राम जन्मभूमि मंदिर अयोध्या में होने वाली प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर पूरे विश्व में धूम मची है। वहीं किशोरवय राजकुमार राम का बलिया से क्या संबंध है ? इस बारे में शोधकर्ता और इतिहासकार डाॅ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि...
Ballia News : अयोध्या में विराजमान श्रीराम का बलिया से है खास रिश्ता
Jan 22, 2024 16:25
Jan 22, 2024 16:25
यहीं से होकर पहुंचे थे सिद्धाश्रम
महर्षि विश्वामित्र ने लखनेश्वरडीह में रात्रि विश्राम और राम-लक्ष्मण को मायावी राक्षसों से लड़ाई करने के लिए बला-अतिबला विद्या सिखाई थी। यहां एक शिवलिङ्ग विग्रह भी स्थापित किया गया था। वर्तमान में तमसा-लकड़ा नदी, जो वास्तव में पुरानी सरयू नदी का छाड़न है। यहां से यह तीनों लोग रामघाट नगहर आए और सरयू पार कर तरवाडीह होते हुए कामेश्वरधाम पहुंचकर रात्रि विश्राम किया। यहां से ब्राह्म मुहूर्त में चलकर भोर में भरौली पहुंच गए और जब उजाला हुआ तो उजियार में थे। यहां से गंगा नदी पारकर सिद्धाश्रम बक्सर गुरु विश्वामित्र के साथ पहुंचे।
यहां रुके थे दो रात
इस तरह से अयोध्या के दोनों राजकुमारों ने अपनी प्रथम यात्रा में बलिया जिले में दो रातें गुजारी और राक्षसों से युद्ध करने की विद्या सीखा था। डाॅ. कौशिकेय ने कहा कि वर्तमान बलिया जिले के भू-भाग का अवध से बहुत गहरा संबंध रामायण काल से भी पहले रहा है। जिस पर शोध कार्य चल रहा है। प्रभु श्रीराम ने अपने जीवनकाल में तीन प्रमुख यात्राएं की थीं। पहली यात्रा महर्षि विश्वामित्र जी के साथ राजकुमार राम की है। जिसमें उनका सीता जी से विवाह भी शामिल है। इस यात्रा में जिले के लखनेश्वरडीह, रामघाट नगहर, कामेश्वरधाम कारों, सुजायत और भरौली, उजियार कुल छः स्थान चिह्नित किए गए हैं । इन छह में से केवल श्री कामेश्वरधाम कारों में संस्कृति, पर्यटन विभाग भारत सरकार की ओर से यात्री सुविधा के कुछ कार्य कराए गए हैं।
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