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Ballia News : भाजपा- सपा में कांटे की टक्कर, बसपा कर रही है जीत का दावा 

भाजपा- सपा में कांटे की टक्कर, बसपा कर रही है जीत का दावा 
UPT | लोकसभा चुनाव 2024

May 08, 2024 18:55

बलिया लोकसभा सीट की बात करें तो भाजपा एवं सपा में कांटे की टक्कर होना तय माना जा रहा है। जबकि बसपा दलित और अल्पसंख्यक मतों के सहारे जीत का दावा ठोंक रही है। बलिया लोकसभा सीट पर...

May 08, 2024 18:55

Ballia News : लंबे समय से अपनी-अपनी राजनीतिक खेती तैयार करने में जुटे नेतागणों के फसल काटने के दिन करीब आ गए हैं। देखा जाए तो पांच साल बाद फसल पककर तैयार है। प्रत्येक दल के उम्मीदवार और समर्थक अपना झंडा-डंडा लेकर खेत का मालिक होने का दावा ठोंक रहे हैं। 2024 के चुनावी महासमर में कई नेताओं की नैया डूब सकती है, तो कुछ के खेवनहार भी मिल गए हैं। 

दलों के लिए जीत बनी चुनौती
बलिया लोकसभा सीट की बात करें तो भाजपा एवं सपा में कांटे की टक्कर होना तय माना जा रहा है। जबकि बसपा दलित और अल्पसंख्यक मतों के सहारे जीत का दावा ठोंक रही है। बलिया लोकसभा सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर को बीजेपी ने इस बार उम्मीदवार बनाया है। नीरज शेखर वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं। वह दो बार बलिया लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं। इस लोकसभा सीट पर जीत एक बड़ी चुनौती बन गई है। देखा जाए तो कांटे की टक्कर के बावजूद भाजपा प्रत्याशी का दर्द अपनों के बीच छलक रहा है। दर्द के भाव कुछ यूं कह सकते हैं।

जब चलना नहीं आता था, तब कोई गिरने नहीं देता था।
जब चलना सीख लिया, तो हर कोई गिराने में लगा हैं।


वह दौर था जब पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर अपने बेटों को राजनीति से काफी दूर रखे। लोग बताते हैं कि चंद्रशेखर के निधन के बाद वर्ष 2007 के उप चुनाव में नीरज शेखर को राजनीति का ज्ञान तक नहीं था। लेकिन राजनीति की लंबी पारी खेलकर सियासत में अब वह परिपक्व हो चुके हैं। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने नीरज शेखर पर दाव लगाया है। जबकि समाजवादी पार्टी ने अपने पूर्व लोकसभा प्रत्याशी सनातन पांडेय को एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा है। गठबंधन व सपा के दिग्गज नेताओं के एकजुट होने से सनातन पांडेय का टेपो हाई है। ऐसे में सपाई अपने जीत का दावा ठोक रहे हैं।

एक जून को होगा मतदान
बिहार की सीमा से लगे यूपी का अंतिम लोकसभा सीट बलिया में सातवें चरण में एक जून को मत डाले जाएंगे। पूर्वांचल की इस सीट पर नामांकन की प्रक्रिया सात मई से शुरू होगी। पिछले दो लोकसभा चुनावों पर नजर डालें तो वर्ष-2009 एवं 2014 में यह सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई थी। इस लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा हैट्रिक लगाने की तैयारी में जुटी है, वहीं सपा पुनः वापसी करने में अपना पूरा दमखम लगा रही है। जबकि बहुजन समाज पार्टी इस सीट पर अपनी स्थिति बेहतर करने में जुटी है। देखा जाए तो कांग्रेस इस बार सपा के साथ चुनावी गठबंधन कर खुद चुनाव मैदान से दूर रहेगी। 

पुराने फार्मूले पर हैट्रिक की तरफ बढ़ रही है भाजपा
समाजवादी पार्टी के मुखिया जहां पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक यानी पीडीए फ्रंट के जरिए इस सीट पर बढ़त बनाने की कोशिश करते दिखाई दे रही है। सपा उम्मीदवार गठबंधन को लेकर अपनी जीत सुनिश्चित मान रहे हैं। जबकि भारतीय जनता पार्टी अपने पुराने फार्मूले से जीत की तरफ बढ़ रही है। उधर बहुजन समाज पार्टी की नजर दलित और अल्पसंख्यक वोट पर गड़ी है। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा गठबंधन के बाद भी सपा के सनातन पांडेय को पराजय मिली थी। इस बार बसपा उम्मीदवार के चुनाव मैदान में उतारने के बाद देखना है कि सपा की नैया डूबेगी या कोई उसे खेवनहार मिलेगा ? भाजपा प्रत्याशी के लिए भी यह  चुनाव चुनौती बना हुआ है। भाजपा प्रत्याशी नीरज शेखर की सपा से सीधी टक्कर एवं हार का खतरा महसूस हो रहा है। अब उम्मीदवारों की डूबती नैया कैसे पार लगेगी यह समय बताएगा ?

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