कटेहरी की हॉट सीट पर बीजेपी का परचम : भाजपा प्रत्याशी ने 33 साल बाद तोड़ा सपा का गढ़, जानिए कौन हैं धर्मराज निषाद

भाजपा प्रत्याशी ने 33 साल बाद तोड़ा सपा का गढ़, जानिए कौन हैं धर्मराज निषाद
UPT | धर्मराज निषाद

Nov 23, 2024 17:11

अंबेडकरनगर की चर्चित कटेहरी विधानसभा सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव ने ऐतिहासिक मोड़ लिया। जब भारतीय जनता पार्टी के धर्मराज निषाद ने समाजवादी पार्टी को करारी शिकस्त देते...

Nov 23, 2024 17:11

Ambedkar Nagar News : अंबेडकरनगर की चर्चित कटेहरी विधानसभा सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव ने ऐतिहासिक मोड़ लिया। जब भारतीय जनता पार्टी के धर्मराज निषाद ने समाजवादी पार्टी को करारी शिकस्त देते हुए विजय हासिल की। भाजपा के प्रत्याशी धर्मराज निषाद ने समाजवादी पार्टी की प्रतिपक्षी शोभावती वर्मा को करीब 30 हजार मतों के विशाल अंतर से हराते हुए क्षेत्र में एक नये अध्याय की शुरुआत की है। यह जीत न केवल भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि 33 साल बाद कटेहरी सीट पर भगवा परचम लहराना क्षेत्रीय राजनीति में बड़ा बदलाव भी दर्शाता है।

सपा के गढ़ में सेंध
कटेहरी सीट पर सपा लंबे समय से मजबूत स्थिति में थी। यहां का राजनीतिक परिदृश्य सपा के पक्ष में झुका हुआ था और यह सीट पार्टी के लिए एक सुरक्षित क्षेत्र मानी जाती थी। हालांकि इस बार भाजपा ने अपनी रणनीतिक चालों और मुद्दों पर आधारित प्रचार के जरिए सपा के किले को भेदने में सफलता पाई।

धर्मराज निषाद का उभार
भाजपा उम्मीदवार धर्मराज निषाद ने अपनी सधी हुई रणनीति और जनता से जुड़ाव के जरिए यह जीत हासिल की। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों जैसे रोजगार, विकास परियोजनाओं और किसानों के कल्याण को प्राथमिकता दी। साथ ही उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों को जनता के सामने प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया। धर्मराज निषाद ने अपनी जीत को भाजपा की नीतियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "सबका साथ, सबका विकास" के विजन की जीत बताया। उन्होंने कहा, "यह जीत जनता के विश्वास और विकास की राजनीति का प्रमाण है। मैं कटेहरी की जनता की हर उम्मीद पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा।"

सपा के लिए बड़ा झटका
कटेहरी सीट पर हार समाजवादी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है। पार्टी इस सीट को अपने गढ़ के रूप में देखती थी और यहां से हारने का मतलब है कि सपा को अपने आधार और रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा। सपा नेताओं ने हार के बाद कहा कि वे परिणामों की समीक्षा करेंगे और भविष्य में क्षेत्रीय स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश करेंगे।

33 साल बाद बदला समीकरण
भाजपा ने 33 साल बाद इस सीट पर जीत हासिल कर इतिहास रच दिया। यह जीत क्षेत्र में भाजपा के बढ़ते प्रभाव और सपा के घटते जनाधार का संकेत है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने अपने संगठन और जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं के बल पर यह जीत संभव बनाई।

कटेहरी की राजनीति का नया अध्याय
धर्मराज निषाद की यह जीत न केवल भाजपा के लिए उत्साहजनक है बल्कि कटेहरी क्षेत्र की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत भी है। यह चुनाव यह दिखाता है कि जनता अब पारंपरिक निष्ठाओं से आगे बढ़कर विकास और शासन के प्रदर्शन के आधार पर अपने प्रतिनिधि चुन रही है।

जानिए कौन है धर्मराज निषाद
धर्मराज निषाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाना माना नाम है। खास तौर पर बात अगर निषाद बिरादरी की करें तो धर्मराज काफी चर्चित नेता हैं। एक समय में धर्मराज निषाद की गिनती बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कद्दावर नेताओं में होती थी। धर्मराज पहली बार 1996 में कटेहरी से विधायक चुने गए थे. 2002 में जब वह दूसरी विधायक बने तो उस दौरान भी वह बसपा में ही थे. उन्होंने बसपा के ही टिकर पर 2007 में जीत की हैट्रिक लगाई। बसपा की सरकार में धर्मराज निषाद मत्स्य मंत्री भी रहे थे। इसके बाद में उन्होंने बसपा का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। भाजपा में शामिल होने के बाद 2022 में उन्होंने अकबरपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

कटेहरी का जातीय समीकरण
कटेहरी विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या करीब चार लाख है। इसमें 2 लाख 10 हजार 568 पुरुष है। वहीं 1 लाख 90 हजार 306 महिला हैं। यहां पहली बार वोटिंग करने वाले युवाओं की संख्या साढ़े 7 हजार की है। यहां सबसे अधिक जनसंख्या अनुसूचित जाति के मतदाता की है। दूसरे नंबर पर यहां ब्राह्मण मतदाता है। जबकि कुर्मी और निषाद जाति के वोटर लगभग बराबर की संख्या में हैं। यहां ब्राह्मण 50 हजार, क्षत्रिय 30 हजार, अनुसूचित जाति 95 हजार, कुर्मी 47 हजार, मुस्लिम 40 हजार, यादव 22 हजार, निषाद 30 हजार, मौर्य 10 हजार, राजभर 20 हजार, बनिया 15 हजार, पाल 7 हजार, कुम्हार 6 हजार, नाई 8 हजार, चौहान 5 हजार, विश्वकर्मा 4 हजार की तादात में हैं।

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