नोएडा सुपरटेक नॉर्थ आई प्रोजेक्ट अभी भी अधूरा : 14 साल से निवेशकों का पैसा फंसा, खरीदारों का ऊंची इमारत का सपना टूटा

UPT | बुर्ज खलीफा

Nov 30, 2024 12:16

सुपरटेक नॉर्थ आई टावर को दुनिया की सबसे ऊंची इमारत, बुर्ज खलीफा की तर्ज पर बनाने की घोषणा सुपरटेक ने 2009-10 में की थी। इसका उद्देश्य था उत्तर भारत की सबसे ऊंची इमारत का निर्माण करना, जिसमें 66 फ्लोर होंगे...

Noida News : बुर्ज खलीफा जैसी ऊंची इमारत का नाम सुनते ही इसमें निवेश में शायद ही किसी को कोई हिचकिचाहट हो। कुछ ऐसा ही नोएडा में भी हुआ। दुबई में रहने वाले और काम करने वाले भारतीयों ने नोएडा के सेक्टर-74 स्थित सुपरटेक नॉर्थ आई प्रोजेक्ट में सिर्फ इसलिए फ्लैट बुक करवा लिए थे, क्योंकि उन्हें बताया गया था कि यह भारत की सबसे ऊंची इमारत होगी। लेकिन 14 साल बाद भी निवेश करने वाले लोगों का सपना अधूरा ही है। इस प्रोजेक्ट में ना तो बुर्ज खलीफा जैसी कोई ऊंची इमारत बन पाई और ना ही यहां के फ्लैट और दुकानों का कब्जा अब तक मिला है।

सुपरटेक नॉर्थ आई प्रोजेक्ट की कहानी
सुपरटेक नॉर्थ आई टावर को दुनिया की सबसे ऊंची इमारत, बुर्ज खलीफा की तर्ज पर बनाने की घोषणा सुपरटेक ने 2009-10 में की थी। इसका उद्देश्य था उत्तर भारत की सबसे ऊंची इमारत का निर्माण करना, जिसमें 66 फ्लोर होंगे और जिसमें स्टूडियो अपार्टमेंट और दुकानों के साथ रेजिडेंशियल और कमर्शियल स्पेस होंगे। इस प्रोजेक्ट में करीब 2000 फ्लैट और दुकानें बुक की गई थीं। हालांकि, समय के साथ इस प्रोजेक्ट में कई दिक्कतें आईं और वह पूरा नहीं हो पाया। खरीदारों के मुताबिक, बिल्डर ने 66 फ्लोर के बजाय सिर्फ 56 फ्लोर बनाए हैं और उनमें से भी केवल 10 फ्लोर पर फिनिशिंग का काम किया गया है। बाकी फ्लोर अधूरे पड़े हैं और प्रोजेक्ट के पूरा होने में अब भी समय लगने की संभावना है।

दिवालिया हो गया बिल्डर
प्रोजेक्ट के काफ़ी समय तक अधूरे रहने के बाद सुपरटेक बिल्डर दिवालिया हो गया, जिसके बाद यह मामला नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) में चल रहा है। इसके साथ ही, एक इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) को नियुक्त किया गया है ताकि यह मामले को हल किया जा सके। हालांकि, अब तक कोई स्पष्ट समाधान नहीं निकल पाया है और प्रोजेक्ट पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।



खरीदारों का दर्द और फंसा हुआ पैसा
इस प्रोजेक्ट में निवेश करने वाले खरीदारों को लंबे समय से अपने घरों का इंतजार है, जिनमें से कई सीनियर सिटिजन्स भी हैं। इन खरीदारों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन की बचत यहां निवेश की थी, लेकिन अब उनका पैसा फंसा हुआ है और कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल रही है कि प्रोजेक्ट कब पूरा होगा। 2014-15 में इस प्रोजेक्ट का समापन होना था, लेकिन 2018 तक सिर्फ स्ट्रक्चर ही तैयार हुआ और उस समय भी केवल 10 फ्लोर ही पजेशन के लिए उपलब्ध हो सके थे।

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आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान हैं निवेशक 
प्रोजेक्ट के अधूरे होने के कारण यहां रहने वाले और व्यापार करने वाले सभी लोग मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान हैं। कई लोगों ने इस मामले में न्याय की गुहार भी लगाई है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं मिल सका है। यह मामला ना सिर्फ खरीदारों के लिए एक बड़ा आर्थिक नुकसान है, बल्कि यह रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की कमी को भी उजागर करता है, जो अन्य निवेशकों के लिए एक चेतावनी के रूप में सामने आया है।

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