बरेली शहर को ट्रैफिक जाम से मुक्ति दिलाने और भारी वाहनों के सुगम आवागमन के लिए 34 साल पहले शुरू की गई रिंग रोड परियोजना अब एक बार फिर चर्चा में है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण...
बरेली रिंग रोड : 34 साल बाद पूरा होगा अधूरा सपना, 700 करोड़ रुपये का बजट मंजूर
Nov 29, 2024 11:29
Nov 29, 2024 11:29
परियोजना की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
अमर उजाला के 1993 के आर्काइव से मिली जानकारी के अनुसार रिंग रोड परियोजना पर काम 1990 के आसपास शुरू हुआ था। तीन साल की टेंडर प्रक्रिया और बजट प्रबंधन के बाद काम आगे बढ़ा, लेकिन 28 किमी लंबाई का केवल आधा प्रोजेक्ट ही पूरा हो सका। अब शेष 29 किमी के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए 700 करोड़ रुपये की मंजूरी मिल गई है। जिससे परियोजना के पूरा होने की उम्मीद जगी है।
औद्योगिक और आवासीय विकास की संभावना
इस रिंग रोड को "काउंटर मैग्नेट सिटी" योजना का हिस्सा बनाया गया था ताकि एनसीआर के शहरों पर जनसंख्या का दबाव कम किया जा सके। भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए रिंग रोड के साथ औद्योगिक और आवासीय योजनाएं भी विकसित की जाएंगी। पहले धन की कमी के कारण यह परियोजना अधूरी रह गई थी, लेकिन अब इसे जल्द पूरा करने के प्रयास हो रहे हैं।
टोल के बिना होगा यातायात
1990 के दशक में परियोजना के लिए लगभग 42 करोड़ रुपये की जरूरत थी। उस समय टोल लगाकर लागत वसूली की योजना बनी थी, लेकिन सरकारी फंड से निर्माण होने के कारण टोल नहीं लगाया गया। अब इस चार लेन की सड़क को भविष्य में छह लेन तक विस्तारित करने की योजना है।
दो लेन से चार लेन तक का सफर
बजट की कमी को देखते हुए पहले इसे दो लेन का बाईपास बनाने की योजना थी। हालांकि, एनएचएआई ने इसे चार लेन बनाने का निर्णय लिया। यह परियोजना पूरा होने के बाद बरेली के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। जिससे क्षेत्र में आवागमन सुगम होगा और औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
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