मिलावटी प्रसाद विवाद : प्रयागराज के मंदिरों में नवरात्र में बाहरी प्रसाद पर लगा प्रतिबंध, चढ़ा सकेंगे ये चीजें

UPT | मां ललिता देवी मंदिर

Sep 27, 2024 12:46

तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट की खबरों ने धार्मिक स्थलों पर प्रसाद की शुद्धता पर सवाल खड़े कर दिए हैं प्रयागराज के मां ललिता देवी मंदिर ने शारदीय नवरात्र के दौरान बाहरी प्रसाद को चढ़ाने पर रोक लगा दी है।

Prayagraj News : प्रयागराज के मीरापुर स्थित मां ललिता देवी मंदिर ने शारदीय नवरात्र के अवसर पर एक अहम फैसला लिया है। मंदिर प्रशासन ने नवरात्र के दौरान बाहरी दुकानों से लाए गए प्रसाद को चढ़ाने पर रोक लगा दी है। यह कदम हाल ही में तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट की खबरों के बाद उठाया गया है। इस निर्णय का उद्देश्य भक्तों की आस्था और मंदिर में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद की शुद्धता को सुनिश्चित करना है। मंदिर प्रशासन ने इस नई व्यवस्था को लागू कर दिया है और इसके संबंध में मंदिर के मुख्य द्वार और पिलर पर पोस्टर भी लगाए गए हैं, जिसमें भक्तों से अपील की गई है कि वे केवल मेवा, फल, और फूल को प्रसाद के रूप में अर्पित करें।

मिलावट के मामलों ने बढ़ाई चिंता
तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट की खबरों ने धार्मिक स्थलों पर चढ़ाए जाने वाले प्रसाद की शुद्धता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, ललिता देवी मंदिर के प्रबंधन ने यह कदम उठाया है। मंदिर के मुख्य पुजारी पं. शिव मूरत मिश्र ने बताया कि नवरात्र के दौरान मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं, और ऐसे में भक्तों की आस्था और विश्वास को बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य यह है कि मंदिर में चढ़ाए जाने वाला प्रसाद शुद्ध और सुरक्षित हो।
प्रयागराज के मीरापुर स्थित मां ललिता देवी मंदिर ने शारदीय नवरात्र के अवसर पर एक अहम फैसला लिया है। मंदिर प्रशासन ने नवरात्र के दौरान बाहरी दुकानों से लाए गए प्रसाद को चढ़ाने पर रोक लगा दी है।

क्या चढ़ाया जा सकेगा प्रसाद में?
मंदिर प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि नवरात्र के दौरान केवल मेवा, फल, फूल, नारियल, और घर में बनाए गए शुद्ध प्रसाद को ही मंदिर में चढ़ाने की अनुमति होगी। बाहरी दुकानों से खरीदी गई मिठाई, लड्डू या अन्य खाद्य पदार्थों को भगवान को अर्पित नहीं किया जा सकेगा। इसके स्थान पर गुड़-चना जैसे पारंपरिक प्रसाद का उपयोग करने की अपील की गई है। यह निर्णय न केवल प्रसाद की शुद्धता सुनिश्चित करेगा, बल्कि भक्तों को मिलावटी प्रसाद के सेवन से भी बचाएगा।

भक्तों के लिए अपील
मंदिर प्रबंधन ने भक्तों से अपील की है कि वे इस फैसले का सम्मान करें और बाहरी प्रसाद को मंदिर में न चढ़ाएं। पोस्टरों के माध्यम से भक्तों को सूचित किया गया है कि शुद्धता और आस्था को बनाए रखने के लिए केवल प्राकृतिक और शुद्ध प्रसाद का ही उपयोग किया जाए। मुख्य पुजारी पं. शिव मूरत मिश्र ने बताया कि यह निर्णय भक्तों की भलाई और भगवान की सेवा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

बाकी मंदिरों में भी लागू हो सकता है फैसला
प्रयागराज के अन्य मंदिरों में भी जल्द ही इस तरह की व्यवस्था लागू की जा सकती है। ललिता देवी मंदिर के मुख्य पुजारी ने बताया कि हाल ही में तिरुपति मंदिर के प्रसाद विवाद को लेकर एक बैठक हुई थी, जिसमें पुजारियों ने प्रसाद में मिलावट की संभावना पर चर्चा की। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि मिठाई विक्रेताओं द्वारा बेचे जाने वाले प्रसाद की शुद्धता पर भरोसा करना मुश्किल है, और मिलावट की आशंका हमेशा बनी रहती है। इसलिए, यह निर्णय लिया गया कि मिठाई के बजाय भगवान को गुड़-चना, फल, फूल, और घर में बनाए गए शुद्ध प्रसाद चढ़ाया जाएगा।

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