विश्व हृदय दिवस 2024 : बीएचयू में हर हफ्ते 40 साल से कम उम्र के 10 मरीजों को लग रहे स्टेंट, बढ़ रहा हृदय रोगों का खतरा

UPT | विश्व हृदय दिवस।

Sep 29, 2024 17:49

बीएचयू के हृदय रोग विभाग की ओपीडी में अब 20 से 40 साल की उम्र के लोग भी बड़ी संख्या में आ रहे हैं। चिंता की बात यह है कि हर सप्ताह 40 साल से कम उम्र के लगभग 10 मरीजों को स्टेंट लगाने की जरूरत पड़ रही है।

Varanasi News : हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य हृदय रोगों के प्रति जागरूकता फैलाना है। इस साल की थीम 'यूज हर्ट फॉर एक्शन' है, जो लोगों को अपने दिल का ख्याल रखने और सक्रिय जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करती है। हृदय रोगों का बढ़ता खतरा अब सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि किशोरों और युवाओं में भी तेजी से फैल रहा है।

बीएचयू (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) के हृदय रोग विभाग की ओपीडी में अब 20 से 40 साल की उम्र के लोग भी बड़ी
संख्या में आ रहे हैं। चिंता की बात यह है कि हर सप्ताह 40 साल से कम उम्र के लगभग 10 मरीजों को स्टेंट लगाने की
जरूरत पड़ रही है। इन मरीजों में दिल की धड़कन तेज होना, सीने में दर्द और चलते-चलते सांस फूलने जैसी समस्याएं देखी
जा रही हैं, जो आमतौर पर 50 साल से अधिक उम्र वालों में होती थीं।

हृदय रोगों की बढ़ती समस्या
बीएचयू के हृदय रोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर ओमशंकर का कहना है कि ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 400 मरीज आ
रहे हैं, जिनमें से 20 से 30 मरीज 20 से 40 साल की उम्र के होते हैं। इनमें से अधिकांश को प्रारंभिक हृदय रोग के
लक्षण जैसे सीने में दर्द, सांस फूलना, और ब्लड प्रेशर की समस्याएं होती हैं। जांच के बाद पता चलता है कि इन मरीजों को
हृदय रोग की शुरुआत हो चुकी है और कई मामलों में उन्हें स्टेंट लगाने की भी आवश्यकता पड़ती है।

किशोरों और युवाओं में हृदय रोगों का मुख्य कारण असंतुलित जीवनशैली और खानपान है। प्रोफेसर ओमशंकर ने यह भी
बताया कि मरीजों के परिजनों को उनके बच्चों की सेहत पर विशेष ध्यान देने और उन्हें खेलकूद, व्यायाम जैसी गतिविधियों में
भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने की सलाह दी जाती है।

सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी
जिले के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में हृदय रोग विशेषज्ञों की कमी एक
बड़ी समस्या है। सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि मरीजों की ब्लड प्रेशर और ईसीजी जांच के लिए फिजिशियन और
एमडी डॉक्टर किसी तरह से काम कर रहे हैं। गंभीर मामलों में मरीजों को बीएचयू अस्पताल रेफर किया जाता है। सरकारी
अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर ईसीजी की सुविधा बहुत जल्द उपलब्ध कराई जाएगी ताकि मरीजों को त्वरित जांच और
इलाज मिल सके।

डॉ. चौधरी के अनुसार, हृदयाघात की समस्या लेकर आने वाले मरीजों को थंब्रोलाइसिस की सुविधा भी दी जा रही है। इसके
लिए स्वास्थ्य कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। शहर से लेकर गांव तक सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में
ईसीजी की सुविधा उपलब्ध कराने की योजना है, जिससे गांव के लोग भी समय पर हृदय रोगों की जांच करवा सकें।

हृदय रोगों के प्रमुख कारण
हृदय रोगों के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण असंतुलित जीवनशैली है। विशेष रूप से इन कारणों ने हृदय रोगों को युवाओं तक
पहुंचा दिया है:
  • असंतुलित खानपान : तैलीय और वसायुक्त भोजन का अत्यधिक सेवन।
  • मोटापा और शारीरिक गतिविधियों की कमी: नियमित व्यायाम न करना और शारीरिक श्रम की कमी।
  • तनाव और अनिद्रा: मानसिक तनाव और नींद की कमी भी हृदय रोगों को बढ़ावा देती है।
  • शराब और सिगरेट का सेवन: इन आदतों से हृदय पर बुरा असर पड़ता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।

जागरूकता और बचाव के उपाय
हृदय रोगों से बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना बेहद जरूरी है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव से बचने के
लिए योग और ध्यान का अभ्यास, पर्याप्त नींद, और धूम्रपान व शराब से दूरी बनाए रखना हृदय रोगों से बचने के प्रमुख
उपाय हैं। 

'यूज हर्ट फॉर एक्शन' की थीम को ध्यान में रखते हुए, यह जरूरी है कि हम अपने दिल का ख्याल रखें और दूसरों
को भी इसके प्रति जागरूक करें। 

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