बाबरी विध्वंस की बरसी पर सत्येन्द्र दास का बयान : कहा- इस दिन को हिंदू 'शौर्य दिवस' के रूप मे मनाते, मंदिर के निर्माण का बताया…

कहा- इस दिन को हिंदू 'शौर्य दिवस' के रूप मे मनाते, मंदिर के निर्माण का बताया…
UPT | आचार्य सत्येन्द्र दास

Dec 06, 2024 12:57

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने इस मौके पर कहा कि अब यह विवाद समाप्त हो चुका है। उन्होंने कहा, "जब बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ था। उस समय हिंदू इसे शौर्य दिवस और मुस्लिम...

Dec 06, 2024 12:57

Ayodhya News : उत्तर प्रदेश में 6 दिसंबर का दिन एक ऐतिहासिक और संवेदनशील तिथि के रूप में जाना जाता है। वर्ष 1992 में इसी दिन अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था। जिसने देशभर में गहरे प्रभाव छोड़े। जहां एक ओर हिंदू समाज इस दिन को 'शौर्य दिवस' के रूप में मनाता रहा है। वहीं मुस्लिम समाज इसे 'गम दिवस' के तौर पर देखता था। लेकिन राम मंदिर निर्माण और सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद इस दिन को लेकर बदलती धारणा अब सामने आ रही है।

आचार्य सत्येन्द्र दास की प्रतिक्रिया
श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने इस मौके पर कहा कि अब यह विवाद समाप्त हो चुका है। उन्होंने कहा, "जब बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ था। उस समय हिंदू इसे शौर्य दिवस और मुस्लिम इसे गम दिवस के रूप में देखते थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश और राम मंदिर निर्माण के बाद अब सब कुछ शांत हो गया है। लोगों ने यह स्वीकार कर लिया है कि यह कोर्ट का आदेश था और अब इसे बदलना संभव नहीं है।" उन्होंने आगे कहा कि "अब 6 दिसंबर एक ऐतिहासिक दिन है, लेकिन इसे लेकर कोई भावनात्मक उथल-पुथल नहीं है। मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के बाद वहां केवल रामलला का भव्य मंदिर है और लोग दर्शन के लिए आते हैं। पुराना विवाद अब इतिहास बन चुका है।"

राम मंदिर का निर्माण और विवाद का अंत
आचार्य सत्येन्द्र दास ने यह भी कहा कि ढांचा गिरने के बाद जो गम और शौर्य दिवस की परंपराएं थीं। वह अब समाप्त हो चुकी हैं। राम मंदिर निर्माण के साथ ही इन भावनाओं ने अपना महत्व खो दिया है। उन्होंने इसे नए युग की शुरुआत का प्रतीक बताया। जहां रामलला का मंदिर केवल श्रद्धा और आस्था का केंद्र है, न कि विवाद का।


1992 की घटना और सुरक्षा के कदम
गौरतलब है कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने के बाद देशभर में तीव्र राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल हुई थी। इस घटना के चलते अयोध्या समेत पूरे देश में माहौल संवेदनशील हो गया था। तभी से यह दिन हर साल अयोध्या और अन्य प्रमुख शहरों में कड़ी सुरक्षा के बीच गुजारा जाता है।

सुरक्षा की सख्त व्यवस्था
आज भी 6 दिसंबर को अयोध्या और प्रदेश के बड़े शहरों में विशेष सुरक्षा प्रबंध किए जाते हैं। अराजक तत्वों पर नजर रखने और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया जाता है। प्रशासन सुनिश्चित करता है कि समाज में सौहार्द और शांति बनी रहे।

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