संतान प्राप्ति एवं पुत्र की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने बृहस्पतिवार को निर्जला व्रत रखा। इस दौरान महिलाएं सुबह से घर की साफ सफाई और पकवान बनाने में जुटी रही।
Ballia News : छठ पर्व पर उमड़ा आस्था का सैलाब, अस्ताचलगामी सूर्य को व्रती महिलाओं ने दिया अर्घ्य
Nov 07, 2024 18:18
Nov 07, 2024 18:18
पारंपरिक गीतों की गूंज
घाटों पर छठ पूजा के भव्य आयोजन की तैयारी पहले से की गई थी। सुबह से ही व्रती महिलाएं अपने घरों की साफ-सफाई और पकवान बनाने में व्यस्त थीं। शाम होते ही वे सोलह श्रृंगार कर पारंपरिक गीत "कांच ही बांस के बहंगियां" और "हथवा में फुलवा डलिया छठ पूजन जाय" गाती हुई, टोलियों में एकत्र होकर तालाब, पोखरे, गंगा और घाघरा नदी के घाटों की ओर बढ़ीं। जैसे-जैसे महिलाएं घाटों पर पहुंचीं, वहां आस्था का रंग गहराता गया। घाटों पर पैर रखने तक की जगह नहीं रही, और हर ओर भक्ति के माहौल में छठ मइया के गीत गूंज रहे थे।
बिजली सजावट और सुरक्षा व्यवस्था
शाम को सूर्यास्त के समय, व्रती महिलाओं ने नदी, तालाब, सरोवर, गंगा और घाघरा नदी के तट पर खड़े होकर भगवान भास्कर का पूजन-अर्चन किया और अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। पूजा संपन्न होने के बाद व्रती महिलाओं ने घाट पर मौजूद बड़ी उम्र की महिलाओं के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। पूरे शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के घाटों पर एक भव्य आस्था का नजारा था।
बच्चों का उत्साह
नगर क्षेत्र के प्रमुख घाटों को स्थानीय समितियों और नगर पालिका द्वारा विद्युत उपकरणों से सुसज्जित किया गया था, जिससे घाटों का दृश्य अत्यंत रमणीय प्रतीत हो रहा था। मानो तारों ने जमीन पर आकर अपनी रोशनी बिखेर दी हो। लाल घाट, हाईड्रिल कॉलोनी, बहादुरपुर और अन्य घाटों पर भी सजावट का यही दृश्य देखने को मिला। वहीं, छठ पूजा के दौरान बच्चों ने भी खूब आनंद लिया। अपने अभिभावकों के संरक्षण में बच्चों ने पटाखे छोड़े, जिससे घाटों पर मेले जैसा माहौल बन गया। सुरक्षा के मद्देनजर विभिन्न समितियों ने आग से बचाव के लिए पानी और बालू से भरी बोरियों की भी व्यवस्था की थी।
उजियार घाट पर बिहार से भी श्रद्धालु
इसके साथ ही, घाटों पर चाय-पानी के स्टॉल भी लगाए गए, जहां श्रद्धालुओं ने पूजा के बाद चाय और पानी का आनंद लिया। पूजा के बाद युवतियों और महिलाओं ने घाटों पर अपनी पूजा यात्रा के खूबसूरत पलों को कैमरे में कैद किया, और सेल्फी ली। उजियार घाट पर भी श्रद्धालुओं का जमावड़ा देखा गया। यहां न केवल बलिया, बल्कि बिहार के बक्सर से भी श्रद्धालु पहुंचे थे। स्थानीय गांवों सरयां, कुतुबपुर और अन्य जगहों से भी भारी संख्या में लोग गंगा घाट पर जुटे और डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। यहां साफ-सफाई और सुरक्षा की भी अच्छी व्यवस्था की गई थी।
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