लोकसभा चुनाव -2024 के रिजल्ट घोषित होने के बाद यह सवाल लोगों के मन में खटक रहा है कि पिछले एक दशक से बीजेपी का अभेद किला बना बलिया इस बार क्यों ध्वस्त हो गया ? लंबे समय से मतदाताओं के मन में...
आखिर क्यों मतदाताओं के मन में मुरझाया कमल : एक दशक से बीजेपी का अभेद किला बना था बलिया, हैट्रिक लगाने से चुका
Jun 06, 2024 00:20
Jun 06, 2024 00:20
महंगाई, बेरोजगारी एवं भ्रष्टाचार से उब चुकी है जनता
संविधान खतरे में है, इसका असर आम मतदाताओं पर गहराता गया, जिसके कारण बसपा का वोट टूटकर सपा की तरफ स्थानांतरित हो गए। सपा की तरफ मतदाताओं का रुझान होने से भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार अपनी जीती हुई सीट पर भी हार गया। ऐसा भाजपा एवं भाजपा के अन्य घटक दलों के नेताओं का मानना है। उधर समाजवादी पार्टी से बलिया लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करने वाले सनातन पांडेय एवं उनके समर्थकों का दावा है कि यह जीत जनता की जीत है। जनता भारतीय जनता पार्टी की महंगाई, बेरोजगारी एवं भ्रष्टाचार से उब चुकी है। इन्हीं कारणों से बलिया की जनता भाजपा को नापसंद कर सपा को गले लगाया है। इस सीट का सटीक विश्लेषण करें तो निश्चित रूप से भाजपा को लेकर कई तरह की नाराजगी मतदाताओं के मन में पल रही थी। मतदाताओं के मन में पिछले एक दशक से खिलने वाला "कमल" इस बार आखिरकार क्यों मुर्झा गया और भारतीय जनता पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा?
सपा के गठबंधन से मुस्लिम वोट एकतरफा पड़े
इसके मुख्य कारण हैं कि कांग्रेस- सपा गठबंधन ने युवाओं पर इस बार फोकस किया बेरोजगारी, नौकरी, अग्निवीर और महंगाई का मुद्दा रखा। जबकि भाजपा के पास युवाओं के लिए कोई नयी योजना और नया एजेंडा नहीं था। दूसरा कांग्रेस और सपा के गठबंधन से मुस्लिम वोट एकतरफा पड़े। इंडिया गठबंधन गरीब, मजदूर एवं किसानों को भी अपनी बात समझने में सफल रहे।
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