गोरखपुर आईटीएम गीडा के छात्रों ने धातु से बनी भगवान शिव और शेषनाग की ऐसी मूर्ति तैयार की है जो बिजली गिरने पर हजारों वोल्ट का करंट पैदा कर सकती है और बिजली को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है। इस तकनीक की मदद से बिजली को मूर्ति के स्थान पर केंद्रित किया जा सकता है और ऐसा करने से आस-पास के लोगों की जान बचाई जा सकती है।
ITBM GIDA के छात्रों का आविष्कार : शिव और शेषनाग की मूर्ति बचाएगी लोगों की जान, बिजली गिरने से पहले करेगी अलर्ट
Aug 08, 2024 16:16
Aug 08, 2024 16:16
मूर्ति में लगा माइक सेंसर ऐसे करेगा काम
इस मूर्ति में एक माइक सेंसर लगाया गया है, जो आवाज़ से सक्रिय होकर कई हज़ार वोल्ट का करंट पैदा करने लगता है। यह करंट मूर्ति के चारों ओर पैदा होता है और बिजली को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है। इस तरह यह मूर्ति बिजली को अपनी ओर केंद्रित करके लोगों की जान बचा सकती है।
छात्र श्वेत यादव के अनुसार, वैज्ञानिकों के अनुसार, आकाशीय बिजली हरे वृक्षों, खुले स्थानों और बिजली के तारों या खंभों पर अधिक केंद्रित होती है, जिनके माध्यम से यह जमीन में समा जाती है। जब यह बिजली किसी इंसान पर गिरती है, तो इससे मौत भी हो सकती है। इसलिए बारिश के दौरान लोगों को खुले आसमान के नीचे नहीं रहना चाहिए।
इन चार छात्रों ने बनाई मूर्ति
इसी सोच के आधार पर ITBM GIDA के चार छात्रों - साई अंश, अंशिका, श्वेत यादव और प्रणव ठाकुर - ने मिलकर इस समस्या के समाधान के लिए एक उपकरण तैयार किया है, जो आकाशीय बिजली के गिरने से पहले लोगों को सतर्क कर सकता है।
वज्रपात की जानकारी देने वाला मॉडल भी तैयार
छात्रा अंशिका ने बताया कि उन्होंने एक वैज्ञानिक मॉडल भी तैयार किया है, जो छड़ में कई हजार वोल्ट की बिजली उत्पन्न कर सकता है। साथ ही, मौसम विभाग के वैज्ञानिक इंटरनेट के माध्यम से देश के गांव-गांव में किसानों और आम लोगों को वज्रपात की जानकारी दे सकेंगे, ताकि वे समय रहते अपनी सुरक्षा कर सकें। देश में प्रतिवर्ष वज्रपात से हजारों मौतें होती हैं।
छात्रों के वैज्ञानिक सोच की सराहना
संस्थान के निदेशक डॉ. एन.के. सिंह ने बताया कि छात्रों ने कॉलेज के इनोवेशन सेल में इस प्रोजेक्ट का कार्यात्मक मॉडल तैयार किया है, जो वज्रपात से लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सकता है। उन्होंने कहा कि छात्रों के छोटे-छोटे आइडियास भविष्य में बड़े आविष्कारों का रूप ले सकते हैं और उनकी इस वैज्ञानिक सोच की सराहना की जानी चाहिए।
आठ दिन में बनकर तैयार हुई मूर्ति
छात्र साई अंश ने बताया कि इस मूर्ति को बनाने में उन्हें आठ दिन का समय लगा और लगभग 8 से 10 हजार रुपये का खर्च आया है। इस प्रोजेक्ट में उपयोग किए गए उपकरणों में हाई वोल्टेज ट्रांसफार्मर, 3.7 वोल्ट की बैटरी, चार्जर, एलईडी लाइट, धातु, पीतल और स्विच आदि शामिल हैं।
संस्थान के निदेशक डॉ. एन के सिंह ने कहा कि यह आविष्कार न केवल वज्रपात से लोगों की सुरक्षा करने में मददगार होगा, बल्कि छात्रों की वैज्ञानिक सोच और नवाचार की क्षमता को भी प्रदर्शित करता है। इस प्रोजेक्ट को सरकारी और निजी संगठनों द्वारा समर्थन और प्रोत्साहन मिलना चाहिए ताकि इस दिशा में और भी बेहतर और व्यावहारिक उपाय किए जा सकें।
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