Chandauli News : गंगा पूजन और कलश यात्रा के साथ मनाया गया अघोरेश्वर भगवान राम का 32वां महानिर्वाण दिवस

UPT | अनिल बाबा और गुरु बाबा का दर्शन करते भक्त

Nov 29, 2024 15:40

परम पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी का 32 वां महानिर्वाण दिवस पूज्य मां श्री सर्वेश्वरी सेवा संघ के प्रांगण में शुक्रवार को मनाया गया। प्रातः मां गंगा का पूजन किया गया तथा कलश यात्रा निकाली गई।

Chandauli News : चंदौली में परम पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी के 32वें महानिर्वाण दिवस को पूज्य मां श्री सर्वेश्वरी सेवा संघ के प्रांगण में मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम ने आध्यात्मिक संस्कृति और गुरु परंपरा की गहराइयों को प्रदर्शित किया।

सुबह की शुरुआत गंगा पूजा और कलश यात्रा से हुई
सुबह की शुरुआत मां गंगा के पूजन और कलश यात्रा के साथ हुई, जिसमें "अघोरान्ना परो मंत्रो नास्ति तत्वं गुरो: परम" का जाप किया गया। यात्रा परम पूज्य श्री अघोरेश्वर के चरणों में पहुंचकर संपन्न हुई।  इसके बाद, गुरुबाबाजी और अनिल बाबा जी ने दिग्बन्धन किया। इसके बाद हवन और खट्वांग कपाल पूजा का आयोजन किया गया।

दिन भर चला भंडारा, सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ
दिन भर चले भंडारे में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया और शाम को अघोरेश्वर गुरुकुल के बच्चों ने एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की मुख्य आकर्षण पूज्य श्री गुरुबाबाजी का आशीर्वचन था, जिन्होंने अघोरेश्वर भगवान राम जी के जीवन और शिक्षाओं पर प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया कि अघोरेश्वर भगवान राम जी अपने हर पूर्व जन्म में किसी न किसी रूप में इस धरती पर उपस्थित रहे हैं। उन्होंने युवावस्था में ही अघोरेश्वर की परम अवस्था को प्राप्त किया, जो अध्यात्म की सर्वोच्च अवस्था है। उनका मानव रूप में अवतरण मानव जाति की सहायता और सही दिशा दिखाने के उद्देश्य से हुआ।

साधु-संतों के कर्तव्य पर जोर दिया
वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों पर टिप्पणी करते हुए, गुरुबाबाजी ने कहा कि मानव इतिहास के इस अंधकारमय दौर में कुछ शक्तिशाली आत्माएं मानवता के विपरीत कार्य कर रही हैं। उन्होंने साधु-संतों के कर्तव्य पर जोर दिया कि वे इन भटकती आत्माओं की मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।

कार्यक्रम में ये लोग मौजूद रहे
कार्यक्रम में डॉ. आर के सिंह, डॉ. पी. के. सिंह, बी.एन. सिंह, डॉ. अशोक मिश्रा, डॉ. राजेश चौहान, ओम प्रकाश सिंह, सुनीता चौहान और अघोरेश्वर गुरुकुल के शिक्षकों एवं बच्चों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह कार्यक्रम न केवल एक स्मृति समारोह था, बल्कि आध्यात्मिक चेतना और मानवीय मूल्यों को पुनर्जीवित करने का एक प्रयास भी था।

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