कुंदरकी में भाजपा का 31 साल का सूखा खत्म : मुस्लिम बहुल्य सीट पर खिला कमल, ढह गया सपा का किला 

UPT | कुंदरकी में जीते रामवीर सिंह ठाकुर

Nov 23, 2024 14:40

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले की कुंदरकी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। यहां पार्टी ने अपने 31 वर्षों के सूखे को खत्म कर कमल को खिलाया है...

Moradabad News : उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले की कुंदरकी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। यहां पार्टी ने अपने 31 वर्षों के सूखे को खत्म कर कमल को खिलाया है। इस सीट से लगातार सत्ता में रहने वाली समाजवादी पार्टी को भाजपा ने इस सीट से उखाड़ दिया है। इस बार के चुनाव ने न केवल बीजेपी की स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि सपा के लंबे समय से चले आ रहे वर्चस्व को भी चुनौती दी है। कुंदरकी सीट सपा का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन इस बार के उपचुनाव में बीजेपी ने सपा के इस गढ़ को ढहाने में सफल रही है। यहां से बीजेपी के प्रत्याशी रामवीर सिंह ने जीत दर्ज की है। 

मुस्लिम मतदाताओं हैं निर्णायक की भूमिका में
कुंदरकी की सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 60  फीसदी है और इस चुनाव में उनका रुख निर्णायक साबित हुआ। शुरुआती रुझानों में सपा के उम्मीदवार हाजी मोहम्मद रिजवान ने बढ़त बनाई थी, लेकिन जैसे-जैसे काउंटिंग आगे बढ़ी बीजेपी के उम्मीदवार रामवीर सिंह ने स्थिति को पलटते हुए बढ़त बना ली। भाजपा ने स्थानीय मुद्दों और विकास की बात करते हुए मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने का प्रयास किया। इस बदलाव ने सपा के वोट बैंक को कमजोर कर दिया है और कुंदरकी में बीजेपी की जीत की आधारशिला रखी है।



सपा ने कंदरकी में दोबारा चुनाव की मांग
चुनाव के परिणामों के बाद सपा ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने चुनाव में अनैतिक तरीके अपनाए और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित किया। सपा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कुंदरकी, सीसामऊ और मीरापुर सीटों पर दोबारा चुनाव कराने की मांग की है। सपा नेताओं का कहना है कि इस बार की हार ने उन्हें एक नई रणनीति बनाने की आवश्यकता को उजागर किया है। कुंदरकी में बीजेपी की जीत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी इस जीत का लाभ अन्य मुस्लिम बहुल सीटों पर भी उठा पाएगी। क्या यह एक नए राजनीतिक युग की शुरुआत है, जहां मुस्लिम मतदाता अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार पार्टियों का चयन करेंगे?

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