गोरखपुर में आयोजित एक शैक्षणिक कार्यक्रम में महंत अवेद्यनाथ पैरामेडिकल कॉलेज के ऑप्टोमेट्री विभाग ने बाल दृष्टि स्वास्थ्य पर गहन चर्चा की। विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित इस संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने बच्चों में दृष्टि संबंधी विकारों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं।
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में विशेष चर्चा : चश्मे या लेंस से दूर हो सकता है रिफ्रेक्टिव आई डिसऑर्डर : डॉ. पांडेय
Nov 21, 2024 17:20
Nov 21, 2024 17:20
नेत्र विकारों को गंभीरता से लेना चाहिए
डॉ. पांडेय ने कहा कि नेत्र बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण अंग है। इससे जुड़े विकारों को गंभीरता से लेकर त्वरित उपचार पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ बच्चों में रिफ्रैक्टिव या वर्तन दोष होते हैं। इसमें आंखों पर किरणें रेटिना पर सही से जमा न होकर उसके सामने या पीछे जमा होने लगती हैं। वर्तन दोष को चश्मा लगाकर या फिर कॉन्टैक्ट लेंस लगाकर दूर किया जा सकता है। विकार के गंभीर अवस्था में होने पर अपवर्तक सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। अपवर्तक सर्जरी का लक्ष्य चश्मों या कॉन्टैक्ट लेंसों पर निर्भरता कम करना है।
अपनी जीवनशैली में आंखों की देखभाल को शामिल करें
अतिथि वक्ता का स्वागत करते हुए पैरामेडिकल कॉलेज के हेड रोहित कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि अगर ईश्वर द्वारा हमें आंखें नहीं दी जाती तो हम अपने आसपास मौजूद खूबसूरत वस्तुओं को देखने से वंचित रह जाते। अतः इसकी देखभाल हमें अपने जीवनशैली से जोड़नी चाहिए। धन्यवाद ज्ञापन ऑप्टोमेट्री विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर कुंवर अभिनव सिंह राठौर द्वारा ने किया। कार्यक्रम में ऑप्टोमेट्री विभाग के प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी मौजूद रहे।
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