उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने की दिशा में एक अहम निर्णय लिया है।
Lucknow News : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने की दिशा में एक अहम निर्णय लिया है। इस निर्णय के तहत, टीबी रोगियों के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों और पूर्व टीबी रोगियों की नियमित जांच कराई जाएगी। इस जांच को हर तीन महीने में अनिवार्य रूप से किया जाएगा। इस साल के अंत तक प्रत्येक जिले में कम से कम 3,000 प्रिवेंटिव टीबी परीक्षण करने का लक्ष्य रखा गया है। इस महत्वपूर्ण निर्देश के तहत सभी जिलों के जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया गया है, जो प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के नेतृत्व में हुआ है।
प्रदेश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य
मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, पार्थ सारथी सेन शर्मा ने जानकारी दी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य को पाने के लिए टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग युद्धस्तर पर की जा रही है, जिससे टीबी के मामलों और उससे होने वाली मौतों में कमी लाई जा सके। इसके अलावा, टीबी रोगियों के उपचार के परिणामों को बेहतर बनाने की दिशा में भी ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के अंतर्गत टीबी नियंत्रण के प्रयासों को प्राथमिकता दी जा रही है।
टीबी की पहचान और उपचार में तेजी लाने पर जोर
राज्य के क्षय रोग अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र भटनागर ने टीबी की पहचान में तेजी लाने के लिए कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया है। विशेष रूप से फेफड़ों की टीबी से पीड़ित रोगियों के परिवार और उनके कार्यस्थलों के लोगों की बलगम जांच को बढ़ाया जाएगा। उच्च जोखिम वाले समूहों जैसे कि बुजुर्ग, मधुमेह के मरीज, धूम्रपान करने वाले व्यक्ति, एचआईवी ग्रसित लोग और वर्तमान में टीबी का इलाज कर रहे रोगियों के संपर्क में आने वालों की नियमित जांच का भी निर्णय लिया गया है। हर तीन महीने में इन लोगों की स्क्रीनिंग कराई जाएगी, ताकि किसी भी नए टीबी रोगी की पहचान तुरंत हो सके।
टीबी नियंत्रण के लिए विशेष कदम
टीबी के उन्मूलन के लिए प्रदेश में नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लॉकों में किया जाएगा, जिससे जांच की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके। साथ ही, जिन टीबी इकाइयों में कार्य संतोषजनक नहीं है, वहां सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबंधन इकाई (आरटीपीएमयू) को हर महीने जिलों का दौरा करने और टीबी की जांच तथा उपचार की स्थिति का जायजा लेने के निर्देश दिए गए हैं। इस तरह से, जांच और उपचार में कोई कमी नहीं रहेगी और टीबी उन्मूलन की दिशा में राज्य के प्रयासों को सफलता मिल सकेगी।