पति ने कहा तो इसमें आप भी सहयोग करिए। इसके बाद पति पत्नी दोनों दक्षिण भारत के उन जगहों पर गए, जहां केले के प्रसंस्करण से उत्पाद...
कोरोना में बर्बाद होकर भी नहीं मानी हार : कुशीनगर की अनीता राय ने केला से लिखी सफलता की कहानी, 600 लोगों को दे चुकीं ट्रेनिंग
Oct 28, 2024 15:07
Oct 28, 2024 15:07
काम आया चेन्नई का अनुभव
बात वर्ष 2022 की है। पति और पत्नी में नए कारोबार के बाबत बात हुई। आपको बता दें कि अनीता की पैदाइश, परवरिश और शिक्षा चेन्नई में हुई थी। वहां उन्होंने केले की तमाम प्रजातियां भी देखी थीं। साथ ही उनके हर चीज (कच्चा पक्का फल, फूल, पत्ता और तना) का उपयोग भी सीखा। तब तक योगी सरकार केले को कुशीनगर को एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी ) घोषित कर चुकी थी। ऐसे में तय हुआ कि केले के उत्पादों पर फोकस किया जाय।
फिर लाइफ में हुआ जादू
पति ने कहा तो इसमें आप भी सहयोग करिए। इसके बाद पति पत्नी दोनों दक्षिण भारत के उन जगहों पर गए, जहां केले के प्रसंस्करण से उत्पाद बनते हैं। इसी क्रम में वह लोग भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से संबद्ध त्रिची (केरल) स्थित राष्ट्रीय केला अनुसंधान केंद्र भी गए। वहां इन लोगों ने केले से बनने वाले 70/80 उत्पादों का लाइव डिमॉन्सट्रेशन देखा। काम अच्छा लगा, वापस आकर खुद इस संबंध में एक प्रेजेंटेशन तैयार किया। इसे जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक अनिल शुक्ला के सामने प्रस्तुत किया। उनको प्रेजेंटेशन अच्छा लगा।
सरकार से मिली मदद
उनके जरिए यह सीडीओ आनंद सिंह और डीएएम अनिल कुमार सिंह तक पहुंचा। सबकी तारीफ से हौसला मिला। लिहाजा काम शुरू हुआ और चल भी निकला। सरकार और स्थानीय प्रशासन का उनको भरपूर सहयोग मिलता है। योगी सरकार द्वारा केले को कुशीनगर का ओडीओपी घोषित करना उनके लिए संजीवनी बन गया। हालांकि, अनीता ने अभी तक सरकार से कोई आर्थिक सहयोग नहीं लिया है। लेकिन वह कहती हैं कि सरकार और स्थानीय प्रशासन के सहयोग का मेरे कारोबार के विस्तार में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।
बतौर मास्टर्स ट्रेनर्स 600 लोगों को दे चुकी हैं ट्रेनिंग
आज वह बतौर मास्टर ट्रेनर करीब 600 लोगों को केले के प्रसंस्कृत उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दे चुकीं है। उनके यहां औसतन 6 महिलाएं रोज काम करती हैं। इस तरह वह साल भर में स्थानीय स्तर पर लगभग 2200 रोजगार दिवस सृजन करती हैं।
केले से तैयार होने वाले उत्पाद
आज औषधीय महत्व के नाते अनीता की फर्म द्वारा बनाए गए केले के तने के जूस की भारी डिमांड है। उनके जूस के कद्रदान उड़ीसा, पंजाब, नेपाल, दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु भी हैं। उनके द्वारा तैयार केले के छिलके और डंठल का आचार, आटा, सेवई और चिप्स आदि की भी ठीकठाक मांग है। केले के तने से मीठा और शूगर फ्री जूस के अलावा वह कच्चे केले से नमकीन, आटा, सेवई, बचे हुए छिलके का आचार, केले के फूल का आचार आदि बनाती हैं। हर चीज के उपयोग के जरिए उनकी यूनिट जीरो वेस्ट पैदा करती है।
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