अयोध्या के राम कथा पार्क में कलाकारों ने गीत, संगीत और नृत्य के माध्यम से सीताराम के आदर्शों को सबके सामने प्रस्तुत किया। विभा नौटियाल ने कथक नृत्य शैली में सियाराम नृत्य नाटिका प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अयोध्या में रामोत्सव : बिरहा की तान पर पवित्र सरयू किनारे झूमे श्रद्धालु, रामकथा पार्क में भरतनाट्यम की मनमोहक प्रस्तुति
Feb 23, 2024 16:16
Feb 23, 2024 16:16
- कलाकारों ने संवाद, संगीत और कथक के माध्यम से भगवती सीता के जीवन के तमाम उतार-चढ़ाव को मंच पर दर्शाया
- उत्तराखंड से आई सरिता बनोला और उनके दल ने उत्तराखंड की सादगी और निष्ठा को थड़िया या चौपाला लोक नृत्य के माध्यम से मंच पर प्रस्तुत किया
कलाकारों ने राम-रावण युद्ध का किया सजीव मंचन
काशी से आई शुभांगी सिंह और उनके दल ने भरतनाट्यम नृत्य की शुद्ध प्रस्तुति दी। उसके बाद भगवान श्री राम की स्तुति जय राघव से की । इसी क्रम में श्रीरामचरित मानस के विभिन्न प्रसंगों को संक्षिप्त रूप में इन कलाकारों ने बेहद भावपूर्ण ढंग से मंच पर संजीव कर दिया, चाहे वह राम रावण का युद्ध हो या फिर वानरों द्वारा समुद्र पर सेतु बांधना। सब कुछ इतना जीवंत था कि दर्शक रह-रहकर तालियां बजाने से रोक नहीं पा रहे थे। दर्शकों की मांग पर शुभांगी के दल ने एक और राम स्तुति पर अपना नृत्य प्रस्तुत किया। उत्तराखंड से आई सरिता बनोला और उनके दल के कलाकारों ने उत्तराखंड की सादगी और निष्ठा को थड़िया या चौपाला लोक नृत्य के माध्यम से मंच पर प्रस्तुत किया। ये नृत्य सभी शुभ और मांगलिक अवसरों पर उत्तराखंड में किया जाता है, जिसमें देवी देवताओं की आराधना की जाती है। इन्हीं कलाकारों ने इसके बाद मंच पर भगवती नंदा देवी की आराधना में एक लोक नृत्य भी प्रस्तुत किया। जिसमें नंदा देवी जब मायके से ससुराल जाती हैं तो सभी गांव वाले उन्हें बेटी की तरह विदा करने आते हैं। पूरे बारह वर्षों का पहनावा, खाना-पीना, चार सींग वाले मेडू (जानवर) पर रख देते हैं जो मां भगवती को कैलाश तक छोड़ कर आता है। इस पूरे प्रसंग को लोक नर्तकों ने बेहद मनोरम ढंग से मंच पर प्रस्तुत करके सभी को विभोर कर दिया। उत्तराखंड के कलाकारों की पोशाक और लोकधुन की मीठी तान ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
कठपुतली ने बताई वाल्मीकि आश्रम की कथा
प्रदीप कुमार त्रिपाठी ने कठपुतलियों के माध्यम से वाल्मिकी ऋषि के आश्रम की कथा बेहद रोचक अंदाज में कही। वाल्मिकी जी के आश्रम में लवकुश का संस्कार और शिक्षा ग्रहण करना। खेल खेल में अश्वमेघ यज्ञ के अश्व को बांध लेना और अयोध्या के वीरों को मूर्छित करके राजा राम को आश्रम तक आने को विवश कर देना सभी को लुभा गया। वाल्मिकी जी द्वारा लवकुश का परिचय भगवान के पुत्र में देने का दृश्य सभी को भावुक कर गया। दर्शक कठपुतलियों के जीवंत अभिनय के दीवाने हो गए। इसी प्रवाह को चरम पर ले जाने के लिए मंच पर प्रयागराज से आए जंगबली यादव मंच पर अपने दल के साथ आए और सबसे पहले भगवान रामलला की सांवली सुरतिया ने मोह लिया रे गाकर उनके विग्रह के दर्शन उपस्थित जनसमूह को कराया तो सभी निहाल हो गए और पांडाल जय जय सियाराम के उद्घोष से गूंज उठा। इसके बाद जंगबली यादव ने एक के बाद एक बिरहा सुनाया जिस पर सभी मगन होकर तालियां बजाकर कलाकारों का उत्साह बढ़ा रहे थे। देर रात्रि तक चले इस कार्यक्रम का संचालन देश दीपक मिश्र ने करके सभी को बांधे रखा। अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान के निदेशक डॉ. लवकुश द्विवेदी ने कलाकारों का सम्मान स्मृति चिह्न प्रदान करके किया। इस अवसर पर राकेश कुमार, भूपेश, गणेश, करण, ऋतिका, दीपशिखा समेत संतजन और भारी संख्या में दर्शक उपस्थित रहे।
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