महाकुम्भ में 13 अखाड़ों की डिजिटल क्रांति : सनातन धर्म के ध्वजवाहक बना रहे अपना डेटाबेस, आय-व्यय के ब्यौरे से लेकर रहेगा इतिहास...

UPT | फाइल फोटो

Dec 10, 2024 17:54

प्रयागराज महाकुम्भ को अधिक दिव्य, भव्य, स्वच्छ, सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार तकनीकी और नवाचार का सहारा ले रही है। महाकुम्भ को डिजिटल रूप में पेश किया जा रहा है...

Prayagraj News : प्रयागराज महाकुम्भ को अधिक दिव्य, भव्य, स्वच्छ, सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार तकनीकी और नवाचार का सहारा ले रही है। महाकुम्भ को डिजिटल रूप में पेश किया जा रहा है, जिससे समय की बचत होती है और मितव्ययिता तथा पारदर्शिता भी सुनिश्चित होती है। इस पहल के साथ, अब सनातन धर्म के प्रमुख 13 अखाड़े भी डिजिटल तरीके से कार्य कर रहे हैं और डिजिटल युग में कदम रखते हुए वे भी अपने कार्यों को डिजिटल रूप में अंजाम दे रहे हैं।

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अखाड़े तैयार कर रहे हैं अपने-अपने डाटा बेस
सनातन धर्म के 13 प्रमुख अखाड़े अपनी समृद्ध धार्मिक परंपराओं को बनाए रखते हुए डिजिटल युग के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं। इन अखाड़ों ने अब अपने प्रबंधन में डिजिटलाइजेशन का उपयोग करना शुरू कर दिया है और वे अपना डाटा बेस तैयार कर रहे हैं। पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी के सचिव महंत जमुना पुरी के अनुसार, उनके अखाड़े में कंप्यूटर और बही खाता दोनों का उपयोग किया जा रहा है, जो ऑडिट में मदद करता है और इनकम टैक्स के रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने में भी सहायक है। पंच अग्नि अखाड़े के महामंत्री सोमेश्वरानंद ब्रह्मचारी बताते हैं कि महाकुंभ में उनके अखाड़े का ऑडिट होता है और पहले जहां बही खाते से जानकारी दी जाती थी, अब सभी के पास गैजेट्स हैं। उनके संस्कृत विद्यालय की सभी जानकारी जैसे छात्रों की संख्या, आय और व्यय भी इस डाटा बेस के माध्यम से एकत्र की जाती है।



वैश्विक अभियानों को गति प्रदान करेगा अखाड़ों का डाटा बेस
सनातन धर्म के 13 अखाड़े न केवल अध्यात्म, भक्ति और साधना के प्रचारक हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इन अखाड़ों के आचार्य कई महत्वपूर्ण अभियान चला रहे हैं। आवाहन अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरी का कहना है कि संत केवल धर्म के प्रचारक नहीं हैं, बल्कि वे मानवता को बचाने के लिए भी कार्य कर रहे हैं। इस संदर्भ में, वे पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण अभियान चला रहे हैं, जिसका डाटा बेस भी तैयार किया जा रहा है। इस डिजिटल डाटा बेस से संतों को समय की बचत होती है, पारदर्शिता स्थापित होती है और प्रबंधन को भी सहायता मिल रही है।

सनातन की जड़ें मजबूत करने में उपयोगी है डाटा बेस
आदिवासी और वंचित समाज के साथ सनातन धर्म की निकटता स्थापित करने में डाटा बेस एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित होगा। पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी के महा मंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती का कहना है कि अखाड़ों को डिजिटल युग के अनुरूप अपने कार्यों को स्वीकार करना होगा, ताकि विस्तार और अन्वेषण में सफलता मिल सके। उनका मानना है कि आदिवासी समाज को जागृत कर सनातन धर्म की परंपराओं से जोड़ने के लिए डाटा बेस तैयार करना अत्यंत आवश्यक है। स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने बताया कि उनके आदिवासी विकास यात्राओं के अनुभव में यही बात सामने आई है कि वंचित समाज में सनातन धर्म की जड़ों को मजबूत करने के लिए उनकी जानकारी को संग्रहीत करके डाटा बेस तैयार करना एक जरूरी कदम है और वह स्वयं इस दिशा में प्रयासरत हैं।

वैष्णव अखाड़ों भी बनाएंगे अपना डाटा बेस
वैष्णव अखाड़ों में भी डाटा बेस बनाने पर सहमति है, लेकिन कुछ तकनीकी समस्याएं होने की वजह से इसे आने वाले समय में अमल में लाने की बात अखाड़े कह रहे हैं। अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अणि अखाड़े के महंत राम दास का कहना है कि संन्यासी सम्प्रदाय के अखाड़ों की तरह वैष्णव अखाड़ों के पास अपने ट्रस्ट नहीं हैं। इसलिए ऑडिट की आवश्यकता उन्हें नहीं पड़ती। लेकिन यह मौजूदा दौर की सच्चाई है कि डिजिटल युग के दौड़ में वैष्णव अखाड़ों को भी अपने-अपने अखाड़ों के डाटा बेस बनाने होंगे।

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