13 पुस्तकों का हुआ विमोचन : विश्व पुस्तक मेले में पहुंचे बालमुकुन्द पांडेय, बोले- देश के इतिहास को विकृत किया गया

UPT | विश्व पुस्तक मेला 2024

Feb 17, 2024 17:42

राज्यसभा सांसद प्रो सुमेर सिंह सोलंकी ने कहा कि पहले इतिहास के छात्रों को गलत तथ्य लिखने पर पूरे नंबर दिए जाते थे क्योंकि स्कूल-कॉलेजों में गलत इतिहास पढ़ाया जाता था। अब सबको खुली हवा में सांस लेने का अवसर मिला है...

Short Highlights
  • किताबवाले द्वारा प्रकाशित 13 पुस्तकों का हुआ विमोचन
  • बालमुकुन्द पाण्डेय पहुंचे दिल्ली प्रगति मैदान

 

 

Noida News : दिल्ली में प्रगति मैदान स्थित विश्व पुस्तक मेला में शनिवार को अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बालमुकुन्द पाण्डेय पहुंचे। बालमुकुन्द पाण्डेय ने कहा कि हम भारत के स्वाभिमान का इतिहास लिख रहे हैं। बालमुकुन्द पाण्डेय ने विश्व पुस्तक मेला में देश के जाने-माने प्रकाशन समूह किताबवाले द्वारा प्रकाशित 13 पुस्तकों के विमोचन के बाद उपस्थित जन समूह को संबोधित किया।

हम भारत के स्वाभिमान का इतिहास लिख रहे हैं : बालमुकुन्द
बालमुकुन्द पाण्डेय ने कहा कि पिछले डेढ़ सौ साल से सुनियोजित पूर्वक हमारे देश के इतिहास को विकृत किया गया। क्रांतिकारियों को उपद्रवी और उपद्रवियों का महिमामंडन किया गया। हमारे पुरखों और देवताओं को अपमानित किया गया। हम इस भूल को सुधार कर जन सामान्य को सही जानकारी सुलभ कराने का प्रयास कर रहे हैं। भारत और भारतीयता का अलख जगाना ही अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना का उद्देश्य है।

स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाया गलत इतिहास
राज्यसभा सांसद प्रो सुमेर सिंह सोलंकी ने कहा कि पहले इतिहास के छात्रों को गलत तथ्य लिखने पर पूरे नंबर दिए जाते थे क्योंकि स्कूल-कॉलेजों में गलत इतिहास पढ़ाया जाता था। अब सबको खुली हवा में सांस लेने का अवसर मिला है। पूर्व सांसद गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि मैंने अपने कार्यकाल के दौरान राज्यसभा में एनसीआरटी के तीन पूर्व अध्यक्षों के हवाले से बताया था कि उनपर गलत इतिहास लिखवाने और कोर्स में शामिल कराने का उच्चस्तरीय दबाव था। अब बेखौफ होकर इसमें सुधार करने की जरूरत है।

इन सभी पुस्तकों का विमोचन किया गया
शनिवार को जिन किताबों का विमोचन किया गया उनमें अमृत वाङ्मय की दस किताबों राधा कुमुद मुखर्जी की हिन्दू सभ्यता, विश्वंभर शरण पाठक की भारत के प्राचीन इतिहासकार, गौरी चन्द हीराचन्द ओझा की मध्यकालीन भारतीय संस्कृति, सतीश चन्द्र मित्तल की सांस्कृतिक राष्ट्रवाद चार अध्याय, शिवनन्दन सहाय की हरिश्चन्द्र, शिवाजी सिंह की ऋग्वैदिक आर्य और सरस्वती सिन्धु सभ्यता, भगवद् दत्त की दो खंडों में भारत का बृहद इतिहास और वासुदेवशरण अग्रवाल की दो पुस्तकें पाणिनि कालीन भारतवर्ष और हर्षचरित और एक सांस्कृतिक अध्ययन शामिल है। इन किताबों के समूह संपादक राकेश मंजुल हैं, जबकि श्रृंखला संपादक नरेन्द्र शुक्ल और रत्नेश त्रिपाठी हैं। इसके अलावा धर्मचन्द चौबे की ‘भारत-चीन कितने पास, कितने दूर’ तथा वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार की इंडियन हिस्टो मैप का भी बालमुकुन्द पाण्डेय द्वारा विमोचन किया गया। आगत अतिथियों का शाल ओढ़ाकर और स्मृति चिह्न देकर स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन किताबवाले के प्रबंध निदेशक प्रशांत जैन ने किया।

Also Read