जितिन के दादा ज्योति प्रसाद कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे और विधान सभा और लोकल बॉडी में उन्होंने जिम्मेदारियां संभालीं। उनके दादी पामेला प्रसाद कपूरथला के सिख परिवार से आती थीं। जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के बड़े नेता रहे ...
Pilibhit Lok Sabha Seat : जितिन प्रसाद ने जीत की लगाई हैट्रिक, भाजपा ने पक्की की पीलीभीत सीट
Jun 04, 2024 19:22
Jun 04, 2024 19:22
इन प्रत्याशियों से थी टक्कर
पीलीभीत में बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ कुल 10 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें बसपा के अनीस अहमद खां, सपा के भगवत सरन गंगवार, संजय कुमार भारती, राजीव कुमार सक्सेना, आदर्श पांडे, आशीष कुमार, मो, शाहीद हुसैन, प्रमोद भाई पटेल, सुशील कुमार शुक्ला शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री तक का सफर
कांग्रेस पार्टी से राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले जितिन प्रसाद ने केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय किया। कांग्रेस की युवा केंद्रीय टीम में 2001 में वह सचिव बने। 2004 उन्हें पहली बार गृह जनपद शाहजहांपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका मिला और जितिन ने यहां आसानी से जीत हासिल कर ली। 2008 में उन्हें यूपीए सरकार में केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री बनाया गया। 2009 में उन्होंने धौरहरा से चुनाव लड़ा और यहां भी आसानी से जीत दर्ज की। ये वो दौर था जब कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में अरसे बाद लोकसभा की सबसे ज्यादा सीटें हासिल की थी।
इस जीत का फायदा जितिन को भी मिला। वह पहले सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री बने, फिर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय संभाले और 2014 के चुनाव से पहले तक आखिरी दो साल वह मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय में केंद्रीय राज्यमंत्री रहे। लेकिन इसके बाद कांग्रेस पार्टी यूपी में 2009 जैसा प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई और जितिन प्रसाद भी चुनाव दर चुनाव हार झेलते गए। आखिरकार 2021 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली और योगी सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया।
देहरादून से शुरू पढ़ाई दिल्ली में हुई खत्म
जितिन प्रसाद की स्कूली पढ़ाई देहरादून के 'द दून' बोर्डिंग स्कूल से हुई। फिर उन्होंने श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, दिल्ली विश्वविद्यालय से वाणिज्य में डिग्री हासिल की और फिर आईआईएम, नई दिल्ली से एमबीए पूरा किया।
सियासी घरानों से है पुराना नाता
29 नवंबर 1973 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में जन्में जितिन प्रसाद का ताल्लुक उत्तर प्रदेश के चर्चित सियासी घरानों से है। रवींद्रनाथ टैगोर परिवार से भी उनका नाता रहा है। दरअसल जितिन प्रसाद के परदादा ज्वाला प्रसाद अंग्रेजों के जमाने में इंपीरियल सिविल सर्विस ऑफिसर हुआ करते थे। उनकी शादी पूर्णिमा देवी से हुई, जो नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के भाई हेमेंद्र नाथ टैगोर की सबसे छोटी बेटी थीं।
जितिन के दादा ज्योति प्रसाद कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे और विधान सभा और लोकल बॉडी में उन्होंने जिम्मेदारियां संभालीं। उनके दादी पामेला प्रसाद कपूरथला के सिख परिवार से आती थीं। जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के बड़े नेता रहे और वह 1991 में राजीव गांधी और फिर 1994 में पीवी नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार रहे। 1995 में वह उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने। इसके अलावा केंद्रीय टीम में भी उन्होंने उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली।
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