दुष्कर्म के मामले में 5.25 लाख सहायता  
बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के मामलों में पीड़िताओं को भी चरणबद्ध तरीके से सहायता प्रदान की जाती है। बलात्कार के मामलों में 5.25 लाख रुपये और सामूहिक बलात्कार के मामलों में 8.25 लाख रुपये की सहायता दी जाती है। इसमें 50 प्रतिशत राशि मेडिकल जांच और रिपोर्ट की पुष्टि के बाद दी जाती है, 25 प्रतिशत राशि चार्जशीट दाखिल होने के बाद, और शेष 25 प्रतिशत राशि अदालत में मुकदमे के समाप्त होने पर दी जाती है।

सरकार की सतर्कता और मॉनीटरिंग समिति
यह सुनिश्चित करने के लिए कि सहायता सही समय पर सही लाभार्थियों तक पहुंचे, राज्य सरकार ने जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी के नेतृत्व में विशेष सतर्कता और मॉनीटरिंग समितियों का गठन किया है। जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में और तहसील स्तर पर एसडीएम की अध्यक्षता में गठित ये समितियां एससी-एसटी पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने और उनकी वित्तीय सहायता के वितरण की निगरानी करती हैं। समाज कल्याण विभाग के निदेशक कुमार प्रशांत ने बताया कि राज्य सरकार इस बात पर जोर देती है कि पीड़ित परिवारों को समय पर और पर्याप्त मदद मिले, ताकि वे अपनी न्यायिक लड़ाई बिना किसी वित्तीय दिक्कत के लड़ सकें। यह योजना अपराधों के पीड़ितों को तुरंत सहायता उपलब्ध कराने पर केंद्रित है, जिससे कि वे मानसिक और भावनात्मक रूप से भी सशक्त महसूस कर सकें।

सरकार की प्राथमिकता-पीड़ितों का कल्याण
सरकार के इस कदम को एससी-एसटी समुदाय के हितों की रक्षा और कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। यह योजना न केवल पीड़ितों को वित्तीय राहत प्रदान करती है, बल्कि उन्हें न्यायिक प्रक्रिया में मजबूती से खड़े रहने का हौसला भी देती है। सरकार का यह फैसला राज्य में सामाजिक न्याय को मजबूत करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है, जिससे समाज के कमजोर वर्गों को न्याय दिलाने में मदद मिल रही है। एससी-एसटी वर्ग के पीड़ितों को यह विश्वास दिलाया जा रहा है कि राज्य सरकार उनके साथ खड़ी है और उन्हें न्याय दिलाने के लिए हर संभव सहायता प्रदान कर रही है।

Also Read