लोकसभा में भड़के चंद्रशेखर आजाद : कहा- 'क्या यहां भी दलितों को बोलने नहीं दिया जाएगा?', समय की कमी पर जताई नाराजगी

UPT | चंद्रशेखर आजाद

Dec 14, 2024 20:03

शनिवार को लोकसभा में संविधान के गौरवशाली 75 वर्षों की यात्रा पर चर्चा के दौरान उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद और आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद का एक अलग ही अंदाज देखने को मिला।

New Delhi : शनिवार को लोकसभा में संविधान के गौरवशाली 75 वर्षों की यात्रा पर चर्चा के दौरान उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद और आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद का एक अलग ही अंदाज देखने को मिला। चर्चा के दौरान चंद्रशेखर आजाद और लोकसभा के सभापति के बीच बहस हो गई, जिससे वह नाराज हो गए और उन्होंने पूछा, "क्या यहां भी दलितों को बोलने नहीं दिया जाएगा?"

यह भी पढ़ें : लोकसभा में राहुल गांधी बोले : यूपी में संविधान नहीं, मनु स्मृति लागू है, प्रदेश सरकार पर साधा निशाना

आर्थिक समानता पर सवाल
लोकसभा में चर्चा के दौरान चंद्रशेखर आजाद ने सरकार से यह सवाल किया कि आर्थिक समानता के लिए वह क्या कदम उठा रही है, क्योंकि उनके अनुसार, अमीर और अमीर हो रहा है जबकि गरीब और गरीब हो रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि "सुबह उठते ही बम की धमकी मिलती है या फिर कहीं दंगे हो रहे होते हैं, यह क्या अमृतकाल है या धमकी काल?" जब सभापति ने उन्हें समय का ध्यान दिलाया, तो चंद्रशेखर आजाद ने कड़ा जवाब देते हुए कहा, "क्या दलितों को यहां भी बोलने नहीं दिया जाएगा? यह भेदभाव नहीं चलेगा। क्या दलितों को सबसे बाद में बोलने का मौका मिलेगा?"

समय की कमी पर जताई नाराजगी
इसके बाद, जब सभापति ने कहा कि सभी दलीय स्वतंत्र सांसदों को 4 मिनट का समय दिया गया है, तो चंद्रशेखर आजाद ने नाराजगी जताते हुए कहा, "मैं अपनी पार्टी का सदस्य हूं सर और जीतकर आया हूं, किसी की दया पर नहीं आया।" इसके बाद सभापति ने उन्हें एक मिनट में अपनी बात पूरी करने का निर्देश दिया।



समाज में बढ़ते अपराधों पर चिंता
चंद्रशेखर आजाद ने अपने बयान में यह भी कहा कि आजकल समाज में लोगों की हत्या मूंछ रखने और महिलाओं तथा बच्चों पर अत्याचार के मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने NCRB (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के डेटा का हवाला देते हुए कहा कि यह स्थिति डराने वाली है। उन्होंने आर्टिकल 25-26 का भी उल्लेख किया, जिसमें संविधान में सभी को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। लेकिन उन्होंने सवाल उठाया कि दलितों, मुस्लिमों, जैनों और ईसाईयों को यह आज़ादी कहां है? उन्होंने संभल, अयोध्या और अजमेर जैसे उदाहरणों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार आलोचना से डरती है और आजम खान को केवल राजनीतिक विरोध के कारण जेल में डाला गया है।

Also Read