अलविदा सरदार मनमोहन सिंह : राजकीय सम्मान और सिख परंपरा से विदाई, निगमबोध घाट पर पंचतत्व में विलीन

UPT | अलविदा सरदार मनमोहन सिंह

Dec 28, 2024 15:53

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का शनिवार को दिल्ली के निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। निगमबोध घाट पर उनके परिवार के सदस्य जिसमें उनकी पत्नी गुरशरण कौर, बड़ी बेटी उपिंदर...

New Delhi News : पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का शनिवार को दिल्ली के निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके पार्थिव शरीर को सेना की तोपगाड़ी पर लाया गया, जहां तीनों सेनाओं ने उन्हें सलामी दी। इसके बाद परिवार और करीबी लोगों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार की सभी क्रियाएँ पूरी की गईं।

निगमबोध घाट पर हुआ अंतिम संस्कार
निगमबोध घाट पर उनके परिवार के सदस्य, जिसमें उनकी पत्नी गुरशरण कौर, बड़ी बेटी उपिंदर सिंह (65), दूसरी बेटी दमन सिंह (61) और तीसरी बेटी अमृत सिंह (58) शामिल थीं। बेटी उपिंदर सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी। जिसके बाद परिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की।

अंतिम संस्कार के दौरान मौजूद रहे कांग्रेस नेता 
डॉ. मनमोहन सिंह की पार्थिव देह को सुबह 9:30 बजे उनके आवास से कांग्रेस मुख्यालय लाया गया, जहां से अंतिम यात्रा का आरंभ हुआ। राहुल गांधी उनके पार्थिव शरीर के साथ गाड़ी में बैठे थे। अंतिम यात्रा में कांग्रेस कार्यकर्ता और अन्य लोग भी शामिल हुए। अंतिम संस्कार के दौरान कांग्रेस पार्टी के नेता सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और अन्य प्रमुख नेता भी निगमबोध घाट पर मौजूद रहे और पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए पहुंचे थे।



सिख धर्म में ऐसे होता है अंतिम संस्कार 
सिख धर्म में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया हिंदू धर्म से मिलती-जुलती है, लेकिन इसमें कुछ अनोखी परंपराएं भी शामिल होती हैं। सबसे खास बात यह है कि सिख धर्म में महिलाएं अंतिम संस्कार प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेती हैं, जबकि हिंदू धर्म में आमतौर पर महिलाओं को श्मशान जाने की अनुमति नहीं होती है। सिख धर्म के अनुसार किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके शव को श्मशान ले जाने से पहले स्नान कराया जाता है। इसके बाद सिख धर्म की पाँच महत्वपूर्ण वस्तुएं-कड़ा, कृपाण, कंघा, कटार और केश-शव के साथ रखी जाती हैं। शव को सजाने के बाद परिजन और करीबी रिश्तेदार 'वाहेगुरू' का जाप करते हुए अर्थी को श्मशान तक लेकर जाते हैं। चिता पर मृतक के किसी करीबी द्वारा मुखाग्नि दी जाती है। श्मशान से लौटने के बाद सभी लोग पहले स्नान करते हैं। फिर शाम के समय भजन-कीर्तन और अरदास का आयोजन किया जाता है। गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ मृत्यु के बाद 10 दिनों तक लगातार किया जाता है। इस दौरान सभी उपस्थित लोगों को कड़ाह प्रसाद वितरित किया जाता है। भजन-कीर्तन के साथ मृतक की आत्मा की शांति के लिए सामूहिक प्रार्थना की जाती है।

राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार देश के विशिष्ट व्यक्तियों को दिया जाने वाला विशेष सम्मान है। यह सम्मान आमतौर पर वर्तमान और पूर्व प्रधानमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और राज्य मंत्रियों को मिलता है। हालांकि समय के साथ इन नियमों में बदलाव आया है। राजकीय अंतिम संस्कार के लिए सरकार दिवंगत व्यक्ति के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान को ध्यान में रखती है। इस निर्णय में राज्य का मुख्यमंत्री अपने वरिष्ठ मंत्रिमंडल सहयोगियों से परामर्श करता है। राजकीय अंतिम संस्कार के निर्णय के बाद, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जैसे डिप्टी कमिश्नर, पुलिस आयुक्त, और पुलिस अधीक्षक को सूचित किया जाता है। पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटा जाता है और पूर्ण सैन्य सम्मान दिया जाता है। इस प्रक्रिया में मिलिट्री बैंड द्वारा ‘शोक संगीत’ बजाना और बंदूकों की सलामी देना शामिल होता है।

सबसे पहला राजकीय सम्मान अंतिम संस्कार
स्वतंत्र भारत में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किए जाने वाले पहले व्यक्ति महात्मा गांधी थे। इसके बाद मदर टेरेसा, सत्य साईं बाबा और श्रीदेवी जैसी हस्तियों को भी यह सम्मान मिला।

इन बातों को लेकर चर्चा में रहे मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह हमेशा अपनी नीली पगड़ी, राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए चर्चा में रहे। उनका अंतिम संस्कार भी उनकी पसंदीदा नीली पगड़ी पहनाकर किया गया। यह पगड़ी उनके लिए इसलिए खास थी क्योंकि उन्होंने इसे कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से ही अपनी पसंदीदा पगड़ी का सिग्नेचर कलर बना लिया था। डॉ. मनमोहन सिंह ने भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में अतुलनीय योगदान दिया है। वे भारत के पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने आर्थिक सुधारों को लागू किया और देश की आर्थिक स्थिति को नई दिशा दी। उनका शांत और सौम्य व्यक्तित्व हमेशा देशवासियों के दिलों में जिंदा रहेगा।

गुरुवार रात हुआ था निधन
मनमोहन सिंह का निधन गुरुवार रात हुआ था, और उनकी आयु 92 वर्ष थी। वे लंबे समय से बीमार थे और घर पर बेहोश होने के बाद उन्हें दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में इलाज के दौरान रात 9:51 बजे उनका निधन हो गया। उनके निधन की खबर सुनकर देशभर में शोक की लहर दौड़ गई।

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