जूना अखाड़े की भव्य पेशवाई : रथों पर झांकियां, ध्वजा और धार्मिक प्रतीकों के साथ भागीदारी, परंपरा और विविधता के रंग दिखे

UPT | पेशवाई के दौरान नाच कर अपनी खुशी जाहिर करते किन्नर अखाड़े के लोग

Dec 14, 2024 16:43

पेशवाई के दौरान किन्नर संत पारंपरिक वेशभूषा और आभूषणों से सुसज्जित थे। रथों पर सजीव झांकियां, ध्वज, और धार्मिक प्रतीकों ने उनकी उपस्थिति को और भी आकर्षक बना दिया।

Prayagraj News: प्रयागराज में जनवरी में लगने वाले महाकुंभ 2025 के पहले श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े की भव्य पेशवाई निकाली गई, इस पेशवाई में किन्नर अखाड़ा की भागीदारी ने कार्यक्रम को अनूठा आयाम दिया। किन्नर अखाड़ा इस पेशवाई में न केवल एक विशेष आकर्षण का केंद्र बना, बल्कि अखाड़े की समावेशी परंपरा और विविधता के रंग को भी उजागर किया। किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर के साथ अखाड़े की अध्यक्ष और महासचिव सहित सभी सदस्य मौजूद रहे।    भव्य पेशवाई में किन्नर अखाड़ा की उपस्थिति किन्नर अखाड़ा, जिसकी स्थापना सनातन परंपरा में समावेशिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हुई थी। उसने जूना अखाड़े की पेशवाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। अखाड़ा प्रमुख लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के नेतृत्व में किन्नर संत रथों और बग्घियों पर सवार होकर भव्यता का प्रदर्शन करते हुए हर-हर महादेव के जयघोष के साथ उन्होंने अपने रंगारंग कार्यक्रम का प्रदर्शन कर इस आयोजन को पवित्र और भव्य बनाया।   रंग-बिरंगे परिधान और धार्मिक आभा का प्रदर्शन पेशवाई के दौरान किन्नर संत पारंपरिक वेशभूषा और आभूषणों से सुसज्जित थे। रथों पर सजीव झांकियां, ध्वज, और धार्मिक प्रतीकों ने उनकी उपस्थिति को और भी आकर्षक बना दिया। किन्नर संतों के जयघोष और शंखनाद ने माहौल को आध्यात्मिक उन्नति से भर दिया।   जूना अखाड़े दिया सामाजिक समावेशी संस्कृति का संदेश जूना अखाड़े ने इस पेशवाई के दौरान सामाजिक समावेशी संस्कृति का संदेश दिया। नागा संन्यासियों और संतो के साथ किन्नर अखाड़ा की भागीदारी इस बात का प्रतीक है कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति के विविधता में एकता के संदेश को प्रकट करने का मंच भी है। किन्नर संतों की यह उपस्थिति धार्मिक समावेशिता और सामाजिक समरसता की मिसाल है।   शोभायात्रा में किन्नर अखाड़ा बना आकर्षण का केंद्र शोभायात्रा में किन्नर अखाड़ा की झांकियों को देखने के लिए सड़कों के दोनों ओर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। रथों पर विराजमान किन्नर संतों ने अपने आशीर्वाद से श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। धार्मिक गीतों, शंखध्वनि और डमरू की धुनों ने इस पल को और भी विशेष बना दिया।   आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्ता किन्नर अखाड़ा ने पेशवाई में अपनी भागीदारी से यह संदेश दिया कि धर्म और अध्यात्म सभी के लिए है। यह कदम उन समाजों और व्यक्तियों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास है, जिन्हें परंपरागत रूप से उपेक्षित किया गया।   महाकुंभ में समावेशिता का प्रतीक किन्नर अखाड़ा की इस ऐतिहासिक पेशवाई ने महाकुंभ के महत्व को और अधिक बढ़ा दिया। उनकी उपस्थिति ने यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा हर वर्ग, समुदाय और व्यक्ति को साथ लेकर चलने का संदेश देती है। श्रद्धालुओं के बीच किन्नर अखाड़ा की भागीदारी और उनकी आध्यात्मिक आभा ने पेशवाई को एक अद्वितीय और ऐतिहासिक स्वरूप दिया।

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