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भगवान राम का हुआ सूर्यतिलक : वैज्ञानिकों ने कैसे तैयार किया इसका मैकेनिज्म, कितना आया इसमें खर्च?

वैज्ञानिकों ने कैसे तैयार किया इसका मैकेनिज्म, कितना आया इसमें खर्च?
UPT | भगवान राम का हुआ सूर्यतिलक

Apr 17, 2024 15:30

अयोध्या में विराजमान रामलला का रामनवमी के अवसर पर तीन मिनट कर सूर्य तिलक हुआ। इसके लिए वैज्ञानिकों ने पहले से तैयारी शुरू कर दी थी। लेकिन क्या आपको पता है कि इस पूरी प्रक्रिया के क्रियान्वयन के लिए मैकेनिज्म कैसे तैयार किया गया

Apr 17, 2024 15:30

Short Highlights
  • तीन मिनट तक हुआ रामलला का सूर्यतिलक
  • अष्टधातु के पाइप का हुआ इस्तेमाल
  • 1.20 करोड़ का है पूरा सिस्टम
Ayodhya News : अयोध्या में विराजमान रामलला का रामनवमी के अवसर पर तीन मिनट कर सूर्य तिलक हुआ। इसके लिए वैज्ञानिकों ने पहले से तैयारी शुरू कर दी थी। लेकिन क्या आपको पता है कि इस पूरी प्रक्रिया के क्रियान्वयन के लिए मैकेनिज्म कैसे तैयार किया गया और सूर्य की किरणों का अभिषेक अगले कितने सालों तक होगा? अगर नहीं, तो हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं।

अष्टधातु के पाइप का हुआ इस्तेमाल
धार्मिक कारणों से लोहे के पाइप से किरणों का आना सही नहीं माना जाता है। इस कारण मैकेनिज्म को बनाने में कांच के अलावा केवल अष्टधातु का इस्तेमाल किया गया। यह पूरा सिस्टम करीब 65 फीट लंबाई का है। इसे बेंगलुरु की एक कंपनी ने 1.20 करोड़ रुपये में तैयार किया है। यह सिस्टम मंदिर को दान कर दिया गया है। इस सिस्टम का कोई मेंटेनेंस खर्च नहीं है। वहीं इसकी ऑपरेटिंग भी आसान है। इसके लिए कुछ लोगों को ट्रेंड भी किया जाएगा।

इन बातों का रखा गया विशेष ध्यान
इस पूरे मैकेनिज्म को तैयार करने में करीब 20 अष्टधातु के पाइप का इस्तेमाल किया गया। हर पाइप की लंबाई करीब 1 मीटर है। इस मंदिर के पहले फ्लोर की सिलिंग से जोड़ते हुए मंदिर के अंदर लाया गया। सूर्य की गर्म किरणें रामलला के मस्तक सीधे न पड़ें, इसके लिए विशेष आईआर फिल्टर ग्लास का इस्तेमाल किया गया। इस फिल्टर के कारण सूर्य की किरणों का तापमान 50 डिग्री तक कम हो गया। पाइप को मंदिर की दीवार पर इस तरह से सेट किया गया कि यह किसी को दिखे नहीं। पाइप के हर मोड़ पर एक लेंस और दर्पण लगाया गया, जिससे सूर्य की किरणें रिफ्लेक्ट होती रहें।
 
इन टीमों ने मिलकर किया तैयार
सूर्य तिलक के लिए इस्तेमाल होने वाले पाइप से लेकर मिरर तक, सब कुछ बेंगलुरु की कंपनी ऑप्टिक्स एंड एलाइड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है। इसका डिजाइन सेंट्रर बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने तैयार किया है। वहीं इसकी फिटिंग इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स बेंगलुरु ने की। जानकारी के मुताबिक इसमें 4 मिरर और 4 लेंस का इस्तेमाल किया गया है। ये सभी बेहद उच्च क्वालिटी के हैं और इनकी कीमत भी काफी ज्यादा है। मंदिर के फर्स्ट फ्लोर की सिलिंग पर मिरर सेट किया गया, जिस पर सूर्य की किरणें पड़ीं और फिर उसे पाइप के माध्यम से रामलला के मस्तक पर रिफ्लेक्ट किया गया।

कब-कब होगा रामलला का सूर्यतिलक?
सूर्यतिलक के लिए जो मैकेनिज्म तैयार किया गया है, उसके माध्यम से हर साल रामनवमी के अवसर पर भगवान राम का अभिषेक किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक हर साल सूर्य तिलक की टाइमिंग बढ़ती जाएगी। ऐसा 19 साल तक होगा। इसके बाद 2043 में फिर से उतनी ही देर तक सूर्यतिलक होगा, जितना 2024 में हुआ है। इसके पीछे की वजह ये है कि साल दर साल सूर्य ज्यादा देक तक निकलता है, लेकिन 19 साल बाद वह पहले की अवस्था में आ जाता है।

1 महीने तक नहीं डूबा था अयोध्या में सूर्य
तुलसीदास रचित रामचरितमानस में एक दोहा है- 'मास दिवस कर दिवस भा मरम न जानइ कोइ। रथ समेत रबि थाकेउ निसा कवन बिधि होइ।।' इसका अर्थ ये है कि जब भगवान राम का जन्म हुआ था, तब अयोध्या में भगवान सूर्य भी आकर ठहर गए थे। इस कारण वहां पूरे एक महीने तक सूरज ही नहीं डूबा था। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान सूर्य तब अपने रथ सहित वहां आकर रुके थे और अयोध्या में पूरे एक महीने का एक दिन हुआ था। इस कारण सूर्य तिलक का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

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