AIIMS Gorakhpur : फर्जी तरीके से बेटा और बेटी को एम्स में ज्वाइन कराने के आरोप में डायरेक्टर डॉ. जीके पाल बर्खास्त

फर्जी तरीके से बेटा और बेटी को एम्स में ज्वाइन कराने के आरोप में डायरेक्टर डॉ. जीके पाल बर्खास्त
UPT | गोरखपुर AIIMS के डायरेक्टर हटाए गए।

Sep 27, 2024 23:22

डॉ. गोपाल कृष्ण पाल के खिलाफ यह कार्रवाई फर्जीवाड़े में उनका नाम आने के बाद की गई है। डॉ. जीके पाल के ऊपर अपने बेटे और बेटी के फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर दोनों का एम्स अस्पताल में ज्वाइन करवाने का आरोप लगा था।

Sep 27, 2024 23:22

Short Highlights
  • भोपाल एम्स के डॉयरेक्टर प्रो. अजय सिंह को मिली नई जिम्मेदारी
  • 2 अक्टूबर डॉ. जीके पाल का पूरा होना था कार्यकाल
Gorakhpur News : गोरखपुर एम्स से बड़ी खबर सामने आ रही है। जहां पर एम्स गोरखपुर के कार्यकारी डायरेक्टर डॉ. गोपाल कृष्ण पाल (डॉ. जीके पाल)को उनके पद से हटा दिया गया। 2 अक्टूबर को उनका कार्यकाल पूरा होना था, लेकिन 6 दिन पहले ही एम्स भोपाल के डॉयरेक्टर प्रो. अजय सिंह को एम्स गोरखपुर की भी जिम्मेदारी दे दी गई। प्रो. अजय सिंह को भी कार्यवाहक ED बनाया गया है। उनका कार्यकाल तीन महीने निर्धारित किया गया है। 

डॉ. गोपाल कृष्ण पाल के खिलाफ यह कार्रवाई फर्जीवाड़े में उनका नाम आने के बाद की गई है। डॉ. जीके पाल के ऊपर अपने बेटे और बेटी के फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर दोनों का एम्स अस्पताल में ज्वाइन करवाने का आरोप लगा था। सूत्रों के मुताबिक गोरखपुर एम्स के निदेशक डॉ. गोपाल कृष्ण पाल ने अपने बेटे ओरो प्रकाश पाल को फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर गोरखपुर एम्स के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में MD-PG कोर्स में दाखिला दिलवाया था। यही नहीं जांच करने पर पता चला था कि बेटे के साथ डॉ जीके पाल ने अपनी बेटी का भी फर्जी तरीके से एम्स के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग में सीनियर रेसिडेंट के पद पर जॉइनिंग करवा रखी थी। फर्जीवाड़े में डॉ. जीके पाल के बेटे आरो पाल ने नियुक्ति से पहले जमा करवाए इनकम सर्टिफिकेट में सालाना आय मात्र 8 लाख रुपये दर्शायी थी। इसके साथ ही ओरो ने नॉन क्रीमीलेयर और दानापुर बिहार के पते पर ओबीसी जाति का प्रमाण पत्र भी जमा करवाए थे, लेकिन पूरा मामला खुलने पर पता चला कि ओरो के पिता खुद गोरखपुर एम्स और पटना के निदेशक पद पर कार्यरत हैं।

कैसे खुला मामला
इस मामले में एम्स गोरखपुर के सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. गौरव गुप्ता ने उनके खिलाफ एम्स पुलिस को तहरीर दी है। जिसमें कहा है कि डायरेक्टर सामान्य वर्ग (ठाकुर) से आते हैं, लेकिन उन्होंने बेटे और बेटी का फर्जी ओबीसी सर्टिफिकेट बनवाए हैं। इसमें सालाना आय 80 लाख के बजाय 8 लाख दिखाया है। डायरेक्टर, उसकी पत्नी प्रभाती पाल और बेटा ओरो प्रकाश पाल इसमें शामिल हैं, इसलिए तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। 

स्वास्थ्य मंत्रालय की कमेटी ने भी की जांच
वहीं, इस मामले के सामने आने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर मामले की जांच भी शुरू करा दी है। जल्द ही टीम गोरखपुर आने वाली है। इस बीच प्रो. पाल को हटा दिया गया। इस कार्रवाई को बेटे के प्रवेश से जोड़ा जा रहा है। 2 अक्टूबर को एम्स पटना के ED और CEO प्रो. गोपाल कृष्ण पाल को एम्स गोरखपुर का चार्ज दिया गया था। उन्हें प्रो. सुरेखा किशोर की जगह भेजा गया था। बेटों को नियुक्ति देने और भ्रष्टाचार के मामलों में विजिलेंस जांच का सामना कर रहीं प्रो. सुरेखा किशोर को अचानक हटाया गया था। नए निदेशक के लिए दिल्ली में साक्षात्कार प्रक्रिया पूरी होने के बाद माना जा रहा था कि प्रो. गोपाल कृष्ण पाल का कार्यकाल एक महीने बढ़ जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

बेटे नियुक्ति में हटने वाले दूसरे निदेशक
बेटे के चक्कर में पद से हाथ धोने वाले प्रो. गोपाल कृष्ण पाल एम्स गोरखपुर के दूसरे निदेशक हैं। हालांकि प्रो. सुरेखा किशोर को वापस एम्स ऋषिकेश भेजा दिया गया था, लेकिन प्रो. पाल एम्स पटना के निदेश बने रहेंगे।

3 सितंबर सितंबर को ओरो ने प्रवेश करा लिया था रद्द
फिजियोलाजी की एडिशनल प्रोफेसर डॉ. संगीता गुप्ता की प्रोफेसर पद पर पदोन्नति न होने के बाद एम्स गोरखपुर के सर्जरी विभागाध्यक्ष व एडिशनल प्रोफेसर डॉ. गौरव गुप्ता ने प्रो. गोपाल कृष्ण पाल के खिलाफ जंग छेड़ दी थी। उन्होंने 25 जुलाई को हुई साक्षात्कार प्रक्रिया पर ही सवाल उठा दिए थे। इसके बाद सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल और बाद में उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

यह मामला सामने आते ही गोरखपुर से लेकर पटना एम्स तक हड़कंप मच गया। मामले की जांच शुरू की गई। इसमें पता चला कि डायरेक्टर ने न सिर्फ बेटे के एडमिशन में फर्जीवाड़ा किया, बल्कि बेटी का भी फर्जी ओबीसी एनसीएल सर्टिफिकेट बनवाया। उन्हें पटना एम्स के फोरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट में सीनियर रेजिडेंट के पद पर ज्वाइन करवाया। इसके बाद डॉ. गुप्ता फिर मुखर हो गए। उन्होंने इसकी शिकायत जनसुनवाई पोर्टल पर भी की थी। डॉ. ओरो प्रकाश पाल ने 30 अगस्त को प्रवेश लेने के बाद 3 सितंबर को तीन लाख रुपये जुर्माना जमाकर प्रवेश रद करा दिया था।

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