हमीरपुर-महोबा तिंदवारी संसदीय सीट पर कई दशकों तक लोधी बिरादरी के नेताओं का कब्जा कायम रहा। पिछले 17 लोकसभा चुनावों में पांच बार पंडितों ने यहां की सीट पर कब्जा किया।
लोकसभा चुनाव क्षेत्र-47 में होगा त्रिकोणीय मुकाबला : लोधी बिरादरी का रहा है दबदबा, यहां से छह बार बने हैं सांसद
May 02, 2024 01:26
May 02, 2024 01:26
बदल रहे हैं जातीय समीकरण
हमीरपुर-महोबा तिंदवारी संसदीय सीट पर कई दशकों तक लोधी बिरादरी के नेताओं का कब्जा कायम रहा। पिछले 17 लोकसभा चुनावों में पांच बार पंडितों ने यहां की सीट पर कब्जा किया। वहीं छह बार बैकवर्ड से लोग जीत का परचम फहरा चुके हैं। इस बार चुनावी महासमर में लोधी जाति से आए नए चेहरे को लेकर अब यहां जातीय समीकरण तेजी से बदल रहे हैं।
मन्नू लाल द्विवेदी ने लगाई थी जीत की हैट्रिक
हमीरपुर-महोबा तिंदवारी संसदीय सीट पर 1967 के चुनाव में जातीय समीकरणों का खेल बिगड़ने से इस सीट पर लोधी बिरादरी के एक संत ने कब्जा किया था। वर्ष 1952 के चुनाव में पूरे देश में कांग्रेस ने जीत का परचम फहराया था। यहां की सीट पर कांग्रेस से मन्नू लाल द्विवेदी ने जीत का परचम फहराया था। 1957 के चुनाव में दोबारा सीट जीती थी, जबकि 1962 में भी मन्नू लाल द्विवेदी ने इस सीट पर हैट्रिक लगाई थी। वर्ष 1967 में लोकसभा चुनाव में पहली बार भारतीय जनसंघ से स्वामी ब्रह्मानंद चुनावी महासमर में आए थे। लोधी बिरादरी के एकजुट होने पर सांसद बने थे। इतना ही नहीं स्वामी ने 1991 के चुनाव में भारतीय जनसंघ छोड़कर कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा और दोबारा यहां की सीट पर जीत का परचम फहराया। हालांकि 1977 के लोकसभा चुनाव में स्वामी को बीकेडी उम्मीदवार तेज प्रताप सिंह से पराजित होना पड़ा था। बस यही से इस सीट पर लोधी बिरादरी से माननीय बनने लगे। इस सीट पर क्षत्रिय बिरादरी से पांच बार सांसद चुने गए है।
कांटे की हो सकती है टक्कर
अबकी बार भाजपा ने पुष्पेंद्र सिंह चंदेल को तीसरी बार चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं सपा और कांग्रेस के गठबंधन ने अजेंद्र लोधी पर दांव लगाया है। संसदीय क्षेत्र के राठ और चरखारी विधानसभा क्षेत्र में 12 फीसदी से अधिक लोधी व 6.66 फीसदी यादव जाति के मतदाता हैं, जिन्हें अपने पाले में करने के लिए साइकिल को रफ्तार देने में अजेंद्र लोधी अब जुट गए है। वहीं इस संसदीय क्षेत्र में ब्राह्मण 10.33, वैश्य 2.66, ठाकुर 12,85 व अनुसूचित जाति के 22.64 फीसदी मतदाता हैं।
पांच बार ब्राह्मण बिरादरी से लोग बने हैं सांसद
हमीरपुर-महोबा संसदीय क्षेत्र में अब तक 17 बार लोकसभा के चुनाव हुए। इसमें पांच बार ब्राह्मण बिरादरी से लोग सांसद बने। 1952 से लेकर 1962 तक यहां की सीट तीन बार ब्राह्मण जाति से लोग सांसद बने, जबकि 1991 के चुनाव में विश्वनाथ शर्मा सांसद बने थे। ये भाजपा के टिकट से पहली बार चुनाव मैदान में आए थे और राममंदिर के मुद्दे पर उन्हें चुनाव में जनादेश मिला था। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में राजनारायण बुधौलिया ने सपा के टिकट से किस्मत आजमाया और वह सांसद बन गए थे। राजनारायण बुधौलिया ब्राह्मण जाति के थे।
लोधी बिरादरी की धाक
लोकसभा की हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट पर शुरू से लेकर अभी तक सर्वाधिक लोधी बिरादरी से सांसद चुने गए है। 1967 में लोधी बिरादरी (पिछड़ी जाति) के स्वामी ब्राह्मनंद सांसद बने थे जबकि 1980 में डूंगर सिंह लोधी इस सीट से सांसद चुने गए थे। 1984 के लोकसभा चुनाव में भी जातीय समीकरणों के खेल में स्वामी प्रसाद सिंह लोधी सांसद बने थे। वर्ष 1989 के चुनाव में तीसरी बार लोधी बिरादरी से गंगाचरण राजपूत सांसद बने। ये 1996 और 1998 में भी सांसद बने थे। वर्ष 1967 से 1999 तक हुए लोकसभा चुनावों में छह बार लोधी बिरादरी के लोगों ने यहां की सीट पर राज किया।
इस बार है कांटे का मुकाबला
47 लोकसभा के चुनाव में यहां की सीट पर एक बार फिर लोधी बिरादरी से अजेंद्र सिंह राजपूत पहली बार किस्तम आजमा रहे है। ये कांग्रेस और सपा के गठबंधन प्रत्याशी हैं, जिनके चुनाव मैदान में आने से अब जातीय समीकरण तेजी से बदल रहे है। मौजूदा सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी सीट पर तीसरी बार कमल खिलाने के लिए पसीना बहा रहे हैं। वहीं एक दूसरे के गढ़ में चुनावी समीकरण साधने के लिए प्रत्याशी कड़ी मशक्कत कर रहे है। बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट के लिए निर्दोष दीक्षित को चुनावी मैदान में उतारा है । जिससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में एक नई ऊर्जा देखी जा रही है।
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