Water Crisis In Ghaziabad : गाजियाबाद में भारी जल संकट, पिछले साल निकाला गया 123 फीसदी भूजल

UPT | water crisis in ghaziabad

Jun 18, 2024 17:41

गाजियाबाद शहर में भूजल स्तर गिरने का प्रकोप देखा जा रहा है। यहां तेजी से हो रहे औद्योगीकरण, आवास और जनसंख्या वृद्धि की वजह से सभी को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड के द्वारा किए गए एक अध्ययन...

Short Highlights
  • गाजियाबाद शहर में भूजल स्तर गिरने का प्रकोप देखा जा रहा है
  • गाजियाबाद ने बीते साल अपने कुल भूजल का 123 प्रतिशत निकाला
  • वर्षा सहित विभिन्न स्रोतों के माध्यम से जल स्तर को 41,675.3 एचएएम तक भरा जा सका

 

Ghaziabad News : भूजल दोहन के मामले में भारत दुनिया में अव्वल है, तो वहीं उत्तर प्रदेश कुल दोहन के करीब 20 फीसदी दोहन करने के साथ शीर्ष पर चल रहा है। जहां के गाजियाबाद शहर में भूजल स्तर गिरने का प्रकोप देखा जा रहा है। यहां तेजी से हो रहे औद्योगीकरण, आवास और जनसंख्या वृद्धि की वजह से सभी को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड के द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत के गतिशील भूजल संसाधनों पर राष्ट्रीय संकलन, 2023 के मुताबिक, गाजियाबाद ने बीते साल अपने कुल भूजल का 123 प्रतिशत निकाला। बता दें कि यह उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में सबसे ज्यादा था, जहां का औसत भी 70.8 प्रतिशत से बहुत कम था।

गाजियाबाद में 56,000 से अधिक उद्योग
गाजियाबाद के बाद, नोएडा और फिरोजाबाद का स्थान रहा, जहां वार्षिक औसत निकासी दर क्रमशः 104.8 प्रतिशत और 104.7 प्रतिशत थी। अध्ययन के मुताबिक, गाजियाबाद में करीब 48.6 लाख आबादी के साथ, 56,000 से अधिक उद्योगों ने पिछले साल 46,191 हेक्टेयर-मीटर (एचएएम)- 1 एचएएम 100 लाख लीटर के बराबर भूजल निकाला। वहीं 2,246.1 एचएएम औद्योगिक उपयोग और सिंचाई के लिए 36,881.8 एचएएम का इस्तेमाल किया गया। जबकि, घरेलू उपयोग के लिए कुल 7,063.5 एचएएम का उपयोग किया गया। 

संतुलन के लिए जरूरी है भूजल निकासी और पुनर्भरण
वहीं दूसरी तरफ, वर्षा सहित विभिन्न स्रोतों के माध्यम से जल स्तर को 41,675.3 एचएएम तक भरा जा सका। लेकिन इससे औसतन 4,167.5 एचएएम पानी बर्बाद हो गया। गाजियाबाद में भूजल से 23 प्रतिशत अधिक का इस्तेमाल किया। इस मामले विषय पर भूजल विभाग में जलविज्ञानी अंकिता रे का कहना है कि भूजल निकासी और उसका पुनर्भरण संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है। गाजियाबाद में, मुरादनगर ब्लॉक वर्तमान में अर्ध-महत्वपूर्ण क्षेत्र में आता है और लोनी, मोदीनगर और शहर के इलाके अत्यधिक दोहन वाले क्षेत्र में हैं।

पर्यावरणविद् ने क्या कहा?
भूजल विभाग के अधिकारियों की मानें तो, साल 2017 से 2023 के बीच शहर के इलाकों में भूजल स्तर 9.5 मीटर तक नीचे चला गया है। पर्यावरणविद् सुशील राघव के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार को अधिसूचित क्षेत्रों में उद्योगों के लिए एनओसी पर पुनर्विचार करना चाहिए और स्थायी जल प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए। एमएसएमई के लिए भूजल निष्कर्षण की अनुमति हेतु केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों में संशोधन किया है। इससे दीर्घकालिक स्थिरता के बारे में चिंताएं बढ़ रही हैं। सुशील राघव ने कहा, सीजीडब्ल्यूबी की रिपोर्ट सरकार और प्रशासन के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए। पानी की अधिक खपत करने वाले उद्योगों को एनओसी देने के बजाय, दंडित करना शुरू करना चाहिए।

केंद्र को भेजी गई रिपोर्ट
वहीं जीएमसी के जल कार्य विभाग के महाप्रबंधक केपी आनंद ने बताया कि गाजियाबाद में आपूर्ति किए जाने वाले 320 एमएलडी पानी में से 55 एमएलडी गंगाजल है, जबकि शेष बोरवेल से प्राप्त होता है। ऐसे में अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (AMRUT) 2.0 के तहत, पानी की स्थिति पर केंद्र को एक रिपोर्ट भेजी गई है। जिसका उद्देश्य, शहर के जल बुनियादी ढांचे में सुधार हेतु निवेश करना है।

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